लोगों का ऑनलाइन उत्‍पीड़न करने वाले प्‍लेटफॉर्म Kiwi Farms पर हैकर्स का धावा, जानें पूरा मामला


इंटरनेट फोरम ‘कीवी फार्म’ (Kiwi Farms) पर हैकर्स ने धावा बोला है। एक ब्‍लॉग पोस्‍ट में ‘कीवी फार्म’ ने उसके साथ हुए डेटा ब्रीच की जानकारी देते हुए यूजर्स के पासवर्ड और ईमेल अड्रेस चोरी होने की बात कही है। ‘कीवी फार्म’ एक ऐसा प्‍लेटफॉर्म है, जिसे विशेष रूप से LGBTQ कम्‍युनिटी की महिलाओं और लोगों को टार्गेट करते हुए हैरसमेंट कैंपेन ऑर्गनाइज करने के लिए जाना जाता है। कीवी फार्म के प्रमुख ने बताया है कि उनकी वेबसाइट को ब्रीच का सामना करना पड़ा है। वेबसाइट को किसी ने हैक कर लिया है और हैकर्स एडमिनिस्‍ट्रेटर अकाउंट और संभवत: बाकी यूजर्स के अकाउंट तक पहुंचने में कामयाब रहे हैं। 

एक न्‍यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, कीवी फार्म्स ने सोमवार को अपडेट किए गए एक पोस्ट में कहा कि फोरम को हैक कर लिया गया था। इसके बाद सबकुछ रीफॉर्मेट करने और रीइंस्‍टॉल करने की जरूरत बताई गई है। इसके अलावा सिक्‍योरिटी के मूल्‍यांकन की बात भी कही गई है। ध्‍यान देने वाली बात है कि कीवी फार्म को हैकर्स से सुरक्षा क्लाउडफ्लेयर (Cloudflare) की ओर से दी जा रही थी, लेकिन आलोचकों की कड़ी फटकार के बाद वेब होस्टिंग और साइबर सिक्‍योरिटी सेवाएं प्रदान करने वाली क्‍लाउडफ्लेयर ने कीवी फार्म की सर्विस को बंद कर दिया था।

क्‍लाउडफ्लेयर के चीफ एग्‍जीक्‍यू‍ि‍टिव मैथ्यू प्रिंस ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि कंपनी ने कीवी फार्म के कंटेंट को अपने इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर के जरिए एक्सेस करने से रोक दिया है। एक ऑनलाइन मैसेज में मैथ्‍यू प्रिंस ने कहा था कि इंटरनेट इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर के रूप में क्लाउडफ्लेयर की भूमिका को देखते हुए, यह हमारे लिए एक असाधारण निर्णय है। आलोचकों का कहना था कि क्लाउडफ्लेयर बड़े पैमाने पर उत्पीड़न और डॉकिंग गतिविधियों को इनेबल कर रहा था, जो ट्रांसजेंडर और नॉनबाइनरी लोगों को टार्गेट कर रहे थे। क्‍लाउडफ्लेयर उन आखिरी प्रोवाइडर्स में से थी, जो कीवी फार्म को सिक्‍योरिटी उपलब्‍ध करा रही थी। 

कीवी फार्म के मौजूदा स्‍वरूप की शुरुआत साल 2013 में हुई थी। जल्दी ही यह प्‍लेटफॉर्म ऑनलाइन उत्पीड़न अभियानों का केंद्र बन गया। कीवी फार्म कम्‍युनिटी से उपजे उत्पीड़न से कम से कम तीन आत्महत्याएं जुड़ी हुई हैं। फोरम के प्रतिभागी अक्सर खुले तौर पर स्वीकार करते हैं कि उनका लक्ष्य लोगों को जान लेने पर मजबूर करना है। इनके निशाने पर ट्रांस, नॉन-बाइनरी लोग, एलजीबीटीक्यू कम्‍युनिटी के लोग और महिलाएं होती हैं। 
 

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