HBD BS Chandrashekhar: पोलियो वाले हाथ को ही बनाया हथियार, इंग्लैंड-ऑस्ट्रेलिया में भारत को दिलाई पहली टेस्ट जीत


नई दिल्ली. 5 साल की उम्र में पोलियो हो जाना और फिर भी भारतीय क्रिकेट टीम में जगह हासिल कर लेना, यह मामूली बात नहीं है और ऐसा भारत की मशहूर स्पिन चौकड़ी में शामिल बीएस चंद्रशेखर ने किया था. 1960 और 70 के दशक में इस स्पिन चौकड़ी का दुनिया भर में डंका बज रहा था और इस चौकड़ी के सबसे खास सितारे थे चंद्रशेखर, जिनका दायां हाथ बचपन में पोलियो के कारण कमजोर हो गया था. हालांकि, वक्त बीतने के साथ उनके हाथ में जरूर सुधार हो गया. लेकिन यह पूरी तरह ठीक नहीं हुआ. चंद्रशेखर ने अपनी इसी कमजोरी को ही सबसे बड़ी ताकत बनाया और क्रिकेट के मैदान पर अपनी फिरकी गेंदबाजी का ऐसा कहर बरपाया, जिसे आज भी दुनिया याद करती है. आज उन्हीं बीएस चंद्रशेखर का जन्मदिन है. 17 मई, 1945 को चंद्रशेखर का जन्म मैसूर में हुआ और यहीं शुरुआती पढ़ाई हुई.

कुछ साल बाद चंद्रशेखर का परिवार बैंगलोर (अब बेंगलुरू) आ गया. यहीं से उनके क्रिकेट खेलने की शुरुआत हुई. पहले गली, फिर घरेलू और उसके बाद टीम इंडिया का सफर तय किया. अपनी यूनिक गेंदबाजी एक्शन और रन अप की वजह से चंद्रशेखऱ दूसरे गेंदबाजों के मुकाबले, ज्यादा तेजी से लेग स्पिन गेंदबाजी करते थे. उनकी गुगली और टॉप स्पिन को पकड़ पाना बल्लेबाजों के लिए आसान नहीं होता था. क्योंकि उनकी गेंदों की रफ्तार किसी मीडियम पेस गेंदबाज जैसी थी. अपनी इसी खूबी के दम पर चंद्रशेखऱ ने घरेलू क्रिकेट में बल्लेबाजों को काफी परेशान किया. 19 साल की उम्र में भारत के लिए टेस्ट डेब्यू का मौका मिल गया. इंग्लैंड के खिलाफ अपने पहले टेस्ट में चंद्रशेखर ने 4 विकेट लिए. लेकिन, इसके बाद तो वो बल्लेबाजों पर काल बनकर टूटना शुरू हुए.

चंद्रशेखर ने इंग्लैंड-ऑस्ट्रेलिया में भारत को पहली जीत दिलाई

भारतीय क्रिकेट टीम को 1971 में इंग्लैंड में पहली टेस्ट और सीरीज जीत मिली. इसमें बीएस चंद्रशेखर का अहम रोल रहा. ओवल में सीरीज का आखिरी टेस्ट था. पहले दो टेस्ट ड्रॉ हो चुके थे और सीरीज का फैसला ओवल टेस्ट पर टिका था. इंग्लैंड ने पहली पारी में भारत पर 71 रन की बढ़त हासिल कर, मैच पर पकड़ मजबूत कर ली थी. लेकिन, दूसरी पारी में इंग्लिश टीम इसका फायदा नहीं उठा सके. बीएस चंद्रशेखर की लेग ब्रेक ने इंग्लिश बल्लेबाजों को बेबस कर दिया. उन्होंने महज 38 रन देकर 6 विकेट लिए और इंग्लैंड की पूरी टीम 101 रन पर ऑल आउट हो गई. भारत ने 174 रन के टारगेट को 6 विकेट खोकर हासिल कर लिया और इस तरह इंग्लैंड में भारत पहली सीरीज जीता. इसके बाद 1977-78 में इस लेग ब्रेक गेंदबाज ने ऑस्ट्रेलिया में भारत को पहली टेस्ट जीत दिलाई. तब उन्होंने मेलबर्न टेस्ट में 104 रन देकर 12 विकेट लिए थे. पूरी सीरीज में चंद्रशेखर ने 28 शिकार किए.

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टेस्ट में रन बनाने से ज्यादा विकेट लिए

चंद्रशेखर की गिनती अच्छे स्पिन गेंदबाजों में होती थी. लेकिन, बल्लेबाजी में उनके हाथ तंग थे. इसका सबूत है करियर से जुड़े आंकड़े. चंद्रशेखर ने टेस्ट में कुल 167 रन बनाए, जबकि विकेट 242 लिए. यानी रन से ज्यादा विकेट हासिल किए. वो टेस्ट की 80 पारियों में से 38 में रन ही नहीं बना सके. चंद्रशेखर जब 1977-78 में ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर थे, तो इसी खराब बल्लेबाजी के कारण ही मेजबान टीम के खिलाड़ियों ने उन्हें एक बल्ला गिफ्ट किया था, जिसमें एक छेद था. उस दौरे पर वो 4 बार शून्य पर आउट हुए थे. जबकि उनकी गेंदें कहर बरपा रहीं थीं.

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चंद्रशेखर ने इकलौता वनडे न्यूजीलैंड के खिलाफ खेला था, जिसमें उन्होंने 3 विकेट लिए थे. उन्होंने फर्स्ट क्लास के 246 मैच में 1063 झटके थे.

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