हैदराबाद: सीसीएमबी के वैज्ञानिकों ने नई एमआरएनए प्रौद्योगिकी-आधारित कोविड-19 वैक्सीन की घोषणा की


सार

सीसीएमबी की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि नए विकसित एमआरएनए वैक्सीन की तकनीक स्वदेशी है और इसमें कहीं से किसी अन्य तकनीकी का सहारा नहीं लिया गया है। सीएसआईआर-सीसीएमबी ने प्रयोगशाला में चूहों पर प्रयोग कर पहली स्वदेशी एमआरएनए वैक्सीन प्रौद्योगिकी के ‘सिद्धांत के प्रमाण’ की सफलता की घोषणा की है।  

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भारतीयों वैज्ञानिकों ने स्वदेश में विकसित नए एमआरएनए वैक्सीन की घोषणा की है। हैदराबाद स्थित वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) ने शुक्रवार को सार्स-कोव-2 (SARS-CoV-2) के खिलाफ एक संभावित एमआरएनए वैक्सीन के विकास की घोषणा की।

सीसीएमबी की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि नए विकसित एमआरएनए वैक्सीन की तकनीक स्वदेशी है और इसमें कहीं से किसी अन्य तकनीकी का सहारा नहीं लिया गया है। सीएसआईआर-सीसीएमबी ने प्रयोगशाला में चूहों पर प्रयोग कर पहली स्वदेशी एमआरएनए वैक्सीन प्रौद्योगिकी के ‘सिद्धांत के प्रमाण’ की सफलता की घोषणा की है।  

विज्ञप्ति में कहा गया है कि अटल इनक्यूबेशन सेंटर-सीसीएमबी (एआईसी-सीसीएमबी) की टीम के नेतृत्व में इस वैक्सीन का विकास किया गया है।सीएसआईआर-सीसीएमबी देश में एमआरएनए वैक्सीन प्रौद्योगिकी के विकास का नेतृत्व कर रहा है। एमआरएनए टीके आज अग्रणी टीका प्रौद्योगिकियों में से एक है। दुनिया ने कोविड-19 महामारी के दौरान पहले एमआरएनए टीकों की शक्ति देखी है।

एमआरएनए टीका रोग पैदा करने वाले सूक्ष्म जीवों की पहचान करने और बाद में उसका सामना कर उसे जल्दी से खत्म करने के लिए हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है। 

परियोजना में शामिल वैज्ञानिक राजेश अय्यर ने कहा, “हमने एमआरएनए की दो खुराक देने पर चूहों में सार्स-कोव-2 स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया देखी। इससे उत्पन्न एंटी-स्पाइक एंटीबॉडी मानव के एंजियोटेंसिन-परिवर्तित एंजाइम2 (ACE2) रिसेप्टर को कोरोनवायरस को रोकने में 90 प्रतिशत से अधिक सक्षम बनाते है। 

विज्ञप्ति में कहा गया है कि वर्तमान में, एमआरएनए वैक्सीन वायरस संक्रमण से बचाने के लिए इसकी प्रभावकारिता का मूल्यांकन करने के लिए पूर्व-नैदानिक (प्री क्लीनिकल) चुनौती अध्ययन से गुजर रहा है।

एआईसी-सीसीएमबी के सीईओ और इस प्रोजेक्ट के प्रमुख वैज्ञानिक मधुसूदन राव ने कहा, “हमारे इस वैक्सीन कार्यक्रम की सराहना की गई है, हालांकि, हमारे पास शक्तिशाली एमआरएनए वैक्सीन तकनीक की कमी थी, जैसा कि कोविड-19 का मुकाबला करने के लिए अमेरिका और यूरोप में मॉडर्न या फाइजर / बायोएनटेक द्वारा विकसित किया गया था।” उन्होंने कहा कि हमने यहां जो एमआरएनए वैक्सीन विकसित किया है वह स्व-प्रतिकृति आरएनए पर आधारित है और जेनोवा बायो द्वारा विकसित किए जा रहे एमआरएनए वैक्सीन से अलग है।”

