Share Market Update : शेयर बाजार इस समय काफी उतार-चढ़ाव चल रहा है. बाजार एक दिन दिन में ही कभी चढ़ता है तो कभी अचानक नीचे आ जाता है. इस भारी उछल पुथल के बीच निवेशक परेशान हैं. कहां निवेश करें या न करें. ऐसी स्थिति में InCred Asset Management के सीईओ और सीआईओ मृणाल सिंह ने मनीकंट्रोल से मार्केट के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की.
उन्होंने कहा कि निवेशक मार्केट के लेवल के आधार पर निवेश करने का निर्णय कतई ना लें. अगर लंबी अवधि के नजरिए से आप अच्छा पोर्टफोलियो बनाने चाहते हैं तो आपको अच्छी कंपनियों की पहचान करनी चाहिए और लंबे नजरिए से उनमें निवेश करना चाहिए. यही शेयर बाजार में पैसे कमाने का मूलमंत्र है.
कहां निवेश करना फायदेमंद
हमारा झुकाव उन सेक्टरों की तरफ ज्यादा है कि जिनको आगे डॉमेस्टिक मैन्यूफैक्चरिंग पर बढ़ रहे फोकस का फायदा मिलेगा और जिनको चाइना प्लस वन पॉलिसी के चलते आगे नए बाजार मिलने की संभावना है. मृणाल सिंह इसके पहले ICICI Prudential AMC के साथ सीआईओ के तौर पर भी काम कर चुके हैं.
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अच्छी कंपनियों में अच्छे भाव पर खरीदारी का मौका
बाजार पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि बढ़ती महंगाई, वर्तमान जियोपॉलिटिकल तनाव, कच्चे तेल की कीमतों में बढत, ब्याज दरों में बढ़ोतरी जैसी वजहों से बाजार में भारी गिरावट देखने को मिली है लेकिन ध्यान रखें कि यह गिरावट स्थाई नहीं है. यह गिरावट हमें अच्छे करोबार वाली ,अच्छी ग्रोथ की संभावना वाली कंपनियों में अच्छे भाव पर खरीदारी का मौका दे रही है.
आगे की संभावनाएं काफी मजबूत
मृणाल सिंह ने कहा कि इंडियन इकोनॉमी के लिए आगे की संभावनाएं काफी मजबूत नजर आ रही हैं. हमें ऐसे सेगमेंट में आगे के लिए काफी अच्छी संभावनाएं दिख रही है जिनको क्षमता विस्तार का फायदा मिलेगा. हमारा झुकाव उन सेक्टरों की तरफ ज्यादा है कि जिनको आगे डोमेस्टिक मैन्यूफैक्चरिंग पर बढ़ रहे फोकस का फायदा मिलेगा और जिनको चाइना प्लस वन पॉलिसी के चलते आगे नए बाजार मिलने की संभावना है.
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किन सेक्टर पर फोकस करें
उन्होंने आगे कहा कि इन सेक्टर के अलावा टेक्सटाइल, केमिकल, इंजीनियरिंग बोर्ड्स और ऑटोमोबाइल में भी काफी संभावना नजर आ रही है. ऑटो मोबाइल में खासकर उन कंपनियों पर नजर रखनी चाहिए जिनका फोकस ग्रीन एनर्जी पर है. इसके अलावा हाउसिंग और मॉर्गेज से जुड़े कारोबार पर भी नजर रहनी चाहिए.
उन्होंने आगे कहा कि व्यक्तिगत खपत से जुड़े सेक्टर जैसे इंडिविजुअल मोबिलिटी, एजुकेशन, लेजर, ट्रैवल, इंटरटेनमेंट और कंज्यूमर ड्यूरेबल देश के प्रति व्यक्ति आय को 2030 तक 4700 डॉलर करने में अहम भूमिका निभाएंगे. बता दें कि IMF के आंकड़ों के मुताबिक वर्तमान में भारत की प्रति व्यक्ति आय 2200 डॉलर के आसपास है.
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