Inflation Era : आसमान पर भाव-किलो की जगह पाव, जानें महंगाई ने कैसे किया भारतीयों का जीना मुहाल


नई दिल्‍ली. दो साल महामारी से त्रस्‍त रहने के बाद अब दुनिया पर महंगाई ‘डायन’ का खतरा बढ़ गया है. ग्‍लोबल मार्केट में सप्‍लाई पर असर से कंपनियों की लागत बढ़ती तो उन्‍होंने इसकी भरपाई ग्राहकों से वसूलनी शुरू कर दी. आलम ये है कि लोग अब कम में काम चलाने को मजबूर हो रहे हैं.

भारत एशिया की तीसरी सबसे तेज बढ़ती महंगाई वाला देश है. पड़ोसी देश श्रीलंका का हाल सभी को पता है, जहां महंगाई से जनता का हाल-बेहाल है. भारत में भी कंपनियों ने अपनी लागत का हिस्‍सा ग्राहकों पर डाल दिया है. सब्जियां, दाल, अनाज, तेल, पेट्रोल-डीजल, स्‍टील, वाहन, सीमेंट सहित लगभग हर क्षेत्र में महंगाई ने पांव पसार दिए हैं. महंगाई से परेशान जनता अब किलो में सामान खरीदने के बजाए पाव से काम चला रही है.

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कंपनियों पर एक साल में 37 फीसदी बढ़ी लागत
विनिर्माण कंपनियों की कच्‍चे माल पर लागत में एक साल के भीतर 37 फीसदी का इजाफा हुआ है, जबकि उनका कुल खर्च 63 फीसदी बढ़ गया है. इसकी भरपाई के लिए कंपनियों ने अपने उत्‍पादों की कीमतों में भी तगड़ा इजाफा किया. पिछले एक साल में ही उपभोक्‍ता वस्‍तुओं की कीमतों में डेढ़ गुने से भी ज्‍यादा का इजाफा हो गया है. जेएसडब्‍ल्‍यू, एचयूएल, डाबर, मारुति सुजुकी जैसी तमाम कंपनियों ने अपने उत्‍पादों की कीमतों में इजाफा किया है.

रसोई में लगी महंगाई की ‘आग’
कोरोना महामारी से पहले और बाद की स्थितियों को देखें तो महंगाई की सबसे ज्‍यादा मार आम आदमी की थाली पर पड़ी है. कोरोना से पहले 100-120 रुपये लीटर में बिकने वाला सरसों तेल अब 180-220 रुपये लीटर पहुंच गया है. इसी तरह, 80-85 रुपये लीटर मिलने वाला रिफाइंड तेल अब 170 रुपये लीटर पहुंच गया है. इसके अलावा आलू, प्‍याज, टमाटर जैसी सब्जियों के दाम भी 100 फीसदी से ज्‍यादा बढ़ चुके हैं.

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ये उत्‍पाद भी दे रहे झटका
खाने-पीने के अलावा रोजमर्रा इस्‍तेमाल होने वाले दैनिक उपयोगी सामानों की कीमतों में भी बेतहाशा इजाफा हो चुका है. प्रमुख एफएमसीजी उत्‍पादों जैसे साबुन, तेल, शैंपू, कंडिश्‍नर और सेनेटरी पैड जैसे उत्‍पादों की कीमत भी 60 फीसदी से ज्‍यादा बढ़ चुकी है. टैक्‍सी आदि का किराया 37 फीसदी तक बढ़ गया, क्‍योंकि पेट्रोल-डीजल के दाम कोविड पूर्व स्‍तर से डेढ़ गुने से भी ज्‍यादा महंगे हो चुके हैं.

दवा, बिजली, इलेक्‍ट्रॉनिक उत्‍पाद सब महंगे
दवाओं के कच्‍चे माल की कीमतों में 40 फीसदी तक इजाफा हुआ है, जिससे कई जरूरी दवाओं के लिए दाम भी बढ़ गए हैं. अप्रैल से ही करीब 800 दवाइयां महंगी हुईं, जिसमें डाइबिटीज, ब्‍लड प्रेशर जैसी जरूरी किस्‍म की दवाएं भी शामिल हैं. इसके अलावा कोविड पूर्व समय में 8,000 रुपये प्रति टन मिलने वाला कोयला अब 15 हजार रुपये तक पहुंच गया है, जिससे बिजली उत्‍पादन भी महंगा हो रहा. टीवी, फ्रिज, एसी जैसे इलेक्‍ट्रॉनिक उत्‍पादों के दाम भी 25 फीसदी तक बढ़ चुके हैं.

Tags: Indian FMCG industry, Inflation, Medicine

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