सुप्रीम कोर्ट: क्या सलेम को उम्रकैद की सजा प्रत्यर्पण के समय दिए गए आश्वासन के खिलाफ नहीं है? कोर्ट ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब


राजीव सिन्हा, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अभिषेक दीक्षित
Updated Wed, 02 Feb 2022 05:55 PM IST

सार

18 सितंबर 2002 को अबू सलेम अब्दुल कय्यूम अंसारी और मोनिका बेदी को पुर्तगाल में गिरफ्तार किया गया था। दोनों को वहां से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया।

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
– फोटो : सोशल मीडिया

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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बॉम्बे ब्लास्ट के दोषी अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम की मिली उम्रकैद की सजा पर केंद्र सरकार से यह जानना चाहा है कि क्या यह सजा सलेम के प्रत्यर्पण के दौरान भारत सरकार द्वारा पुर्तगाल को दिए गए आश्वासन के खिलाफ नहीं है? भारत सरकार ने दिसंबर 2002 को पुर्तगाल सरकार को आश्वासन दिया था कि सलेम की कारावास 25 साल से अधिक नहीं हो सकती।

दरअसल, सलेम की ओर से पेश हुए वकील ऋषि मल्होत्रा ने जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ से कहा कि टाडा अदालत द्वारा सलेम को आजीवन कारावास की सजा देने का फैसला भारत द्वारा पुर्तगाल को दिए गए आश्वासन के खिलाफ है। मल्होत्रा ने कहा कि टाडा कोर्ट का कहना था कि वह सरकार के आश्वासनों से बाध्य नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के पास इस संबंध में व्यवस्था देने की शक्ति है।

इसके अलावा वकील ऋषि मल्होत्रा ने यह भी कहा कि सलेम को 2002 में पुर्तगाल में हिरासत में लिया गया था और उसकी सजा पर उस तारीख से विचार किया जाना चाहिए न कि 2005 से जब उसे भारतीय अधिकारियों को सौंपा किया था। मल्होत्रा की दलील पर पीठ ने केंद्र सरकार, महाराष्ट्र सरकार और सीबीआई को सलीम की ओर से उठाए गए इन मसलों पर चार हफ्ते के भीतर हलफनामे के जरिए जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। सलेम के खिलाफ दर्ज दो मुकदमों में सीबीआई अभियोजन एजेंसी है जबकि तीन मामलों में महाराष्ट्र सरकार।

18 सितंबर 2002 को अबू सलेम अब्दुल कय्यूम अंसारी और मोनिका बेदी को पुर्तगाल में गिरफ्तार किया गया था। दोनों को वहां से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया। सलेम को प्रदीप जैन हत्याकांड, बॉम्बे बम विस्फोट मामले और अजीत दीवानी हत्याकांड में प्रत्यर्पण दिया गया था।

11 नवंबर 2005 को जैसे ही सलेम को भारत लाया गया, उसे बॉम्बे बम विस्फोट मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने गिरफ्तार कर लिया और बाद में आतंकवाद विरोधी दस्ते, मुंबई द्वारा हिरासत में ले लिया। प्रदीप जैन हत्याकांड टाडा कोर्ट ने सलेम को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

विस्तार

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बॉम्बे ब्लास्ट के दोषी अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम की मिली उम्रकैद की सजा पर केंद्र सरकार से यह जानना चाहा है कि क्या यह सजा सलेम के प्रत्यर्पण के दौरान भारत सरकार द्वारा पुर्तगाल को दिए गए आश्वासन के खिलाफ नहीं है? भारत सरकार ने दिसंबर 2002 को पुर्तगाल सरकार को आश्वासन दिया था कि सलेम की कारावास 25 साल से अधिक नहीं हो सकती।

दरअसल, सलेम की ओर से पेश हुए वकील ऋषि मल्होत्रा ने जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ से कहा कि टाडा अदालत द्वारा सलेम को आजीवन कारावास की सजा देने का फैसला भारत द्वारा पुर्तगाल को दिए गए आश्वासन के खिलाफ है। मल्होत्रा ने कहा कि टाडा कोर्ट का कहना था कि वह सरकार के आश्वासनों से बाध्य नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के पास इस संबंध में व्यवस्था देने की शक्ति है।

इसके अलावा वकील ऋषि मल्होत्रा ने यह भी कहा कि सलेम को 2002 में पुर्तगाल में हिरासत में लिया गया था और उसकी सजा पर उस तारीख से विचार किया जाना चाहिए न कि 2005 से जब उसे भारतीय अधिकारियों को सौंपा किया था। मल्होत्रा की दलील पर पीठ ने केंद्र सरकार, महाराष्ट्र सरकार और सीबीआई को सलीम की ओर से उठाए गए इन मसलों पर चार हफ्ते के भीतर हलफनामे के जरिए जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। सलेम के खिलाफ दर्ज दो मुकदमों में सीबीआई अभियोजन एजेंसी है जबकि तीन मामलों में महाराष्ट्र सरकार।

18 सितंबर 2002 को अबू सलेम अब्दुल कय्यूम अंसारी और मोनिका बेदी को पुर्तगाल में गिरफ्तार किया गया था। दोनों को वहां से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया। सलेम को प्रदीप जैन हत्याकांड, बॉम्बे बम विस्फोट मामले और अजीत दीवानी हत्याकांड में प्रत्यर्पण दिया गया था।

11 नवंबर 2005 को जैसे ही सलेम को भारत लाया गया, उसे बॉम्बे बम विस्फोट मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने गिरफ्तार कर लिया और बाद में आतंकवाद विरोधी दस्ते, मुंबई द्वारा हिरासत में ले लिया। प्रदीप जैन हत्याकांड टाडा कोर्ट ने सलेम को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

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