कुरुक्षेत्र: मई के पहले सप्ताह में शुरू हो सकती है पीके की नई राजनीतिक पारी, न कोई शर्त न किसी पद की चाह, सिर्फ अपनी कार्ययोजना लागू करने का जुनून


सार

सूत्रों ने बताया कि अब सोनिया गांधी को अंतिम निर्णय लेना है कि रिवाईवल कांग्रेस के पीके प्लान को लागू करने के लिए पार्टी किस हद तक तैयार है। शनिवार को सोनिया गांधी के आवास दस जनपथ पर सोनिया राहुल प्रियंका के साथ ही कांग्रेस के करीब 15 शीर्ष नेताओं के साथ प्रशांत किशोर की हुई चार घंटे की लंबी बैठक में पार्टी को भाजपा के मुकाबले लड़ाई के लिए तैयार करने की पीके योजना पर गहन मंथन हुआ।

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पीके यानी प्रशांत किशोर अपनी नई राजनीतिक पारी मई के पहले सप्ताह में शुरू कर सकते हैं। वह कांग्रेस में कब और कैसे शामिल होंगे इसका फैसला उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर छोड़ दिया है। लेकिन एक बात पीके ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी समेत सभी प्रमुख नेताओं के साथ हुई बैठक में साफ कर दी है कि उन्हें पार्टी में कोई पद नहीं चाहिए और न ही उनकी कोई शर्त है, लेकिन कांग्रेस को 2024 लोकसभा चुनावों में भाजपा के मुकाबले मजबूती से लड़ने के लिए तैयार करने की जो योजना उन्होने पेश की है, उससे कोई समझौता नहीं करेंगे।

यह जानकारी देने वाले सूत्रों ने बताया कि अब इस मुद्दे पर सोनिया गांधी को अंतिम निर्णय लेना है कि रिवाईवल कांग्रेस के पीके प्लान को लागू करने के लिए पार्टी किस हद तक तैयार है। शनिवार को सोनिया गांधी के आवास दस जनपथ पर सोनिया राहुल प्रियंका के साथ ही कांग्रेस के करीब 15 शीर्ष नेताओं के साथ प्रशांत किशोर की हुई चार घंटे की लंबी बैठक में पार्टी को भाजपा के मुकाबले लड़ाई के लिए तैयार करने की पीके योजना पर गहन मंथन हुआ। पीके ने अपनी योजना का विस्तृत ब्यौरा एक प्रेजेंटेशन के माध्यम से सबके सामने रखा और फिर कांग्रेस नेताओं सवालों के जवाब भी दिए।

बताया जाता है कि पीके की इस योजना से सोनिया समेत पार्टी के ज्यादातर बड़े नेता सहमत और आश्वस्त दिखे। बैठक में पीके ने तीन बातें बिल्कुल साफ कर दीं। पहली यह कि वह किसी पद या प्रलोभन के लालच में कांग्रेस में शामिल नहीं होना चाहते हैं। वह चाहते हैं कि देश में भाजपा के मुकाबले एक लोकतांत्रिक धर्मनिरपेक्ष ताकत मजबूती से खड़ी हो और वह ताकत सिर्फ कांग्रेस ही हो सकती है क्योंकि वही एक ऐसी पार्टी है जो अपनी तमाम कमजोरियों और पराजयों के बावजूद आज भी अखिल भारतीय स्तर पेन सिर्फ मौजूद है बल्कि अपनी लंबी राजनीतिक परंपरा समृद्ध वैचारिक विरासत के साथ जनता को भाजपा का लोकतांत्रिक विकल्प दे सकती है।

बताया जाता है कि प्रशांत किशोर ने साफ किया कि क्योंकि वह अब सिर्फ चुनाव रणनीतिकार और प्रबंधक के तौर पर नहीं बल्कि राजनीतिक तौर पर सक्रिय होना चाहते हैं इसलिए इसमें किसी तरह के आर्थिक लाभ का भी सवाल नहीं है। अगर उन्हें सिर्फ आर्थिक लाभ ही कमाना होता तो जो काम वह अब तक करते रहें हैं वही करते रह सकते थे। लेकिन अब उन्होंने राजनीति में आने का फैसला किया है तो वह आर्थिक लाभ के लिए नहीं बल्कि वैचारिक मजबूती के लिए काम करना चाहते हैं।