घरेलू एमआरएनए वैक्सीन प्लेटफॉर्म अन्य संक्रामक रोगों जैसे टीबी, डेंगू, मलेरिया चिकनगुनिया, दुर्लभ आनुवंशिक रोगों और अन्य से निपटने का वादा करता है। सीसीएमबी के निदेशक ने कहा, “इस तकनीक की सुंदरता समय के साथ तेजी से बदल रही है, जिसका अर्थ है कि अन्य बीमारियों के लिए टीके विकसित किए जा सकते हैं या विभिन्न रूपों को कवर करने वाला एक पैन-कोविड वैक्सीन विकसित किया जा सकता है।”

विस्तार

भारतीयों वैज्ञानिकों ने स्वदेश में विकसित नए एमआरएनए वैक्सीन की घोषणा की है। हैदराबाद स्थित वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) ने शुक्रवार को सार्स-कोव-2 (SARS-CoV-2) के खिलाफ एक संभावित एमआरएनए वैक्सीन के विकास की घोषणा की।

सीसीएमबी की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि नए विकसित एमआरएनए वैक्सीन की तकनीक स्वदेशी है और इसमें कहीं से किसी अन्य तकनीकी का सहारा नहीं लिया गया है। सीएसआईआर-सीसीएमबी ने प्रयोगशाला में चूहों पर प्रयोग कर पहली स्वदेशी एमआरएनए वैक्सीन प्रौद्योगिकी के ‘सिद्धांत के प्रमाण’ की सफलता की घोषणा की है।  

विज्ञप्ति में कहा गया है कि अटल इनक्यूबेशन सेंटर-सीसीएमबी (एआईसी-सीसीएमबी) की टीम के नेतृत्व में इस वैक्सीन का विकास किया गया है।सीएसआईआर-सीसीएमबी देश में एमआरएनए वैक्सीन प्रौद्योगिकी के विकास का नेतृत्व कर रहा है। एमआरएनए टीके आज अग्रणी टीका प्रौद्योगिकियों में से एक है। दुनिया ने कोविड-19 महामारी के दौरान पहले एमआरएनए टीकों की शक्ति देखी है।


एमआरएनए टीका रोग पैदा करने वाले सूक्ष्म जीवों की पहचान करने और बाद में उसका सामना कर उसे जल्दी से खत्म करने के लिए हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है। 

परियोजना में शामिल वैज्ञानिक राजेश अय्यर ने कहा, “हमने एमआरएनए की दो खुराक देने पर चूहों में सार्स-कोव-2 स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया देखी। इससे उत्पन्न एंटी-स्पाइक एंटीबॉडी मानव के एंजियोटेंसिन-परिवर्तित एंजाइम2 (ACE2) रिसेप्टर को कोरोनवायरस को रोकने में 90 प्रतिशत से अधिक सक्षम बनाते है। 

विज्ञप्ति में कहा गया है कि वर्तमान में, एमआरएनए वैक्सीन वायरस संक्रमण से बचाने के लिए इसकी प्रभावकारिता का मूल्यांकन करने के लिए पूर्व-नैदानिक (प्री क्लीनिकल) चुनौती अध्ययन से गुजर रहा है।

एआईसी-सीसीएमबी के सीईओ और इस प्रोजेक्ट के प्रमुख वैज्ञानिक मधुसूदन राव ने कहा, “हमारे इस वैक्सीन कार्यक्रम की सराहना की गई है, हालांकि, हमारे पास शक्तिशाली एमआरएनए वैक्सीन तकनीक की कमी थी, जैसा कि कोविड-19 का मुकाबला करने के लिए अमेरिका और यूरोप में मॉडर्न या फाइजर / बायोएनटेक द्वारा विकसित किया गया था।” उन्होंने कहा कि हमने यहां जो एमआरएनए वैक्सीन विकसित किया है वह स्व-प्रतिकृति आरएनए पर आधारित है और जेनोवा बायो द्वारा विकसित किए जा रहे एमआरएनए वैक्सीन से अलग है।”

घरेलू एमआरएनए वैक्सीन प्लेटफॉर्म अन्य संक्रामक रोगों जैसे टीबी, डेंगू, मलेरिया चिकनगुनिया, दुर्लभ आनुवंशिक रोगों और अन्य से निपटने का वादा करता है। सीसीएमबी के निदेशक ने कहा, “इस तकनीक की सुंदरता समय के साथ तेजी से बदल रही है, जिसका अर्थ है कि अन्य बीमारियों के लिए टीके विकसित किए जा सकते हैं या विभिन्न रूपों को कवर करने वाला एक पैन-कोविड वैक्सीन विकसित किया जा सकता है।”



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