रिसर्च थिंक टैंक सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड एंड होलिस्टिक स्टडीज (सीआईएचएस) ने घाटी में हुए 1989 से 2003 के बीच समुदाय के खिलाफ हत्या, बलात्कार और हिंसा के चुनिंदा प्रलेखित मामलों के विषय में एक रिपोर्ट, ‘सेवेन एक्सोडस एंड द एथनिक क्लींजिंग ऑफ कश्मीरी हिंदुओं’ की एक ग्राफिक लिस्ट प्रकाशित की है। 1990 में होने वाले पलायन की शुरुआत 1989 में ही हो गई थी।
14 मार्च, 1989- बडगाम जिले के नवागरी, चदूरा की प्रभावती की हरि सिंह हाई स्ट्रीट, श्रीनगर, जम्मू-कश्मीर में हत्या कर दी गई।
14 सितंबर 1989- जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर के हब्बा कदल में प्रसिद्ध कश्मीरी पंडित सामाजिक कार्यकर्ता और अधिवक्ता पंडित टीका लाल टपलू की उनके घर में गोली मारकर हत्या कर दी गई।
31 अक्टूबर 1989- दलहसन्यार की 47 वर्षीय शीला कौल टीकू की छाती और सिर में गोली मार दी गई।
4 नवंबर 1989- न्यायमूर्ति नीलकंठ गंजू की श्रीनगर में हाई कोर्ट के पास हरि सिंह स्ट्रीट बाजार में करीब से गोली मारकर हत्या कर दी गई।
1 दिसंबर 1989- जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर के महाराजगंज के निवासी अजय कपूर की आतंकवादियों ने सार्वजनिक रूप से गोली मारकर हत्या कर दी।
27 दिसंबर 1989- अनंतनाग के 57 वर्षीय अधिवक्ता प्रेम नाथ भट्ट की सार्वजनिक रूप से हत्या कर दी गई।
15 जनवरी 1990- श्रीनगर के खोनमोह के एक सरकारी कर्मचारी एमएल भान की हत्या कर दी गई। उसी दिन, श्रीनगर के लाल चौक में एक संचालिका बलदेव राज दत्ता का अपहरण कर लिया गया था और चार दिन बाद 19 जनवरी 1990 को श्रीनगर के नई सड़क में उनका प्रताड़ित शरीर मिला था।
25 जनवरी 1990- स्क्वाड्रन लीडर रवि खन्ना और उनके सहयोगी रावलपुरा बस स्टैंड पर भारतीय वायु सेना की बस का इंतजार कर रहे थे ताकि उन्हें हवाई अड्डे तक ले जाया जा सके, तभी एक मारुति जिप्सी और चार से पांच जेकेएलएफ आतंकवादियों को ले जा रहे एक दोपहिया वाहन ने उन्हें घेर लिया और गोलीबारी की। खन्ना और वायु सेना के 13 अन्य जवान जमीन पर गिर पड़े। खन्ना के साथ तीन की मौत हो गई और दस घायल हो गए। यासीन मलिक ने टिम सेबेस्टियन को दिए इंटरव्यू में इस हत्या की बात स्वीकार की है। वह जेकेएलएफ का एरिया कमांडर था, जो चीफ कमांडर इशफाक वानी के अधीन काम करता था।
1 फरवरी 1990- केंद्र सरकार के कर्मचारी कृष्ण गोपाल बैरवा और त्रेहगाम, कुपवाड़ा के राज्य सरकार के कर्मचारी रोमेश कुमार थुसू को सार्वजनिक रूप से गोली मार दी गई।
2 फरवरी 1990- एक युवा कश्मीरी हिंदू (पंडित) सतीश कुमार टिक्कू को फारूक अहमद डार (उर्फ बिट्टा कराटे) के नेतृत्व वाले एक समूह ने गोली मार दी थी।
13 फरवरी 1990- दूरदर्शन के निदेशक लस्सा कौल की उस समय हत्या कर दी गई, जब उनके एक सहयोगी ने कथित तौर पर उनके आंदोलन के बारे में जानकारी लीक कर दी थी। उसी दिन नागरिक संगठन मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस (एमईएस) में कार्यरत रावलपोरा के रतन लाल की भी मौत हो गई थी।
16 फरवरी 1990- अनिल भान को फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे ने मार डाला, जो चौंतीस कश्मीरी पंडितों की हत्या के लिए जिम्मेदार है।
23 फरवरी 1990– अशोक काज़ी को प्रताड़ित किया गया और घुटनों में गोली मार दी गई।
27 फरवरी 1990– नवीन सप्रू को श्रीनगर, जम्मू-कश्मीर में हब्बा कदल पुल के पास गोली मार दी गई थी।
1 मार्च 1990– सूचना विभाग के पीएन हांडू मारे गए और बडगाम के तेज किशन को इस्लामिक आतंकवादियों ने फांसी पर लटका दिया।
18 मार्च 1990- राज्यपाल के निजी सहायक आरएन हांडू की श्रीनगर के नरसिंहगढ़ में उनके घर के गेट के बाहर हत्या कर दी गई।
20 मार्च 1990- खाद्य और आपूर्ति के उप निदेशक एके रैना की उनके अधीनस्थों के सामने श्रीनगर में उनके कार्यालय में हत्या कर दी गई।
10 अप्रैल 1990- हिन्दुस्तान मशीन टूल्स (एचएमटी) के महाप्रबंधक एचएल खेरा की श्रीनगर में आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी।
19 अप्रैल 1990– सरला भट का सामूहिक बलात्कार किया गया और बेशर्मी से हत्या कर दी।
Top 10 Mysterious Places In The World : दुनिया की 10 रहस्यमयी जगह