सूत्रों के अनुसार, उन्होंने कहा कि वह जो काम करना चाहते हैं उसके लिए किसी पद की जरूरत नहीं है। उन्हें सिर्फ अपनी कार्ययोजना को लागू करने की पूरी स्वतंत्रता चाहिए। उसमें कोई ढील उन्हें मंजूर नहीं होगी क्योंकि अगर उनकी कार्ययोजना पूरी तरह लागू नहीं हो पाई तो उसके वो अपेक्षित नतीजे नहीं निकलेंगे जिसके लिए वह कांग्रेस में आएंगे। पीके ने कांग्रेस नेताओं से कहा कि एक प्रशांत किशोर या सौ प्रशांत किशोर किसी भी पार्टी के लिए अपने साथ कोई मतदाता समूह लेकर नहीं आ सकते हैं क्योंकि वह कुछ नेताओं की तरह वोटों के सौदागर नहीं हैं। लेकिन वह कांग्रेस के लिए ज्यादा से ज्यादा वोट कैसे जुटाए जाएं इस पर काम करके नतीजे दे सकते हैं। इसलिए उन्हें अपनी कार्ययोजना लागू करने की पूरी स्वतंत्रता चाहिए।

बैठक में मौजूद एक कांग्रेस नेता के मुताबिक, प्रशांत किशोर ने अपनी पूरी बात बेहद शालीनता और आत्मविश्वास से रखी और पार्टी नेतृत्व उनकी बात से खासा आश्वस्त नजर आया। अपनी कार्ययोजना का विस्तृत ब्यौरा देते हुए जब पीके ने बताया कि कैसे मुख्यधारा के मीडिया की परवाह किए बिना कांग्रेस कैसे अपनी बात रोजाना कम से कम 50 करोड़ लोगों तक सफलता पूर्वक पहुंचा सकती है तो सारे नेता बेहद प्रभावित हुए। इसके अलावा भी उन्होंने अपनी योजना की कई दूसरी बातों को भी पेश किया। इस नेता के मुताबिक पीके को लेकर अंतिम फैसला सोनिया गांधी पर छोड़ दिया गया है। खुद पीके ने भी इससे सहमति जताई है कि अंतिम निर्णय कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को ही लेना चाहिए।

दस जनपथ के करीबी सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस नेतृत्व और पार्टी का प्रथम परिवार पीके को पार्टी में लेने का मन लगभग बना चुका है। लेकिन यह काम सभी शीर्ष नेताओं को विश्वास में लेकर करना चाहता है जिससे प्रशांत किशोर को काम करने में कोई परेशानी और आंतरिक विरोध का सामना न करना पड़े। इसी कड़ी में शनिवार को पार्टी के करीब 15 शीर्ष नेताओं के साथ पीके की बैठक करवाई गई और इसमें सोनिया राहुल प्रियंका भी शामिल हुए। इस बैठक के जरिए जहां एक तरफ शीर्ष नेताओं के सात प्रशांत किशोर का संवाद भी हुआ तो दूसरी तरफ पार्टी नेताओं की शंकाओं और आशंकाओं का भी समाधान किया गया। इससे पीके और कांग्रेस नेताओं के बीच जमी बर्फ पिघली है और भविष्य में आपस में तालमेल का रास्ता भी साफ हुआ है।

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक पार्टी के इतिहास में पहली बार किसी एक व्यक्ति को लेकर ऐसी कवायद हो रही है, इससे साफ पता चलता है कि कांग्रेस नेतृत्व अब पुराने ढर्रे से पार्टी को निकालकर उसके तौर तरीकों संगठनात्मक ढांचे और रणनीति में आमूलचूल बदलाव करना चाहता है।  इसके लिए अगर प्रशांत किशोर जैसे कुशल रणनीतिकार और सफल चुनाव प्रबंधक को पार्टी में शामिल करना पड़े तो कांग्रेस उसके लिए तैयार है।  बताया जाता है कि इस बैठक में एक बात और साफ हुई कि प्रशांत किशोर सिर्फ गुजरात या हिमाचल प्रदेश के लिए नहीं बल्कि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों में पार्टी को मजबूती से मैदान में उतारने के लिए काम करेंगे। इस बीच जिन राज्यों के विधानसभा चुनाव होंगे वह उन पर भी रणनीति बनाएंगे लेकिन उनका मुख्य फोकस 2024 लोकसभा चुनाव और उसके बाद की कांग्रेस राजनीति पर होगा। सूत्रों के मुताबिक पीके के कांग्रेस में शामिल होने का मसला मई के पहले सप्ताह तक तय हो सकता है।

