Bundelkhand Expressway: कितना खास है यूपी का नया एक्सप्रेस-वे, आने वाले वक्त में और कितने एक्सप्रेसवे बढ़ाएंगे रफ्तार?


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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को 296 किलोमीटर लंबे बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे का उद्घाटन कर दिया। ये एक्सप्रेसवे बुंदेलखंड के सात जिलों से गुजरेगा। चित्रकूट से शुरू होकर इटावा जाने वाला यह एक्सप्रेसवे इटावा के कुदरैल गांव में लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे से जुड़ेगा।  

रिकॉर्ड 28 महीने में बनकर तैयार हुआ ये एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश का चौथा एक्सप्रेसवे है। बीते 15 साल में उत्तर प्रदेश की राजनीति और विकास में एक्सप्रेसवे हमेशा चर्चा में रहे हैं। इससे पहले यमुना एक्सप्रेसवे, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे, पूर्वांचल एक्सप्रेसवे शुरू हो चुके हैं। इन चारों एक्सप्रेसवे के शुरू होने के बाद प्रदेश में कुल 1104 किलोमीटर से ज्यादा दूरी एक्सप्रेसवे से तय हो सकती है। 
आइये जानते हैं नए शुरू हुए बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे में क्या खास है? यह किन जिलों से गुजरेगा? इसके शुरू होने से बुंदेलखंड के लोगों का दिल्ली तक का सफर कितना आसान हो जाएगा? इससे पहले बने तीन एक्सप्रेसवे की क्या खासियत है? ये कब से चल रहे हैं?  
सबसे पहले बात बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फरवरी 2020 में इस एक्सप्रेसवे की आधारशिला रखी थी। इसे मार्च 2023 से पहले पूरा होना था, लेकिन यह तय समय से आठ महीने पहले बनकर तैयार हो गया। 296 किलोमीटर लंबे इस एक्सप्रेसवे को बनाने में 14 हजार 850 करोड़ रुपये की कुल लागत आई है। जो तय बजट से कम है। यानी, यह एक्सप्रेसवे तय समय से से पहले और तय बजट से कम में बनकर तैयार हुआ है। इससे एक्सप्रेसवे को बनाने वाली यूपीडा को लगभग 1132 करोड़ रुपये का फायदा हुआ है।

किन जिलों से गुजरेगा बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे?
सात जिलों से गुजरने वाला एक्सप्रेसवे चित्रकूट के गोंडा गांव से शुरु होगा। बांदा, महोबा, हमीरपुर, जालौन, औरैया होते हुए इटावा के कुंडरैल गांव में लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे से जाकर मिलेगा। चार लेन का ये एक्सप्रेसवे आगे चलकर छह लेन का हो जाएगा। 

इसमें चार रेलवे ओवर ब्रिज, 14 बड़े पुल, 266 छोटे पुल, 18 फ्लाइओवर, 13 टोल प्लाजा और 7 रैंप प्लाजा हैं। एक्सप्रेस-वे के आसपास 7 लाख पेड़ लगाने का काम शुरू हो चुका है। इस एक्सप्रेस वे के दोनों तरफ इंडस्ट्रियल एरिया बनाया जाएगा, इसको लेकर भी प्रस्ताव तैयार हो चुका है। 
 दिल्ली तक का सफर कितना बदलेगा?

इस एक्सप्रेस-वे के शुरू होने के बाद चित्रकूट से राजधानी दिल्ली तक का सफर लगभग 7 से 8 घंटे में पूरा किया जा सकेगा। अभी कार से चित्रकूट से दिल्ली जाने में 12 से 13 घंटे लगते हैं। वहीं, ट्रेन से बांदा से दिल्ली जाने में करीब 12 घंटे का वक्त लगता है। बांदा से जाने वालों को पहले बांदा से कानपुर जाना होता है इसके बाद कानपुर से लखनऊ एक्सप्रेसवे पकड़ना होता है। अब सीधे इटावा से लखनऊ एक्सप्रेसवे पर जाया जा सकेगा। इटावा से लखनऊ एक्स्प्रेसवे और फिर यमुना एक्सप्रेसवे से सीधे दिल्ली पहुंचा जा सकेगा। इससे करीब चार घंटे का वक्त बचेगा।
इसमें चलने वाले वाहनों की सुरक्षा की दृष्टि से छह पुलिस उपाधीक्षक सहित 128 पुलिस जवानों को तैनात किया गया है। साथ में 12 इनोवा वाहन लगाए गए हैं। यह 24 घंटे यहां से गुजरने वाले वाहनों पर निगाह रखेंगे। 

