विशेषज्ञ से जानिए: कोरोना के कम होते मामलों के बीच क्यों हो रही है चौथे लहर की चर्चा, क्या आ रहा है कोई नया वैरिएंट?


Medically Reviewed by-

डॉ सौरभ अवस्थी

(श्वांस रोग विशेषज्ञ, इंटेंसिव केयर यूनिट)

नोएडा

दिसंबर-जनवरी में कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर का कारण बनने वाले ओमिक्रॉन वैरिएंट की रफ्तार फिलहाल थमती नजर आ रही है। जनवरी में जहां रोजाना ढाई लाख से अधिक संक्रमितों की पुष्टि की जा रही थी, वहीं पिछले 24 घंटे में संक्रमितों का आंकड़ा घटकर 6900 के करीब पहुंच गया है। यह आंकड़े भले ही राहत देने वाले हों, पर वैज्ञानिक लगातार सभी लोगों से बचाव के उपाय करते रहने की अपील कर रहे हैं। हाल ही में आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों की एक टीम ने लोगों को विशेष सावधान करते हुए जून माह में देश में संक्रमण की चौथी लहर आने की आशंका जताई है। इतना ही नहीं वैज्ञानिकों का कहना है कि यह लहर चार महीने से अधिक समय तक जारी रह सकती है।

आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर एस.प्रसाद राजेशभाई, सुभरा शंकर धर और शलभ ने जिम्बाब्वे के आंकड़ों के आधार पर जून में चौथी लहर आने का दावा किया है। हालांकि जब इस समय देश में कोरोना के मामलों में कमी देखी जा रही है, साथ ही सामान्य जनजीवन फिर से पटरी पर आ रहा है, ऐसे में लोगों के मन में सवाल है कि आखिर चौथे लहर की चर्चा क्यों शुरू हो गई है? क्या ओमिक्रॉन से भी संक्रामक वैरिएंट सामने आने वाला है? आइए आगे की स्लाइडों में इस बारे में विस्तार से समझते हैं?

जून में आ सकती है चौथी लहर

आईआईटी कानपुर के शोधकर्ताओं का दावा है कि जून के मध्य में चौथी लहर की शुरुआत हो सकती है, वहीं अगस्त तक जाते-जाते संक्रमण पीक पर पहुंच सकता है। शोधकर्ताओं ने फिलहाल किसी वैरिएंट के बारे में जिक्र नहीं किया है, जिसे संभावित चौथी लहर की कारण माना जा सकता हो। विशेषज्ञों के मुताबिक, संक्रमण की गंभीरता, संक्रामकता और घातकता आदि वैरिएंट की प्रकृति पर निर्भर करेगी। फिलहाल सभी लोगों को आने वाले खतरे को लेकर अभी से तैयार रहने की आवश्यकता है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

अमर उजाला से बातचीत में इंटेंसिव केयर यूनिट के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ सौरभ अवस्थी बताते हैं, वायरस के साथ म्यूटेशन की आशंका हमेशा बनी रहती है। जैसा कि तीसरी लहर के दौरान देखा गया कि वायरस में कई ऐसे म्यूटेशन थे जो ओमिक्रॉन को डेल्टा से कहीं अधिक संक्रामक बनाते हैं। चूंकि अभी ओमिक्रॉन का असर कम हो रहा है, ऐसे में वायरस अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए स्वाभावित तौर पर म्यूटेशन करता है, संभवत: वैज्ञानिक इसी आधार पर चौथी लहर का दावा कर रहे हैं। 

किन वैरिेएंट्स से हो सकता है खतरा?

पिछले कुछ अध्ययनों पर गौर करें तो पता चलता है कि वैज्ञानिक ओमिक्रॉन के सब-वैरिएंट BA.2 को लेकर अलर्ट कर रहे हैं। ब्रिटेन की स्वास्थ्य सेवा एजेंसी (यूकेएचएसए) ने एक रिपोर्ट में बताया कि यह ओमिक्रॉन के मूल वैरिएंट से  कहीं अधिक संक्रामक है, इतना ही नहीं यह पारंपरिक कोरोना जांच को भी चकमा दे सकता है। एक अन्य अध्ययन में वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि इस सब-वैरिएंट में कई ऐसे संकेत देखे गए हैं, जो इसे गंभीर बीमारी पैदा करने में सक्षम बनाते हैं। आशंका है कि इस स्ट्रेन से होने वाला संक्रमण डेल्टा की तरह गंभीर बीमारी का खतरा पैदा कर सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) भी इस वैरिएंट को लेकर चिंता जता चुका है।

विशेषज्ञों के अलग-अलग मत

एक हालिया रिपोर्ट में महामारी विज्ञानी एरिक फेंग ने ओमिक्रॉन के सब-वैरिएंट BA.2 को लेकर चिंता जताई थी। फेंग ने लिखा, कोरोना का यह नया वैरिएंट नई मुसीबतें लेकर आ सकता है, संभवत: अगली लहर की आशंका भी।

हालांकि इसके उलट आईएमए कोविड टास्क फोर्स के सह-अध्यक्ष डॉ राजीव जयदेवन ने कहा था कि यह देश में चौथी लहर का कारण बनेगा, इसकी आशंका फिलहाल नहीं है। जो लोग तीसरी लहर के दौरान संक्रमण का शिकार रह चुके हैं, उनमें बीए.2 से संक्रमण का जोखिम कम है। 



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