क्या ‘बलि’ के नाम पर बच्चों की हत्या करना मानसिक बीमारी है? मनोचिकित्सक से जानें हकीकत


हाइलाइट्स

कुछ सप्ताह पहले यूपी के आगरा से ढाई साल के बच्चे की बलि देने का मामला सामने आया था.
मनोचिकित्सक के मुताबिक कुछ मेंटल डिसऑर्डर की वजह से लोग ऐसे खतरनाक कदम उठा सकते हैं.

Mental Disorder: कुछ सप्ताह पहले उत्तर प्रदेश के आगरा से हैरान कर देने वाला मामला सामने आया था. एक तांत्रिक ने ढाई साल के मासूम की बलि दे दी. हत्या के बाद बच्चे को एक बोरे में भरकर नदी में फेंक दिया. कुछ दिनों बाद पुलिस ने तांत्रिक को गिरफ्तार कर मामले का खुलासा कर दिया. बच्चों की बलि देने का यह पहला मामला नहीं है. अब तक ऐसे कई केस सामने आ चुके हैं, जिसमें लोगों ने अपने या पड़ोसी के बच्चे की बलि के नाम पर हत्या कर दी. हर बार ऐसे मामले सभी को यह सोचने पर मजबूर करते हैं कि किन वजहों से लोग ऐसा कदम उठा लेते हैं. क्या यह मानसिक बीमारी होती है? एक्सपर्ट से इस बारे में महत्वपूर्ण सवालों के जवाब जान लेते हैं.

क्यों ऐसा खौफनाक कदम उठाते हैं लोग?

नई दिल्ली के लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज की एसोसिएट प्रोफेसर और मनोचिकित्सक डॉ. प्रेरणा कुकरेती कहती हैं कि बलि जैसे अपराध करने के पीछे कई कारण हो सकते हैं. कुछ मामलों में लोग लालच, अंधविश्वास और रंजिश की वजह से बच्चों की हत्या कर देते हैं. कई बार मेंटल डिसऑर्डर की वजह से भी इस तरह के अपराध देखने को मिलते हैं. अलग-अलग डिसऑर्डर के लक्षण अलग होते हैं. इसमें से कुछ डिसऑर्डर इलाज से ठीक होते हैं, तो बाकी डिसऑर्डर को काउंसलिंग से ठीक किया जा सकता है.

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क्या यह कोई मानसिक बीमारी है?

डॉ. प्रेरणा कुकरेती के अनुसार 4 तरह की मानसिक परेशानियां ऐसे अपराधों की वजह बन सकती हैं. पहला डिल्यूजनल डिसऑर्डर होता है, जिसमें व्यक्ति बाकी सभी फील्ड में नॉर्मल रहता है, लेकिन किसी एक चीज को लेकर उसकी धारणा अलग होती है. इस मामले में वह पूरी तरह कल्पनाओं पर यकीन करता है. दूसरा इंड्यूस्ड डिल्यूजनल डिसऑर्डर होता है, जिसमें इससे पीड़ित व्यक्ति के संपर्क में आने वाले लोग भी उससे प्रभावित हो जाते हैं. करीब रहने वाले लोग भी उसकी मनगढ़ंत बातों पर यकीन करने लगते हैं.

तीसरी वजह दूसरों के विचारों से बहुत ज्यादा प्रभावित होना हो सकती है. कुछ लोग किसी धार्मिक या कल्ट लीडर्स के इन्फ्लुएंस में आने के बाद कल्पनाओं और छोटी बातों पर यकीन कर लेते हैं. इसके बाद वे बलि जैसे गंभीर अपराधों को अंजाम देते हैं. चौथी वजह अंधविश्वास की दुनिया में रहना होता है. तांत्रिक और जादू टोने में विश्वास करने वाले लोग अपनी अलग कल्पनाओं में खोए रहते हैं. वे एक तरह के साइकोपैथ बन जाते हैं. जब लंबे समय तक वे इस कंडीशन में रहते हैं, तो इस तरह के अपराध की वजह बन जाते हैं.

क्या इसके लक्षण पहले से नजर आते हैं?

आमतौर पर इन डिसऑर्डर के लक्षण पहले से नजर नहीं आते, लेकिन अगर कोई अजीबोगरीब बातें कर रहा है और उस पर भरोसा जता रहा है तो सावधान होने की जरूरत होती है. कई बार यह लोग बाकी सभी मामलों में नार्मल दिखाई देते हैं, लेकिन किसी एक मुद्दे पर इनकी राय बिल्कुल अलग और बेतुकी होती है. अगर इस तरह के लक्षण किसी में नजर आएं, तो मनोचिकित्सक से तुरंत संपर्क करना चाहिए. सही समय पर इलाज मिलने से ऐसे मामलों से बचा जा सकता है. इसके अलावा लोगों को इस बारे में जागरूक होने की भी जरूरत है.

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