डीजल पर महंगाई: थोक खरीदारों ने किया रिटेल स्टेशन का रुख, गहराया आम जनता की जेब पर बोझ बढ़ने का खतरा


थोक खरीदारों के लिए डीजल के दाम में एक साथ 25 रुपये की बढ़ोतरी से आम जनता पर महंगाई का बोझ बढ़ने का खतरा गहरा गया है। डीजल की कीमत में इतनी बड़ी वृद्धि पहली बार की गई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में उछाल के मद्देनजर यह फैसला किया गया है। 

पेट्रोल पंपों पर असर नहीं
डीजल की कीमत में यह मूल्य वृद्धि बल्क कस्टमर के लिए की गई है, जबकि पेट्रोल पंपों से बिकने वाले डीजल के खुदरा दामों में अभी कोई बदलाव नहीं हुआ है। लेकिन, परिवहन व माल ढुलाई महंगी होने से इस वृद्धि का परोक्ष असर हर क्षेत्र पर पड़ना तय है। बता दें कि माल ढुलाई महंगी होने से रोजमर्रा की चीजों की कीमतों में इजाफा होगा। जिससे घरेलू महंगाई बढ़ने का खतरा बढ़ेगा यानी दूसरे शब्दों में कहें तो आम जनता की जेब पर बोझ बढ़ना तय है। 

थोक खरीदारों ने किया रिटेल स्टेशन का रुख 
भारतीय थोक डीजल खरीदार रिटेल स्टेशन से डीजल खरीद रहे हैं क्योंकि पंप की कीमतें उनके थोक अनुबंध की कीमतों से 25 रुपये प्रति लीटर सस्ती हैं। पेट्रोल-डीजल की लोकल सेल का ज्यादातर हिस्सा यहीं से आता है। लेकिन रिटेलरों ने औद्योगिक या थोक ग्राहकों के लिए डायरेक्ट सेल की कीमतें बढ़ाना जारी रखा है और इनके लिए कीमत रिटेल की तुलना में 25 रुपये अधिक है। रिलायंस बीपी मोबिलिटी लिमिटेड के प्रवक्ता ने कहा कि डीजल के खुदरा और औद्योगिक मूल्य के बीच 25 रुपये प्रति लीटर के बढ़े हुए डेल्टा के कारण ईंधन स्टेशनों पर मांग में भारी बढ़ोतरी हुई है, जिससे थोक डीजल ग्राहकों को रिटेल दुकानों की ओर रूख पड़ रहा है।

क्या होते हैं बल्क कस्टमर
रेलवे एंड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन, पावर प्लांट, डिफेंस, सीमेंट प्लांट और केमिकल प्लांट मुख्य रूप से बल्क कस्टमर्स में शामिल होते हैं। तेल विपणप कंपनियां ज्यादा वॉल्यूम में तेल की खपत वाले ग्राहकों की जरूरतों को अलग से निर्धारित करती हैं। कंपनियां इन ग्राहकों के लिए ऑयल के स्टोरेज और हैंडलिंग के लिए खास तौर पर व्यवस्था करती हैं। यही कारण है कि इन ब्लक कस्टमर्स के लिए ईंधन के दाम बढ़ाने से सीधे तौर पर और तत्काल प्रभाव नहीं दिखता।   

कच्चा तेल फिर 110 डॉलर के पार
गौरतलब है कि सोमवार को एक बाद फिर कच्चे तेल के दाम में आग लग गई और इसका भाव 110 डॉलर प्रति बैरल के पार निकल गया। बता दें कि रूस और यूक्रेन के बीच चल रही भीषण जंग के बीच बीते दिनों अपने 14 साल के शिखर 139 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंचने के बाद कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट देखने को मिली थी और यह 100 डॉलर प्रति बैरल के भाव से नीचे खिसक गया था। अब एक बार फिर इसके दाम में उबाल आया है। 

115 रुपये प्रति लीटर डीजल का दाम
डीजल के दाम में एकदम से की गई इस बढ़ोतरी के बाद दिल्ली में पेट्रोल पंपों पर डीजल 86.67 रुपये प्रति लीटर पर बरकरार है, जबकि थोक या औद्योगिक ग्राहकों के लिए इसकी कीमत 115 रुपये प्रति लीटर हो गई है। विशेषज्ञों ने भी कहा है कि भले ही पेट्रोल पंपों पर बिकने वाले डीजल की कीमतों पर इसका कोई असर नहीं पड़े, लेकिन फिर भी यह बढ़ोतरी परिवहन व माल ढुलाई महंगी करेगी और इससे हर क्षेत्र पर असर पड़ेगा।

ईंधन की मांग बढ़ने का अनुमान
एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, 1 अप्रैल से शुरू होने वाले अगले वित्तीय वर्ष में भारत की ईंधन मांग 5.5 फीसदी बढ़ने की संभावना है, प्रारंभिक सरकारी अनुमान महीनों के ठहराव के बाद एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में औद्योगिक गतिविधि और गतिशीलता में तेजी को दर्शाता है। सरकार के पूर्वानुमानों के अनुसार, मार्च 2022 को समाप्त होने वाले चालू वित्त वर्ष के लिए 203.3 मिलियन टन के संशोधित अनुमान से बढ़कर 214.5 मिलियन टन हो सकती है। 2022 में भारत की तेल मांग 5.15 मिलियन बैरल प्रति दिन होने का अनुमान लगाया गया है क्योंकि अर्थव्यवस्था महामारी के प्रकोप से तेजी के साथ उबर रही है। गौरतलब है कि भारत की तेल मांग 2020 में प्रति दिन 4.51 मिलियन बैरल से बढ़कर 2021 में 4.76 मिलियन बैरल प्रति दिन हो गई, जो 5.61 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज कर रही है।

चार नवंबर से नहीं बढ़े हैं दाम
सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों ने चार नवंबर, 2021 से पेट्रोल और डीजल के दाम नहीं बढ़ाए हैं। हालांकि, इस दौरान वैश्विक स्तर पर ईंधन कीमतों में उछाल आया है। माना जा रहा है कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर ईंधन कीमतों में बढ़ोतरी नहीं की गई। हालांकि, विधानसभा चुनाव के नतीजे 10 मार्च को आ गए हैं, लेकिन उसके बाद भी संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण की वजह से फिलहाल कीमतों में बढ़ोतरी नहीं हुई है। थोक उपभोक्ताओं के लिए दरों और पेट्रोल पंप कीमतों में 25 रुपये के बड़े अंतर की वजह से थोक उपभोक्ता पेट्रोल पंपों से ईंधन खरीद रहे हैं। वे पेट्रोलियम कंपनियों से सीधे टैंकर बुक नहीं कर रहे हैं। इससे पेट्रोलियम कंपनियों का नुकसान और बढ़ा है।



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