विस्तार

पीके यानी प्रशांत किशोर अपनी नई राजनीतिक पारी मई के पहले सप्ताह में शुरू कर सकते हैं। वह कांग्रेस में कब और कैसे शामिल होंगे इसका फैसला उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर छोड़ दिया है। लेकिन एक बात पीके ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी समेत सभी प्रमुख नेताओं के साथ हुई बैठक में साफ कर दी है कि उन्हें पार्टी में कोई पद नहीं चाहिए और न ही उनकी कोई शर्त है, लेकिन कांग्रेस को 2024 लोकसभा चुनावों में भाजपा के मुकाबले मजबूती से लड़ने के लिए तैयार करने की जो योजना उन्होने पेश की है, उससे कोई समझौता नहीं करेंगे।

यह जानकारी देने वाले सूत्रों ने बताया कि अब इस मुद्दे पर सोनिया गांधी को अंतिम निर्णय लेना है कि रिवाईवल कांग्रेस के पीके प्लान को लागू करने के लिए पार्टी किस हद तक तैयार है। शनिवार को सोनिया गांधी के आवास दस जनपथ पर सोनिया राहुल प्रियंका के साथ ही कांग्रेस के करीब 15 शीर्ष नेताओं के साथ प्रशांत किशोर की हुई चार घंटे की लंबी बैठक में पार्टी को भाजपा के मुकाबले लड़ाई के लिए तैयार करने की पीके योजना पर गहन मंथन हुआ। पीके ने अपनी योजना का विस्तृत ब्यौरा एक प्रेजेंटेशन के माध्यम से सबके सामने रखा और फिर कांग्रेस नेताओं सवालों के जवाब भी दिए।

बताया जाता है कि पीके की इस योजना से सोनिया समेत पार्टी के ज्यादातर बड़े नेता सहमत और आश्वस्त दिखे। बैठक में पीके ने तीन बातें बिल्कुल साफ कर दीं। पहली यह कि वह किसी पद या प्रलोभन के लालच में कांग्रेस में शामिल नहीं होना चाहते हैं। वह चाहते हैं कि देश में भाजपा के मुकाबले एक लोकतांत्रिक धर्मनिरपेक्ष ताकत मजबूती से खड़ी हो और वह ताकत सिर्फ कांग्रेस ही हो सकती है क्योंकि वही एक ऐसी पार्टी है जो अपनी तमाम कमजोरियों और पराजयों के बावजूद आज भी अखिल भारतीय स्तर पेन सिर्फ मौजूद है बल्कि अपनी लंबी राजनीतिक परंपरा समृद्ध वैचारिक विरासत के साथ जनता को भाजपा का लोकतांत्रिक विकल्प दे सकती है।

बताया जाता है कि प्रशांत किशोर ने साफ किया कि क्योंकि वह अब सिर्फ चुनाव रणनीतिकार और प्रबंधक के तौर पर नहीं बल्कि राजनीतिक तौर पर सक्रिय होना चाहते हैं इसलिए इसमें किसी तरह के आर्थिक लाभ का भी सवाल नहीं है। अगर उन्हें सिर्फ आर्थिक लाभ ही कमाना होता तो जो काम वह अब तक करते रहें हैं वही करते रह सकते थे। लेकिन अब उन्होंने राजनीति में आने का फैसला किया है तो वह आर्थिक लाभ के लिए नहीं बल्कि वैचारिक मजबूती के लिए काम करना चाहते हैं।

