यूपी चुनाव: जानें बसपा को कौन सी सीट पर मिली जीत, ये हैं वो दो सीटें जिनपर सिमटी कांग्रेस


उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी गठबंधन ने विधानसभा चुनाव में 273 सीट जीतकर एक बार फिर से सत्ता हासिल कर ली है, सपा गठबंधन को 125 सीटें प्राप्त हुई हैं। बहुजन समाज पार्टी को एक सीट मिली है, जबकि कांग्रेस ने दो सीटों पर जीत दर्ज की है। इसके अलावा जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी ने भी दो सीटों पर कब्जा जमाया है। नतीजों के बाद यूपी में नई सरकार की गठन के लिए तैयारी शुरू हो गई हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 18वीं विधानसभा के गठन से पहले राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपेगे। आपको बता दें कि योगी आदित्यनाथ सरकार का कार्यकाल 15 मार्च तक है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, आज मुख्यमंत्री योगी अपना इस्तीफा सौंप सकते हैं। आइए आपको बताते हैं कि वो कौन सी सीट है जिसपर बहुजन समाज पार्टी ने जीत हासिल की है, और उन दो सीटों के बारे में भी बताइएंगे जिनपर कांग्रेस ने कब्जा जमाया है। 

उमाशंकर सिंह ने बचाई बसपा की लाज

यूपी में बसपा ने एकमात्र बलिया की रसड़ा विधानसभा सीट जीतने में सफलता पाई है। यहां से बसपा के टिकट पर उमाशंकर सिंह ने तीसरी बार जीत हासिल की है। हालांकि यह जीत भी कड़े संघर्ष में 6585 मतों से मिली है। उमाशंकर सिंह को 87345 वोट मिले। वहीं, सुभासपा के महेंद्रा 80681 मत मिले। ऐसे तो बसपा के लिए रसड़ा विधानसभा सीट पुरानी है। इस सीट से कई बार घूरा राम चुनाव जीते। हालांकि तब यह सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित थी। वर्ष 2012 में परिसीमन बदलने के बाद यह सीट सामान्य हो गई और विधानसभा चुनाव में पहली बार उमाशंकर सिंह ने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और सपा के सनातन पांडेय को करीब 52 हजार मतों से हराया था।

भाजपा नहीं भेद पाई कांग्रेस का दुर्ग, मोना ने लगाई जीत की हैट्रिक

रामपुर खास विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस का वर्चस्व बरकरार रहा। कांग्रेस प्रत्याशी आराधना मिश्रा मोना ने भाजपा के नागेश प्रताप सिंह को 14,741 मतों से हराकर जीत की हैट्रिक लगाई है। आराधना मिश्रा को 84,334 मत मिले, जबकि भाजपा प्रत्याशी नागेश प्रताप सिंह को 69,593 मतों से ही संतोष करना पड़ा।कांग्रेस ने यहां से लगातार 12वीं जीत दर्ज की है। कांग्रेस के दिग्गज नेता और सीडब्ल्यूसी मेंबर प्रमोद तिवारी की मजबूत किलेबंदी को आखिरी दम तक जोर लगाने के बाद भी भाजपा भेद नहीं पाई। रामपुर खास विधानसभा सीट 1980 से लगातार कांग्रेस के कब्जे में है। कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य और पूर्व राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी इस सीट से रिकार्ड लगातार नौ बार विधायक रहे। वर्ष 2014 में प्रमोद के राज्यसभा सदस्य बनने के बाद हुए उपचुनाव में उनकी बेटी आराधना मिश्रा मोना यहां से पहली बार विधायक बनीं। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा लहर के बाद भी प्रमोद तिवारी यह सीट बचाने में कामयाब रहे थे।

महाराजगंज जिले की फरेंदा सीट पर कांग्रेस और बीजेपी में रही जोरदार टक्कर

फरेंदा विधानसभा सीट पर कांग्रेस को करीब 20 साल बाद जीत मिली है। पार्टी प्रत्याशी वीरेंद्र चौधरी ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के बजरंग बहादुर सिंह को 1,087 मतों के अंतर से पराजित किया। फरेंदा विधानसभा सीट पर कभी कांग्रेस का दबदबा हुआ करता था, लेकिन वक्त के साथ यहां पार्टी का प्रभाव कम होता गया। आजादी के बाद 1952 से 1967 तक कांग्रेस के गौरीराम गुप्ता फरेंदा से विधायक रहे। 1969 में पियारी देवी ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज की। 1974 में सीपीआई के लक्ष्मीनारायन पांडेय विधायक चुने गए। 1977 में सीपीआई से श्यामनरायन तिवारी ने जीत हासिल की। 1980 में भी श्यामनारायन को जीत मिली। 1985 में जनता पार्टी प्रत्याशी के रूप में हर्षवर्धन सिंह ने जीत दर्ज की। 1989 व 1991 में कांग्रेस के टिकट पर फिर श्यामनारायन तिवारी चुनाव जीते। 1993 में भाजपा के चौधरी शिवेंद्र ने सीपीआई-एम के विनोद तिवारी को मात्र 50 मतों के अंतर से हराया। 1996 के विधानसभा चुनाव में सीपीआई-एम व सपा गठबंधन के उम्मीदवार विनोद तिवारी को जीत मिली।

पहली बार अपनी पार्टी से लड़े राजाभैया को मिली सीधी चुनौती 

कुंडा विधानसभा सीट से सात बार निर्दल विधायक रह चुके रघुराज प्रताप सिंह राजाभैया को पहली बार अपनी पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक से मैदान में उतरने के बाद सपा से कड़ी टक्कर मिली। सपा प्रत्याशी गुलशन यादव लगातार उनका पीछा करते नजर आए। यही कारण रहा कि वर्ष 2017 के चुनाव में एक लाख से अधिक वोटों से जीत हासिल करने वाले राजाभैया की जीत का अंतर इस बार घटकर 30,418 पर पहुंच गया। यह पहला मौका है जब वह इतने कम वोटों के अंतर से चुनाव जीते हैं। 



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