सार
कैंची उद्योग पर महंगाई की बड़ी मार पड़ी है। मेरठ में पिछले दो साल में 75 इकाई बंद होने से 70 हजार परिवारों पर संकट आ गया है। पढ़िए अमर उजाला की यह विशेष रिपोर्ट।
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विस्तार
कैंची उद्योग के लिए वर्ष 2007 में क्लस्टर योजना आरंभ की गई। लोहिया नगर क्षेत्र में कॉमन फैसिलिटी सेंटर का निर्माण किया गया। लेजर एनग्रेविंग, सोलडिंग, गैल्वेनाइजिंग, पॉलिश और फिनिशिंग आदि के लिए मशीनें लगाई गईं। कैंची बनाने वाले कारीगर कैचिंयान, तीरगरान, कोटला, तारापुरी, श्याम नगर में रहते हैं और वहीं माल तैयार करते हैं। इस कॉमन फैसिलिटी सेंटर की दूरी ज्यादा होने की वजह से लाभ नहीं मिल पा रहा।
280 प्लॉट आवंटित पर कब्जा नहीं मिला
एमडीए ने कैंची उद्योग को बढ़ाने के लिए लोहिया नगर में आखून नगर बनाकर लगभग 280 यूनिट संचालकों को प्लॉट आवंटित किए। यहां अभी तक सड़क, सीवर, नाले आदि बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं। अधिकांश उद्यमियों को यहां प्लॉटों पर कब्जा तक नहीं मिल पाया है।
20 फीसदी तक महंगा हुआ कच्चा माल
कैंची निर्माण में ब्रास, एल्यूमिनियम, प्लाटिक और लोहे का प्रयोग किया जाता है। उद्यमी स्क्रैब से ही बारबर कैंची, टेलर कैंची, चमड़ा कटिंग कैंची, पेपर कटिंग कैंची, सुतली कटिंग कैंची, जिग जेग कैंची बनाते हैं। कच्चे माल की कीमत में 20 फीसदी का इजाफा होने से संकट बढ़ा है।
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