महंगाई की बड़ी मार: दो साल में कैंची बनाने वाली 75 इकाई बंद, उद्योग से जुड़े हैं 70 हजार परिवार, पढ़िए खास रिपोर्ट


सार

कैंची उद्योग पर महंगाई की बड़ी मार पड़ी है। मेरठ में पिछले दो साल में 75 इकाई बंद होने से 70 हजार परिवारों पर संकट आ गया है। पढ़िए अमर उजाला की यह विशेष रिपोर्ट।

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चुनावी भाषणों में कुछ नेताओं की जुबान तो कैंची की तरह चली पर शहर के 300 बरस पुराने कैंची उद्योग के संकट पर किसी ने बात नहीं की। करीब 70 हजार परिवारों को रोजगार देने वाला यह कारोबार पुराने शहर की तंग गलियों में चलता है। विदेश से सस्ता माल बाजार में खप रहा है और मेरठ की कैंची प्रतिस्पर्धा में टिकने काबिल बनाने के लिए सरकारों ने मदद नहीं की। दो साल में ही शहर में कैंची बनाने वाली 75 इकाई बंद हो गई हैं।

कैंची उद्योग के लिए वर्ष 2007 में क्लस्टर योजना आरंभ की गई। लोहिया नगर क्षेत्र में कॉमन फैसिलिटी सेंटर का निर्माण किया गया। लेजर एनग्रेविंग, सोलडिंग, गैल्वेनाइजिंग, पॉलिश और फिनिशिंग आदि के लिए मशीनें लगाई गईं। कैंची बनाने वाले कारीगर कैचिंयान, तीरगरान, कोटला, तारापुरी, श्याम नगर में रहते हैं और वहीं माल तैयार करते हैं। इस कॉमन फैसिलिटी सेंटर की दूरी ज्यादा होने की वजह से लाभ नहीं मिल पा रहा। 
 
280 प्लॉट आवंटित पर कब्जा नहीं मिला
एमडीए ने कैंची उद्योग को बढ़ाने के लिए लोहिया नगर में आखून नगर बनाकर लगभग 280 यूनिट संचालकों को प्लॉट आवंटित किए। यहां अभी तक सड़क, सीवर, नाले आदि बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं। अधिकांश उद्यमियों को यहां प्लॉटों पर कब्जा तक नहीं मिल पाया है। 
 
20 फीसदी तक महंगा हुआ कच्चा माल
कैंची निर्माण में ब्रास, एल्यूमिनियम, प्लाटिक और लोहे का प्रयोग किया जाता है। उद्यमी स्क्रैब से ही बारबर कैंची, टेलर कैंची, चमड़ा कटिंग कैंची, पेपर कटिंग कैंची, सुतली कटिंग कैंची, जिग जेग कैंची बनाते हैं। कच्चे माल की कीमत में 20 फीसदी का इजाफा होने से संकट बढ़ा है।

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जीआई में शामिल हुआ कैंची उद्योग
मेरठ कैंची उद्योग को ज्योग्राफिकल आइडेंनटिफिकेशन जीआई में शामिल कर लिया गया है। कैंची उद्योग को गति प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार के माध्यम से प्रयास किए जा रहे हैं। – आशुतोष अग्रवाल, जाइंट डायरेक्टर, संयुक्त लघु उद्योग क्लस्टर विकास समिति

कारोबारियों की राय
18 फीसदी जीएसटी नहीं जायज
कैंची उद्योग को गति प्रदान करने के लिए जीएसटी को घटाना चाहिए और कैंची के आयात पर इंपोर्ट ड्यूटी 60 प्रतिशत तक बढ़ाई जानी चाहिए। – राशिद, एमआरजी सिज्जर्स, जमुना नगर

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सुविधाएं मिलें 
सीएफसी का लाभ लेने के लिए लंबी दूरी पर कच्चा माल लेकर जाना पड़ता है। इसमें खर्चा अधिक हो जाता है। आखून नगर का विकास किया जाना आवश्यक है। – परवेज अहमद, सोमा सिज्जर्स, शालिमार गार्डन

ऑर्डर पर ही कर रहे काम
धनराशि की कमी के चलते सभी यूनिट ऑर्डर बेस वर्क कर रही हैं। पहले ऑर्डर आने पर माल तैयार किया जाता है। अगर उद्यमियों को सस्ती दरों पर लोन मिले तो व्यापार को बढ़ाया जा सकता है। – मोहम्मद खालिद, सिज्जर्स हाउस, लिसाड़ी रोड

कच्चे माल की कीमतों ने बिगाड़ा व्यापार
कोविड के बाद कच्चे माल की कीमतों में बहुत तेजी आ गई है। इस कारण कैंची की लागत भी बढ़ गई है। चीन से वाया थाइलैंड और मलेशिया से आने वाला माल सस्ता होता है। ऐसे में डिमांड घट गई है। – शरीफ सैफी, शेख कैंची, कैचियान

विस्तार

चुनावी भाषणों में कुछ नेताओं की जुबान तो कैंची की तरह चली पर शहर के 300 बरस पुराने कैंची उद्योग के संकट पर किसी ने बात नहीं की। करीब 70 हजार परिवारों को रोजगार देने वाला यह कारोबार पुराने शहर की तंग गलियों में चलता है। विदेश से सस्ता माल बाजार में खप रहा है और मेरठ की कैंची प्रतिस्पर्धा में टिकने काबिल बनाने के लिए सरकारों ने मदद नहीं की। दो साल में ही शहर में कैंची बनाने वाली 75 इकाई बंद हो गई हैं।

कैंची उद्योग के लिए वर्ष 2007 में क्लस्टर योजना आरंभ की गई। लोहिया नगर क्षेत्र में कॉमन फैसिलिटी सेंटर का निर्माण किया गया। लेजर एनग्रेविंग, सोलडिंग, गैल्वेनाइजिंग, पॉलिश और फिनिशिंग आदि के लिए मशीनें लगाई गईं। कैंची बनाने वाले कारीगर कैचिंयान, तीरगरान, कोटला, तारापुरी, श्याम नगर में रहते हैं और वहीं माल तैयार करते हैं। इस कॉमन फैसिलिटी सेंटर की दूरी ज्यादा होने की वजह से लाभ नहीं मिल पा रहा। 

 

280 प्लॉट आवंटित पर कब्जा नहीं मिला

एमडीए ने कैंची उद्योग को बढ़ाने के लिए लोहिया नगर में आखून नगर बनाकर लगभग 280 यूनिट संचालकों को प्लॉट आवंटित किए। यहां अभी तक सड़क, सीवर, नाले आदि बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं। अधिकांश उद्यमियों को यहां प्लॉटों पर कब्जा तक नहीं मिल पाया है। 

 

20 फीसदी तक महंगा हुआ कच्चा माल

कैंची निर्माण में ब्रास, एल्यूमिनियम, प्लाटिक और लोहे का प्रयोग किया जाता है। उद्यमी स्क्रैब से ही बारबर कैंची, टेलर कैंची, चमड़ा कटिंग कैंची, पेपर कटिंग कैंची, सुतली कटिंग कैंची, जिग जेग कैंची बनाते हैं। कच्चे माल की कीमत में 20 फीसदी का इजाफा होने से संकट बढ़ा है।

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