भारत-चीन संबंध: एस जयशंकर की चीनी विदेश मंत्री से हुई तीन घंटे लंबी बातचीत, विदेश मंत्री ने सुनाई खरी-खरी 


एएनआई, नई दिल्ली
Published by: Amit Mandal
Updated Fri, 25 Mar 2022 04:07 PM IST

सार

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आज चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने दो टूक कहा कि सीमा पर शांति ही दोनों देशों के बीच स्थिर और आपकी संबंधों का आधार बनेगी। 

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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को साफ कहा कि भारत-चीन सीमा पर शांति ही दोनों देशों के बीच स्थिर और आपसी रिश्तों का आधार बनेगा। चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात के बाद जयशंकर ने यह बात कही। दोनों नेताओं के बीच करीब तीन घंटे लंबी बातचीत चली। जयशंकर ने कहा कि उन्होंने और चीनी विदेश मंत्री ने स्पष्ट तरीके से अहम मुद्दों पर बातचीत की। 

चीनी विदेश मंत्री के साथ प्रतिनिधिस्तर की वार्ता के बाद जयशंकर ने कहा कि अभी जो मौजूदा स्थिति में प्रगति धीमी गति से चल रही है। मेरी आज वांग यी से हुई मुलाकात में इसी में तेजी लाने पर बात हुई है। हमने अपने द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की जो अप्रैल 2020 से चीनी कार्रवाइयों के परिणामस्वरूप बाधित हुई है।

सीमाई क्षेत्रों में शांति ही बनेगी सहयोग का आधार 
उन्होंने कहा, पिछले दो साल के दौरान सीमाई क्षेत्रों में तनाव का असर दोनों देशों के बीच नजर आया है। सीमा पर शांति दोनों देशों के बीच स्थिर और सहयोगी संबंधों का आधार है। हमारे बीच इस आधार को मजबूत करने और आज सामने आ रही मुश्किलों को दूर करने का समझौता भी है। 

अजीत डोभाल से भी हुई वांग यी की मुलाकात
वहीं, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने वांग यी से कहा कि भारत-चीन संबंध को अगर आगे ले जाना है तो सबसे पहले सीमा पर जल्द और पूरे तरीके से सैनिकों को हटाने पर काम होना चाहिए। चीनी विदेश मंत्री और डोभाल के बीच हुई मुलाकात में इस बात पर जोर रहा कि दोनों ओर से ऐसा कोई कार्रवाई न हो जिससे उनके बीच एक-दूसरे की सुरक्षा पर कोई आंच आए। 

चीन के विदेश मंत्री यी गुरुवार को दिल्ली पहुंचे थे। उनकी यात्रा का मुख्य मकसद दोनों देशों के बीच कोरोना महामारी के दौर के बाद प्रत्यक्ष वार्ता शुरू करना है। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस साल होने वाली ब्रिक्स देशों की बीजिंग बैठक का  न्योता भी देने वाले हैं।  

दो साल से लद्दाख में गतिरोध
मई 2020 के बाद से दोनों देशों के बीच लद्दाख में गतिरोध कायम है। इसके बाद से किसी वरिष्ठ चीनी नेता की यह पहली भारत यात्रा है। पिछले महीने विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा था कि चीन के साथ भारत के संबंध बहुत कठिन दौर से गुजर रहे हैं। गलवान घाटी में हिंसक संघर्ष के बाद दोनों देशों ने गतिरोध दूर करने के लिए कई दौर की सीमा वार्ता की है। भारत लद्दाख में तनाव वाले सभी इलाकों से सेना की पूरी तरह वापसी पर अड़ा हुआ है। 

विस्तार

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को साफ कहा कि भारत-चीन सीमा पर शांति ही दोनों देशों के बीच स्थिर और आपसी रिश्तों का आधार बनेगा। चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात के बाद जयशंकर ने यह बात कही। दोनों नेताओं के बीच करीब तीन घंटे लंबी बातचीत चली। जयशंकर ने कहा कि उन्होंने और चीनी विदेश मंत्री ने स्पष्ट तरीके से अहम मुद्दों पर बातचीत की। 

चीनी विदेश मंत्री के साथ प्रतिनिधिस्तर की वार्ता के बाद जयशंकर ने कहा कि अभी जो मौजूदा स्थिति में प्रगति धीमी गति से चल रही है। मेरी आज वांग यी से हुई मुलाकात में इसी में तेजी लाने पर बात हुई है। हमने अपने द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की जो अप्रैल 2020 से चीनी कार्रवाइयों के परिणामस्वरूप बाधित हुई है।

सीमाई क्षेत्रों में शांति ही बनेगी सहयोग का आधार 

उन्होंने कहा, पिछले दो साल के दौरान सीमाई क्षेत्रों में तनाव का असर दोनों देशों के बीच नजर आया है। सीमा पर शांति दोनों देशों के बीच स्थिर और सहयोगी संबंधों का आधार है। हमारे बीच इस आधार को मजबूत करने और आज सामने आ रही मुश्किलों को दूर करने का समझौता भी है। 

अजीत डोभाल से भी हुई वांग यी की मुलाकात

वहीं, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने वांग यी से कहा कि भारत-चीन संबंध को अगर आगे ले जाना है तो सबसे पहले सीमा पर जल्द और पूरे तरीके से सैनिकों को हटाने पर काम होना चाहिए। चीनी विदेश मंत्री और डोभाल के बीच हुई मुलाकात में इस बात पर जोर रहा कि दोनों ओर से ऐसा कोई कार्रवाई न हो जिससे उनके बीच एक-दूसरे की सुरक्षा पर कोई आंच आए। 

चीन के विदेश मंत्री यी गुरुवार को दिल्ली पहुंचे थे। उनकी यात्रा का मुख्य मकसद दोनों देशों के बीच कोरोना महामारी के दौर के बाद प्रत्यक्ष वार्ता शुरू करना है। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस साल होने वाली ब्रिक्स देशों की बीजिंग बैठक का  न्योता भी देने वाले हैं।  

दो साल से लद्दाख में गतिरोध

मई 2020 के बाद से दोनों देशों के बीच लद्दाख में गतिरोध कायम है। इसके बाद से किसी वरिष्ठ चीनी नेता की यह पहली भारत यात्रा है। पिछले महीने विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा था कि चीन के साथ भारत के संबंध बहुत कठिन दौर से गुजर रहे हैं। गलवान घाटी में हिंसक संघर्ष के बाद दोनों देशों ने गतिरोध दूर करने के लिए कई दौर की सीमा वार्ता की है। भारत लद्दाख में तनाव वाले सभी इलाकों से सेना की पूरी तरह वापसी पर अड़ा हुआ है। 



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