पटना कलेक्ट्रेट परिसर: सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी पर विरासत विशेषज्ञों ने जताई चिंता, कहा- ऐतिहासिक इमारतों को ध्वस्त करना बुरी मिसाल कायम करेगा


सार

सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने देश-विदेश के हेरिटेज लवर्स को झकझोर कर रख दिया है। देश भर के इतिहास प्रेमियों और वास्तुकला प्रेमियों ने इसे एक बुरे दौर के रूप में वर्णित किया है।

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सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सदियों पुराने पटना कलेक्ट्रेट परिसर के स्तंभों को गिराए जाने के एक दिन बाद विरासत विशेषज्ञों ने चिंता जाहिर की। उनका कहना है कि ऐतिहासिक इमारतों को ध्वस्त करना एक बड़ा झटका है। हमें ऐसी इमारतों को संरक्षित करना चाहिए। विशेषज्ञों ने आशंका व्यक्त की कि यह देश भर में एक बुरी मिसाल कायम करेगा।

शीर्ष अदालत द्वारा राजधानी पटना के कलेक्ट्रेट कार्यालय की 350 साल पुरानी इमारत गिराने की इजाजत के एक दिन बाद शनिवार को बुलडोजर ने कलेक्ट्रेट परिसर में 1938 में बने जिला बोर्ड पटना भवन के सामने के स्तंभों को गिरा दिया, जिसके कुछ हिस्से डच काल के दौरान बनाए गए थे।

वास्तुकला प्रेमियों के लिए झटका
कोर्ट के आदेश ने देश-विदेश के हेरिटेज लवर्स को झकझोर कर रख दिया है। देश भर के इतिहास प्रेमियों और वास्तुकला प्रेमियों ने इसे एक बुरे सपने के रूप में वर्णित किया है। कोलकाता के लेखक अमित चौधरी ने बताया कि वह आश्चर्यचकित हैं कि कुछ लोग पहली बार में ऐसी ऐतिहासिक इमारतों को ध्वस्त करना चाहते थे।

सार्वजनिक अभियानों के लिए एक भयानक झटका होगा
आगे उन्होंने कहा कि लेकिन मैं फैसला सुनाने से पहले अदालत द्वारा की गई टिप्पणियों को पढ़कर अधिक चकित था, जो मुझे लगता है कि ऐतिहासिक इमारतों को विध्वंस से बचाने के लिए पूरे भारत में सार्वजनिक अभियानों के लिए एक भयानक झटका होगा। अमित चौधरी कोलकाता शहर की विरासत को बचाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत का फैसला देशभर में एक बहुत बुरी मिसाल पेश करेगा।

किसी भी ऐतिहासिक इमारत को गिराना होगा आसान
उन्होंने चिंता जाहिर की कि मुझे डर है कि कल किसी भी असुरक्षित पुरानी इमारत को कलेक्ट्रेट के मामले का हवाला देते हुए गिराया जा सकता है। साथ ही कहा, यह न केवल कलेक्ट्रेट के लिए बल्कि अन्य जगहों पर भी विरासत भवनों के लिए एक भयानक बात है। कोर्ट की टिप्पणी पर उन्होंने कहा कि मैं यह पढ़कर चौंक गया कि हर पुरानी इमारत को विरासत नहीं माना जा सकता है। 

सरकार को भूल जाओ, क्या लोग परवाह करते हैं
पटना के एक संरक्षण वास्तुकार और ऐतिहासिक पटना कलेक्ट्रेट बचाओ आंदोलन के सदस्य, जिन्होंने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि वह कलेक्ट्रेट के भाग्य को देखकर हैरान हैं। उन्होंने कहा कि हम सब दोषी हैं। सरकार को भूल जाओ, क्या लोग परवाह करते हैं? क्या लोग अभी भी परवाह करते हैं? यहां तक कि जब हम बोलते हैं, बुलडोजर इस विरासत को खत्म कर रहे हैं। हमारा पटना कंक्रीट और कांच के बक्से का जंगल बन जाएगा जिसमें कोई चरित्र नहीं है और कोई आत्मा नहीं है।

उन्होंने अफसोस जताया कि हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को क्या कहेंगे? अतीत और भविष्य साथ-साथ रह सकते हैं लेकिन पटना में विकास के नाम पर हमारा अतीत निगल लिया गया है। हमने एक लंबी और कठिन लड़ाई लड़ी, लेकिन अब मैं निराश महसूस कर रहा हूं। 

सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी याचिका

इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (INTACH) की पटना इकाई ने इस इमारत को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इमारत गिराने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए याचिका में कहा गया था कि इमारत शहर की सांस्कृतिक विरासत का एक प्रमुख हिस्सा है। इसे गिराने की बजाय संरक्षित किया जाना चाहिए। इस इमारत का इस्तेमाल अंग्रेज अफीम और नमक के भंडारण के गोदाम के रूप में करते थे। 

विस्तार

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सदियों पुराने पटना कलेक्ट्रेट परिसर के स्तंभों को गिराए जाने के एक दिन बाद विरासत विशेषज्ञों ने चिंता जाहिर की। उनका कहना है कि ऐतिहासिक इमारतों को ध्वस्त करना एक बड़ा झटका है। हमें ऐसी इमारतों को संरक्षित करना चाहिए। विशेषज्ञों ने आशंका व्यक्त की कि यह देश भर में एक बुरी मिसाल कायम करेगा।

शीर्ष अदालत द्वारा राजधानी पटना के कलेक्ट्रेट कार्यालय की 350 साल पुरानी इमारत गिराने की इजाजत के एक दिन बाद शनिवार को बुलडोजर ने कलेक्ट्रेट परिसर में 1938 में बने जिला बोर्ड पटना भवन के सामने के स्तंभों को गिरा दिया, जिसके कुछ हिस्से डच काल के दौरान बनाए गए थे।

वास्तुकला प्रेमियों के लिए झटका

कोर्ट के आदेश ने देश-विदेश के हेरिटेज लवर्स को झकझोर कर रख दिया है। देश भर के इतिहास प्रेमियों और वास्तुकला प्रेमियों ने इसे एक बुरे सपने के रूप में वर्णित किया है। कोलकाता के लेखक अमित चौधरी ने बताया कि वह आश्चर्यचकित हैं कि कुछ लोग पहली बार में ऐसी ऐतिहासिक इमारतों को ध्वस्त करना चाहते थे।

सार्वजनिक अभियानों के लिए एक भयानक झटका होगा

आगे उन्होंने कहा कि लेकिन मैं फैसला सुनाने से पहले अदालत द्वारा की गई टिप्पणियों को पढ़कर अधिक चकित था, जो मुझे लगता है कि ऐतिहासिक इमारतों को विध्वंस से बचाने के लिए पूरे भारत में सार्वजनिक अभियानों के लिए एक भयानक झटका होगा। अमित चौधरी कोलकाता शहर की विरासत को बचाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत का फैसला देशभर में एक बहुत बुरी मिसाल पेश करेगा।

किसी भी ऐतिहासिक इमारत को गिराना होगा आसान

उन्होंने चिंता जाहिर की कि मुझे डर है कि कल किसी भी असुरक्षित पुरानी इमारत को कलेक्ट्रेट के मामले का हवाला देते हुए गिराया जा सकता है। साथ ही कहा, यह न केवल कलेक्ट्रेट के लिए बल्कि अन्य जगहों पर भी विरासत भवनों के लिए एक भयानक बात है। कोर्ट की टिप्पणी पर उन्होंने कहा कि मैं यह पढ़कर चौंक गया कि हर पुरानी इमारत को विरासत नहीं माना जा सकता है। 

सरकार को भूल जाओ, क्या लोग परवाह करते हैं

पटना के एक संरक्षण वास्तुकार और ऐतिहासिक पटना कलेक्ट्रेट बचाओ आंदोलन के सदस्य, जिन्होंने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि वह कलेक्ट्रेट के भाग्य को देखकर हैरान हैं। उन्होंने कहा कि हम सब दोषी हैं। सरकार को भूल जाओ, क्या लोग परवाह करते हैं? क्या लोग अभी भी परवाह करते हैं? यहां तक कि जब हम बोलते हैं, बुलडोजर इस विरासत को खत्म कर रहे हैं। हमारा पटना कंक्रीट और कांच के बक्से का जंगल बन जाएगा जिसमें कोई चरित्र नहीं है और कोई आत्मा नहीं है।

उन्होंने अफसोस जताया कि हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को क्या कहेंगे? अतीत और भविष्य साथ-साथ रह सकते हैं लेकिन पटना में विकास के नाम पर हमारा अतीत निगल लिया गया है। हमने एक लंबी और कठिन लड़ाई लड़ी, लेकिन अब मैं निराश महसूस कर रहा हूं। 

सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी याचिका

इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (INTACH) की पटना इकाई ने इस इमारत को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इमारत गिराने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए याचिका में कहा गया था कि इमारत शहर की सांस्कृतिक विरासत का एक प्रमुख हिस्सा है। इसे गिराने की बजाय संरक्षित किया जाना चाहिए। इस इमारत का इस्तेमाल अंग्रेज अफीम और नमक के भंडारण के गोदाम के रूप में करते थे। 



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