Omicron BA.2: क्या चौथी लहर का कारण बन सकता है यह सब-वैरिएंट? वैज्ञानिकों की चेतावनी- डेल्टा के टक्कर का है यह ‘नया खतरा’


भारत सहित दुनिया के तमाम देशों में भले ही कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट से संक्रमण के मामले कम हो रहे हैं, हालांकि वैज्ञानिक इसके सब-वैरिएंट के बढ़ते खतरे को लेकर विशेष सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं। कई अध्ययनों में दावा किया जा रहा है कि ओमिक्रॉन का सब-वैरिएंट BA.2, मूल वैरिेएंट से कई गुना अधिक संक्रामक हो सकता है, इतना ही नहीं इससे संक्रमण के कारण लोगों को गंभीर रोग का खतरा भी बना हुआ है। इस संकट को देखते हुए महामारी विशेषज्ञों ने इसे ‘वैरिएंट ऑफ कंसर्न’ में अपग्रेड करने की अपील की है।

ब्रिटेन की स्वास्थ्य सेवा एजेंसी (यूकेएचएसए) ने ओमिक्रॉन बीए.2 के खतरे को लेकर हालिया रिपोर्ट में बताया कि यह बीए.1 स्ट्रेन की तुलना में कहीं अधिक संक्रामक है, इतना ही नहीं यह पारंपरिक कोरोना जांच को भी चकमा दे सकता है। एक अन्य अध्ययन में वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि इस सब-वैरिएंट में कई ऐसे संकेत देखे गए हैं, जो इसे गंभीर बीमारी पैदा करने में सक्षम बनाते हैं। आशंका है कि इस स्ट्रेन से होने वाला संक्रमण डेल्टा की तरह गंभीर बीमारी का खतरा पैदा कर सकता है। आइए जानते हैं कि आखिर ओमिक्रॉन के सब-वैरिएंट BA.2 को इतना खतरनाक क्यों माना जा रहा है?

बीए.2 को लेकर चिंतित हैं स्वास्थ्य संगठन

इस सप्ताह की शुरुआत में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने चिंता जताते हुए बताया था कि ओमिक्रॉन के मूल वैरिएंट की तुलना में बीए.2 स्ट्रेन तेजी से बढ़ रहा है। इसके कारण कई देशों में हालात बिगड़े हैं। यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के निदेशक डॉ रोशेल वालेंस्की ने एक बयान में कहा कि वैसे तो ऐसे कोई सबूत नहीं हैं जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि बीए.2 स्ट्रेन, पिछले बीए.1 की तुलना में अधिक गंभीर है, हालांकि इस पर बारीकी से नजर रखी जा रही है।

उभर सकता है नया संकट

महामारी विज्ञानी एरिक फेंग कहते हैं, सब-वैरिएंट BA.2 नई मुसीबत बनकर उभर रहा है। इसका संक्रमण दर और अधिक हो सकता है। जो लोग पहले बीए.1 से संक्रमित रह चुके हैं, उनमें इस नए सब-वैरिएंट के लिए प्रतिरोधक क्षमता हो सकती है, हालांकि यह कितनी असरदार होगी इसे स्पष्ट कहा नहीं जा सकता है। फैंग ने यह भी कहा कि अध्ययनों से पता चला है कि BA.2 के भी दो वैरिएंट हो सकते हैं। कोरोना के इस नए खतरे को लेकर विशेष अलर्ट रहने की आवश्यकता है।

शरीर की प्रतिरक्षा को दे सकता है चकमा

ओमिक्रॉन सब-वैरिएंट बीए.2 को लेकर हाल ही में हुए अध्ययनों में इसे कई मामलों में चिंता का कारण बताया जा रहा है। ब्रिटेन की स्वास्थ्य सेवा एजेंसी (यूकेएचएसए) के वैज्ञानिकों के मुताबिक ओमिक्रॉन बीए.2 में वह एक म्यूटेशन नहीं है जो कोविड-19 का पता लगाने में मदद करता है। ओमिक्रॉन के “एस” स्पाइक जीन में एक आनुवंशिक विलोपन देखा जा रहा था जिसकी मदद से आरटी-पीसीआर परीक्षण के साथ संक्रमण की पुष्टि कर पाना आसान होता था, हालांकि बीए.2 सब-वैरिएंट में वह एस जीन नहीं है, इस वजह से इसे ट्रैक करना मुश्किल हो सकता है। ऐसे में आशंका है कि लोगों में संक्रमण होने के बावजूद उनका परीक्षण रिपोर्ट निगेटिव आ सकता है। 

क्या आ सकती है एक और लहर?

सब-वैरिएंट BA.2 के बढ़ते खतरे को देखते हुए लोगों के मन में एक और डर पैदा हो रहा है कि क्या इसके कारण कोरोना की एक और लहर आ सकती है? इस संबंध में स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि दुनियाभर से मिल रहे रिपोर्ट चिंता बढ़ाने वाले जरूर हैं, पर यह एक और लहर का कारण बन सकता है, इसकी आशंका फिलहाल कम ही है। आईएमए कोविड टास्क फोर्स के सह-अध्यक्ष डॉ राजीव जयदेवन कहते हैं, जिन लोगों को ओमिक्रॉन का संक्रमण हो चुका हैं, उनमें बीए.2 से संक्रमण का खतरा कम है। यह कोई नया वायरस या स्ट्रेन नहीं है, बीए.2 ओमाइक्रोन का ही एक उप-वंश है। यह देश में चौथी लहर का कारण बनेगा, इसकी आशंका फिलहाल नहीं है।

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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्ट्स और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सुझाव के आधार पर तैयार किया गया है। 

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।





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