बॉलीवुड को ‘जब वी मेट’, ‘लव आजकल’, ‘हाइवे’, ‘रॉकस्टार’ जैसी शानदार फिल्में देने वाले निर्मता-निर्देशक और राइटर इम्तियाज अली आज अपना जन्मदिन मना रहे हैं। उन्होंने अपनी फिल्मों से दर्शकों के दिलों में एक अलग जगह बनाई है। अगर उनकी जिंदगी की बात की जाए तो यह भी कुछ-कुछ फिल्मी सी है। इम्तियाज, बिहार के दरभंगा से ताल्लुक रखते हैं, जिन्होंने वाया दिल्ली अपने लिए मुंबई में मुकाम बनाया। इनकी जिंदगी का काफी हिस्सा जमशेदपुर में बीता है और आज वह जिस मुकाम पर हैं, उसकी दिशा भी वहीं से तय हुई। कई जबरदस्त फिल्में देने वाले निर्देशक इम्तियाज अली आज ओटीटी की दुनिया में सक्रिय हैं। मगर इस प्लेटफॉर्म पर वह जिस तरह का सिनेमा दिखा रहे हैं, वह उन्हें सवालों के घेरे में लाकर खड़ा करता है। इम्तियाज के जन्मदिन पर जानते हैं उनके निर्देशक बनने से पहले और बाद की जिंदगी के बारे में…
इस तरह बढ़ी थिएटर में दिलचस्पी
इम्तियाज अली का जन्म 16 जून 1971 को झारखंड के जमेशदपुर में हुआ। इन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई पटना के सेंट जेवियर्स से की। फिर आगे की पढ़ाई के लिए यह जमशेदपुर आ गए। यहां इम्तियाज अपनी चाची के पास रहते थे। घर के पास में ही थिएटर था, जहां वह अक्सर फिल्में देखने जाते। यहीं से सिनेमा और थिएटर में उनकी दिलचस्पी बढ़ी। जमशेदपुर में ही वह खुद भी थिएटर करने लगे और बचे वक्त में स्क्रिप्ट लिखने लगे। फिर आगे की पढ़ाई के लिए वह दिल्ली चले आए और दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज से पढ़ाई की। यहां वह थिएटर में भी हिस्सा लेते थे। इसके बाद आगे का सपना पूरा करने के लिए उन्होंने मुंबई का रुख किया। मुंबई में रहकर इम्तियाज ने जेवियर्स इंस्टीट्यूट ऑफि कम्युनिकेशन में डिप्लोमा कोर्स किया।
टीवी की दुनिया से निर्देशन की शुरुआत
इम्तियाज अली ने निर्देशन की शुरुआत टीवी से की। उन्होंने जीटीवी के शो ‘कुरुक्षेत्र’ और दूरदर्शन के शो ‘महाभारत’ का निर्देशन किया। इसके बाद उन्होंने फिल्मों का रुख कर लिया। वर्ष 2005 में बतौर निर्देशक उनकी पहली फिल्म ‘सोचा न था’ सिल्वर स्क्रीन पर रिलीज हुई। इस फिल्म में अभय देओल और आयशा टाकिया मुख्य किरदार में नजर आए। एक बातचीत में उन्होंने बताया कि इसे बनाने में चार साल का समय लगा था। हालांकि, फिल्म बॉक्स-ऑफिस पर खास कमाल नहीं कर पाई थी। मगर इसे बनाते हुए उन्होंने फिल्म बनाने की कई बारीकियां सीखीं। इसके बाद साल 2006 में आई इम्तियाज की अगली फिल्म ‘आहिस्ता आहिस्ता’ को भी खास प्रतिक्रिया नहीं मिली। लेकिन 2007 में आई ‘जब वी मेट’ ने इम्तियाज अली की किस्मत बदल दी। कई सालों के संघर्ष के बाद इस फिल्म ने उन्हें सफल निर्देशक के रूप में पहचान दिलाई, जिसके बाद इम्तियाज अली की गाड़ी चल पड़ी। इसके बाद उन्होंने ‘रॉकस्टार’,’हैरी मेट सेजल’, ‘हाइवे’ और ‘लव आज कल’ जैसी फिल्में बनाईं।
एक्टर बनने का सपना नहीं हुआ पूरा
इम्तियाज अली बॉलीवुड इंडस्ट्री में अभिनेता बनने का सपना लेकर आए थे, मगर वह अधूरा रह गया। हालांकि, अनुराग कश्यप की फिल्म ‘ब्लैक फ्राइडे’ में इन्होंने याकूब मेनन का किरदार किया था, लेकिन एक्टिंग पर उनकी पकड़ नहीं जमी। लिहाजा, इन्होंने निर्देशन में ही सिक्का जमाया। कई सफल फिल्में देने के बाद इम्तियाज अली ने अपना प्रोडक्शन हाउस खोला, जिसका नाम विंडो सीट फिल्म्स है। इस प्रोडक्शन हाउस की पहली फिल्म ‘हाइवे’ थी, जिसमें आलिया भट्ट और रणदीप हुड्डा मुख्य भूमिका में नजर आए।
‘शी’ जैसी वेबसीरीज बनाने की जरूरत क्यों पड़ी?
फिलहाल इम्तियाज अली बतौर निर्माता ओटीटी पर भी सक्रिय हैं। नेटफ्लिक्स की वेब सीरीज ‘शी सीजन वन’ के बाद अब इसका दूसरा सीजन 17 जून को यानी कल आ रहा है। इम्तियाज अली इस शो के लेखक भी हैं। हालांकि, उनके चाहने वालों के मन में एक सवाल है कि फैमिली ऑरिएंटेड फिल्में बनाने वाले शख्स को आखिर अब जाकर ‘शी’ जैसी वेब सीरीज बनाने की जरूरत क्यों पड़ रही है? एक स्तर का सिनेमा देने के बाद अचानक इम्तियाज ने क्या सोचकर ‘शी’ बनाने पर विचार किया होगा? इसका जवाब यही हो सकता है कि आदमी जब फ्लॉप होता है तो उसे चर्चा में आने के लिए कुछ भी करना पड़ता है। एक तरफ तमाम सितारे बॉलीवुड में अच्छी पहचान नहीं मिलने की वजह से ओटीटी का रख कर रहे हैं और यहां सिक्का जमा रहे हैं। मगर, इम्तियाज अली को देखकर लग रहा है, जैसे उल्टी दिशा में चल पड़े हैं। उन्होंने अपने मजबूत निर्देशन के बूते बॉलीवुड में जो साख बनाई, कहीं ओटीटी की दुनिया में उसे खो न बैठें।