सूत्रों के अनुसार, उन्होंने कहा कि वह जो काम करना चाहते हैं उसके लिए किसी पद की जरूरत नहीं है। उन्हें सिर्फ अपनी कार्ययोजना को लागू करने की पूरी स्वतंत्रता चाहिए। उसमें कोई ढील उन्हें मंजूर नहीं होगी क्योंकि अगर उनकी कार्ययोजना पूरी तरह लागू नहीं हो पाई तो उसके वो अपेक्षित नतीजे नहीं निकलेंगे जिसके लिए वह कांग्रेस में आएंगे। पीके ने कांग्रेस नेताओं से कहा कि एक प्रशांत किशोर या सौ प्रशांत किशोर किसी भी पार्टी के लिए अपने साथ कोई मतदाता समूह लेकर नहीं आ सकते हैं क्योंकि वह कुछ नेताओं की तरह वोटों के सौदागर नहीं हैं। लेकिन वह कांग्रेस के लिए ज्यादा से ज्यादा वोट कैसे जुटाए जाएं इस पर काम करके नतीजे दे सकते हैं। इसलिए उन्हें अपनी कार्ययोजना लागू करने की पूरी स्वतंत्रता चाहिए।

बैठक में मौजूद एक कांग्रेस नेता के मुताबिक, प्रशांत किशोर ने अपनी पूरी बात बेहद शालीनता और आत्मविश्वास से रखी और पार्टी नेतृत्व उनकी बात से खासा आश्वस्त नजर आया। अपनी कार्ययोजना का विस्तृत ब्यौरा देते हुए जब पीके ने बताया कि कैसे मुख्यधारा के मीडिया की परवाह किए बिना कांग्रेस कैसे अपनी बात रोजाना कम से कम 50 करोड़ लोगों तक सफलता पूर्वक पहुंचा सकती है तो सारे नेता बेहद प्रभावित हुए। इसके अलावा भी उन्होंने अपनी योजना की कई दूसरी बातों को भी पेश किया। इस नेता के मुताबिक पीके को लेकर अंतिम फैसला सोनिया गांधी पर छोड़ दिया गया है। खुद पीके ने भी इससे सहमति जताई है कि अंतिम निर्णय कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को ही लेना चाहिए।

दस जनपथ के करीबी सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस नेतृत्व और पार्टी का प्रथम परिवार पीके को पार्टी में लेने का मन लगभग बना चुका है। लेकिन यह काम सभी शीर्ष नेताओं को विश्वास में लेकर करना चाहता है जिससे प्रशांत किशोर को काम करने में कोई परेशानी और आंतरिक विरोध का सामना न करना पड़े। इसी कड़ी में शनिवार को पार्टी के करीब 15 शीर्ष नेताओं के साथ पीके की बैठक करवाई गई और इसमें सोनिया राहुल प्रियंका भी शामिल हुए। इस बैठक के जरिए जहां एक तरफ शीर्ष नेताओं के सात प्रशांत किशोर का संवाद भी हुआ तो दूसरी तरफ पार्टी नेताओं की शंकाओं और आशंकाओं का भी समाधान किया गया। इससे पीके और कांग्रेस नेताओं के बीच जमी बर्फ पिघली है और भविष्य में आपस में तालमेल का रास्ता भी साफ हुआ है।

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक पार्टी के इतिहास में पहली बार किसी एक व्यक्ति को लेकर ऐसी कवायद हो रही है, इससे साफ पता चलता है कि कांग्रेस नेतृत्व अब पुराने ढर्रे से पार्टी को निकालकर उसके तौर तरीकों संगठनात्मक ढांचे और रणनीति में आमूलचूल बदलाव करना चाहता है।  इसके लिए अगर प्रशांत किशोर जैसे कुशल रणनीतिकार और सफल चुनाव प्रबंधक को पार्टी में शामिल करना पड़े तो कांग्रेस उसके लिए तैयार है।  बताया जाता है कि इस बैठक में एक बात और साफ हुई कि प्रशांत किशोर सिर्फ गुजरात या हिमाचल प्रदेश के लिए नहीं बल्कि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों में पार्टी को मजबूती से मैदान में उतारने के लिए काम करेंगे। इस बीच जिन राज्यों के विधानसभा चुनाव होंगे वह उन पर भी रणनीति बनाएंगे लेकिन उनका मुख्य फोकस 2024 लोकसभा चुनाव और उसके बाद की कांग्रेस राजनीति पर होगा। सूत्रों के मुताबिक पीके के कांग्रेस में शामिल होने का मसला मई के पहले सप्ताह तक तय हो सकता है।



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