नई दिल्ली. दिल्ली के संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर (Sanjay Gandhi Transport Nagar) और तुगलकाबाद कंटेनर यार्ड जैसे बड़े-बड़े वेयरहाउसों को अब शहर से बाहर शिफ्ट करने की योजना तैयार की गई है. इसके चलते इनके लिए अब इंटीग्रेटेड फ्रेट विलेज (Integrated Freight Village) बनाए जाएंगे जिससे कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली के बड़े गोदामों को दिल्ली से बाहर कर दिया जाएगा.
इसको लेकर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) की कंपनी की ओर से एक योजना भी पेश की गई है. इस योजना का बड़ा लाभ दिल्ली में हर रोज लाखों टन सामान लेकर आने वाले ट्रकों की एंट्री पर भी रोक लग सकेगी. साथ ही राजधानी में प्रदूषण (Pollution) की समस्या से भी निजात मिलने की प्रबल संभावना जताई जा रही है.
केंद्र सरकार की प्रस्तावित योजना पर चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) के चेयरमैन बृजेश गोयल ने प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा है कि लंबे समय से पुरानी दिल्ली के थोक व्यापारी दूसरी जगह गोदाम की डिमांड कर रहे हैं. नया बाजार, सदर बाजार, खारी बावली, चांदनी चौक, कश्मीरी गेट, गांधी नगर समेत कई बाजारों के व्यापारी चाहते हैं कि उन्हें वेयरहाउस के लिए जगह दी जाए. शहर में गाड़ी आने से दिक्कत होती है, लोडिंग-अनलोडिंग में परेशानी रहती है.
जेवर एयरपोर्ट के पास बन रहा रेलवे का विशाल फ्रेट विलेज, हजारों लोगों को मिलेगा रोजगार
अभी फिलहाल प्लान को लेकर स्थिति ज्यादा स्पष्ट नहीं है. यह शुरुआती स्टेज में हैं. देखना होगा कि इसका स्वरूप किस तरह तैयार होता है. इस योजना की प्रक्रिया में व्यापारिक संगठनों को भी शामिल करने की जरूरत पर बल देने की बात भी कही है.
बृजेश गोयल ने कहा कि दिल्ली सरकार भी ट्रेडर्स को बाहरी दिल्ली में गोदाम मुहैया कराना चाहती है. दो-तीन साल पहले इस विषय पर दिल्ली सरकार के साथ मीटिंग भी हुई थी. अनाज, ड्राईफ्रूट, कपड़ा, बर्तन, ऑटो स्पेयर पार्ट्स समेत कई तरह का माल दिल्ली में आता है. यदि इन्हें कहीं बाहर जगह मिल जाएगी, तो वहीं से रिटेल व्यापारी के पास भेज दी जाएंगी.
व्यापारिक संगठन का मानना है कि समस्या दिल्ली सरकार (Delhi Government) के पास जमीन नहीं होना है. ऐसे में नई जगह विकसित करना मुश्किल है. दिल्ली में जमीन दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) के अधीनस्थ आती है. केंद्र सरकार (Central Government) का शहरी विकास मंत्रालय पूरा प्लान तैयार करता है. सीटीआई ने मास्टर प्लान 2041 के संदर्भ में डीडीए को दिए प्रस्ताव में भी अन्य जगह पर वेयरहाउस मुहैया कराने की मांग की थी.
बता दें कि प्रस्तावित योजना के मुताबिक दिल्ली के चारों ओर आसपास के राज्यों में माल लोड और अनलोड करने के लिए इंटिग्रेटेड फ्रेट विलेज बनाए जाएंगे. ये ऐसी लोकेशन पर होंगे, जहां से ईस्टर्न-वेस्टर्न कॉरिडोर के साथ-साथ रेलवे लाइनों से भी जुड़ सके. दोनों पेरिफेरल कॉरिडोर पर 8 जगह रेलवे लाइन इन्हें क्रॉस करती है.
वाराणसी में बनाया जा रहा 100 एकड़ एरिया में पहला फ्रेट विलेज
बताते चलें कि इनलैंड वॉटर हाईवे-वन (बनारस से हल्दिया) के प्रमुख सेंटर वाराणसी में देश का पहला फ्रेट विलेज तैयार किया जा रहा है. फ्रेट विलेज 3,000 करोड़ की लागत से 100 एकड़ एरिया में रामनगर में बने मल्टी मॉडल टर्मिनल (वाराणसी टर्मिनल) को केंद्र में रखकर बनाया जा रहा है. यह वॉटर हाइवे डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर और रोड हाइवे के मेन जंक्शन की तरह काम करेगा.
प्रस्तावित फ्रेट विलेज में होंगी ये सभी सुविधाएं
प्रस्तावित फ्रेट विलेज में वेयर हाउस, कोल्ड स्टोरेज, पैकेजिंग-रैपिंग, कारगो स्टोरेज, रोड ट्रांसपोर्ट सर्विस के अलावा शहरी जीवन की बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी. इसके बनने से बड़े कारोबारियों के अलावा वाराणसी और पूर्वांचल के कारोबारी भी अपना माल यहां सुरक्षित स्टोर कर देश के दूसरे हिस्से में भेज सकेंगे या फिर मंगा सकेंगे. फ्रेट विलेज के आकार लेने पर गंगा पार एक नया शहर बसेगा तो हजारों लोगों को भी रोजगार उपलब्ध होगा.
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FIRST PUBLISHED : May 07, 2022, 17:52 IST