यमुना एक्सप्रेसवे प्रदेश का पहला एक्सप्रेसवे, बनने में लगे 11 साल 

उत्तर प्रदेश का एक्सप्रेसवे नेटवर्क एक हजार एक सौ किमी से ज्यादा हो चुका है। आने वाले वक्त में करीब सात सौ किमी का एक्प्रेसवे नेटवर्क और बनकर तैयार होगा। प्रदेश में बना सबसे पहला एक्सप्रेसवे ताज एक्सप्रेसवे था। जिसे बाद में यमुना एक्सप्रेसवे नाम दिया गया। 
165.5 किमी लंबे इस एक्सप्रेसवे की शुरुआत नौ अगस्त 2012 को हुई  थी। इस एक्सप्रेसवे की कल्पना 2001 में भाजपा की राजनाथ सरकार के दौरान की गई। 2007 से 2012 के दौरान जब प्रदेश में मायावती की सरकार थी उस वक्त इस प्रोजेक्ट ने मूर्त रूप लिया और अगस्त 2012 में तब के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इसका उद्घाटन किया। 

चुनावी राजनीति का बड़ा मुद्दा बना एक्सप्रेसवे

2017 के विधानसभा चुनाव में एक्सप्रेसवे चुनावी मुद्दा बना। 2022 में भी ये जारी रहा। 2017 के चुनाव से पहले तब के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आगरा लखनऊ एक्सप्रेसवे का उद्धाटन किया। वहीं, चुनाव से ठीक पहले समाजवादी पूर्वांचल एक्सप्रेसवे की आधारशिला रखी गई, जिसे बाद में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे नाम दे दिया गया। वहीं, 2022 के विधानसभा चुनाव चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का उद्धाटन किया।
 

क्या उत्तर प्रदेश में और भी एक्सप्रेसवे बनने हैं?

जी हां। और भी एक्सप्रेसवे हैं जिनका काम चल रहा है। इनमें सबसे अहम और बड़ा है गंगा एक्सप्रेसवे। 596 किलोमीटर लंबा गंगा एक्सप्रेसवे मेरठ से प्रयागराज तक जाएगा। इसके दूसरे फेज में इसे प्रयागराज से बलिया तक और टिंगरी से उत्तराखंड बॉर्डर तक बढ़ाया जाएगा। इस एक्सप्रेसवे का काम 2024 तक पूरा होने की उम्मीद है। 

इसी तरह 91 किमी लंबा गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे भी 2023 तक बनने की उम्मीद है। ये लिंक एक्सप्रेसवे गोरखपुर को पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से जोड़ेगा। इसी तरह लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेसवे कानपुर को लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे से जोड़ेगा। दिल्ली-सहारनपुर-देहरादून एक्सप्रेसवे, गोरखपुर सिलिगुड़ी एक्सप्रेसवे जैसे एक्सप्रेसवे भी उत्तर प्रदेश से होकर गुजरेंगे।

विस्तार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को 296 किलोमीटर लंबे बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे का उद्घाटन कर दिया। ये एक्सप्रेसवे बुंदेलखंड के सात जिलों से गुजरेगा। चित्रकूट से शुरू होकर इटावा जाने वाला यह एक्सप्रेसवे इटावा के कुदरैल गांव में लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे से जुड़ेगा।  

रिकॉर्ड 28 महीने में बनकर तैयार हुआ ये एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश का चौथा एक्सप्रेसवे है। बीते 15 साल में उत्तर प्रदेश की राजनीति और विकास में एक्सप्रेसवे हमेशा चर्चा में रहे हैं। इससे पहले यमुना एक्सप्रेसवे, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे, पूर्वांचल एक्सप्रेसवे शुरू हो चुके हैं। इन चारों एक्सप्रेसवे के शुरू होने के बाद प्रदेश में कुल 1104 किलोमीटर से ज्यादा दूरी एक्सप्रेसवे से तय हो सकती है। 

आइये जानते हैं नए शुरू हुए बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे में क्या खास है? यह किन जिलों से गुजरेगा? इसके शुरू होने से बुंदेलखंड के लोगों का दिल्ली तक का सफर कितना आसान हो जाएगा? इससे पहले बने तीन एक्सप्रेसवे की क्या खासियत है? ये कब से चल रहे हैं?  

सबसे पहले बात बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फरवरी 2020 में इस एक्सप्रेसवे की आधारशिला रखी थी। इसे मार्च 2023 से पहले पूरा होना था, लेकिन यह तय समय से आठ महीने पहले बनकर तैयार हो गया। 296 किलोमीटर लंबे इस एक्सप्रेसवे को बनाने में 14 हजार 850 करोड़ रुपये की कुल लागत आई है। जो तय बजट से कम है। यानी, यह एक्सप्रेसवे तय समय से से पहले और तय बजट से कम में बनकर तैयार हुआ है। इससे एक्सप्रेसवे को बनाने वाली यूपीडा को लगभग 1132 करोड़ रुपये का फायदा हुआ है।



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