हैरानी नहीं अगर कुछ विकसित देश मंदी की चपेट में आ जाएं! तो शेयर बाजार का क्या?


नई दिल्ली. कोई हैरानी नहीं होनी चाहिए, यदि आने वाले दिनों में कुछ विकसित देश मंदी की चपेट में आ जाएं. इस बार मुद्रास्फीती सच में इतनी बढ़ गई है और इतनी व्यापक और तेजी से फैल रही है कि ब्याज दरों में बढ़ोतरी किए बिना इसे कंट्रोल करना बेहद मुश्किल लग रहा है. यह कहना है लैडरअप वेल्थ मैनेजमेंट के मैनेजिंग डायरेक्टर राघवेंद्र नाथ का.

राघवेंद्र नाथ ने मनीकंट्रोल को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि ऊंची मुद्रास्फीती (महंगाई) और ऊंची ब्याज दरें दोनों मिलकर सबसे ज्यादा विकसित अर्थव्यवस्थाओं को भी प्रभावित कर सकती हैं. और इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि इनमें से कुछ मंदी में घिर जाएं.

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उन्हें लगता है कि ये उतार-चढ़ाव (वोलैटिलिटी) अगले एक या कुछ ज्यादा वर्षों तक बनी रह सकती है. इस बाबत उन्होंने कहा कि वोलैटिलिटी को लोकल और ग्लोबल दोनों तरह के कई फैक्टर प्रभावित कर रहे हैं और कहा जा सकता है कि भविष्य में भी कुछ समय तक ये असर डालते रहेंगे.

विकसित देशों में मंदी की संभावना?
जब राघवेंद्र नाथ से पूछा गया कि क्या महंगाई के चलते विकसित देश मंदी की चपेट में आ सकते हैं? तो उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी से पहले यूएस और यूरोपियन देशों में काफी संतुलित (मोडरेटेड) मुद्रास्फीती थी. वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान बड़े पैमाने पर मौद्रिक सहजता (Monetary Wasing) के बावजूद ऐसा था. महामारी की चपेट में आने पर इसने केंद्रीय बैंकों को ज्यादा आक्रामक होने के लिए प्रोत्साहित किया.

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हालांकि इस बार, मुद्रास्फीति वास्तव में बढ़ गई है और इतनी व्यापक है कि यह बहुत मुश्किल लग रहा है कि इसे केवल ब्याज दरों में वृद्धि करके रोका जा सकता है. उच्च मुद्रास्फीति और बढ़ती ब्याज दरें एक साथ अधिकांश अर्थव्यवस्थाओं के विकास को प्रभावित कर सकती हैं और अगर कुछ मंदी में प्रवेश करती हैं तो यह आश्चर्य की बात नहीं.

शेयर मार्केट में क्या होगा?
लैडरअप वेल्थ मैनेजमेंट के मैनेजिंग डायरेक्टर राघवेंद्र नाथ ने कहा कि हालांकि वैल्यूएशन कम हो गई है, लेकिन शेयर बाजार में अभी और गिरावट आ सकती है. कोई नहीं जानता कि आने वाले समय में महंगाई की वर्तमान स्थिति और बुरी होगी या नहीं.

मंदी की तरफ बढ़ने की आशंका या महंगाई में और वृद्धि के चलते हमें शेयर बाजार में ज्यादा वोलैटिलिटी देखने को मिल सकती है. पिछले साल की बुलिशनेस अब नहीं है और कोई भी छोटी से छोटी नेगेटिव खबर भी बड़ा असर दिखा सकती है.

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क्या अब निवेश करना सही होगा?
जब भी बाजार में वोलैटिलिटी बढ़ती है तो निवेशकों के सेंटीमेंट हिले हुए होते हैं. जबकि क्वालिटी स्टॉक्स पर बड़े इंस्टीट्यूशन्स रूचि लेते हैं क्योंकि वे शार्प करेक्शन के लिए हेजिंग में पॉजिशन बनाकर चलते हैं. जब नाथ से पूछा गया कि आईटी के शेयर बहुत तेजी से नीचे आए हैं और निफ्टी का आईटी इंडेक्स 19 फीसदी से ज्यादा गिर गया है. क्या इस समय इन पर पैसा लगाना सही होगा? तो उन्होंने कहा कि शार्प गिरावट के आने पर किसी भी सेक्टर या स्टॉक को खरीदना कोई बहुत अच्छा विचार नहीं है. कोराना काल में वर्क फ्रॉम होम के चलते आईटी स्टॉक्स में बहुत तेजी आई और ये ओवर वैल्यूड हो गए थे.

उन्होंने कहा कि प्राइस में आई गिरावट अभी यह सुनिश्चित नहीं करती है कि आने वाले समय में ये वैल्यूएशन ग्रोथ करेगी. तो निवेश करने से पहले हर किसी को ध्यान से कंपनी को इवैल्यूएट करना चाहिए, न कि सिर्फ प्राइस में गिरावट को आधार बनाकर बाजार में निवेश करना चाहिए.

Tags: Economy, Inflation, Share market

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