Jaadugar Movie Review: अमोल पालेकर बनने की कोशिश में चूके जितेंद्र कुमार, ‘जादूगर’ में नहीं चला सचिवजी का जादू


Movie Review

जादूगर

कलाकार

जितेंद्र कुमार
,
आरुषि शर्मा
,
मनोज जोशी
,
जावेद जाफरी
और
आदि

लेखक

बिस्वपति सरकार

निर्देशक

समीर सक्सेना

निर्माता

पोशम पा पिक्चर्स

ओटीटी

नेटफ्लिक्स

जितेंद्र कुमार का डिजिटल मनोरंजन दुनिया में अपना एक अलग फैन बेस है। ‘कोटा फैक्ट्री’ से लेकर ‘पंचायत’ तक इसका विस्तार ही होता रहा है। ओटीटी वाले भी उनके प्रशंसक हैं और ये बात जितेंद्र कुमार को रास आ रही है। काल्पनिक कहानियों के वह नए अमोल पालेकर हैं और अमोल पालेकर की ही तरह इन कहानियों के हर किरदार में बस जितेंद्र कुमार ही नजर आते हैं। उनकी इसी शख्सियत को ध्यान में रखकर कहानियां लिखी जा रही हैं। उनके हर किरदार का डीएनए एक जैसा है। छोटे शहर का युवक। आंखों में तैरते सतरंगी सपने। इन सपनों को पूरा करने की जद्दोजहद और इस जद्दोजहद के बहाने छोटे शहरों की आम जिंदगी पर घूमता कैमरा। ‘पंचायत’ सीरीज के गांव फकौली को बदलकर अगर नीमच कर दिया जाए और सचिवजी को पंचायत कार्यालय से निकालकर गांव में जादू करने को कह दिया जाए तो बन जाती है फिल्म ‘जादूगर’। जितेंद्र कुमार की उपलब्धि इस फिल्म में यही है कि वह एक ऐसी फिल्म के हीरो हैं, जिस नाम की फिल्म के हीरो साल 1989 में अमिताभ बच्चन बने थे।



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