Maharashtra Crisis: उद्धव के पास अब कितने दांव, 16 की गई विधायकी तो कहां टिकेगा संख्या बल? यहां जानें नए समीकरण


ख़बर सुनें

महाराष्ट्र में जारी सियासी घमासान निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है।  राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने उद्धव ठाकरे को गुरुवार शाम तक बहुमत साबित करने को कहा है। वहीं, शिवसेना फ्लोर टेस्ट के खिलाफ कोर्ट पहुंच गई है। कोर्ट आज शाम शिवसेना की याचिका पर सुनवाई करेगा। 

शिवसेना को अगर कोर्ट से राहत नहीं मिलती है तो 30 जून का दिन महाराष्ट्र के इस सियासी घमासान में निर्णायक हो सकता है। ऐसे में आइये जानते हैं कि आखिर अभी संख्या बल किसके साथ है? क्या डिप्टी स्पीकर बहुमत परीक्षण से पहले बागी विधायकों को अयोग्य घोषित कर सकते हैं? 16 बागी अयोग्य हो गए तो उद्धव के पक्ष में समीकरण पलट सकता है?

अभी संख्या बल किसके साथ है? 

288 सदस्यों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में इस वक्त 287 विधायक हैं। ऐसे में बहुमत का आंकड़ा 144 हो जाता है। शिवसेना के बागी गुट 39 शिवसेना विधायकों समेत 50 विधायकों के समर्थन का दावा कर रहा है। उनका दावा सही है तो बागियों की सदस्यता नहीं जाएगी। इस स्थिति में उद्धव ठाकरे सरकार के लिए बहुमत साबित करना बहुत मुश्किल है। 

बागी विधायक भाजपा से गठबंधन की बात कर रहे हैं। भाजपा के 106 विधायक हैं। 50 विधायकों का समर्थन मिलने पर ये संख्या 156 हो जाती है। जो बहुमत के आंकड़े से 12 ज्यादा है। यानी, उद्धव सरकार के बहुमत परीक्षण में हारने पर भाजपा के लिए सरकार बनाने का रास्ता आसान हो सकता है। 

डिप्टी स्पीकर के पास 16 विधायकों की अयोग्य का मामला भी तो है उसका क्या?

डिप्टी स्पीकर ने 16 बागी विधायकों को अयोग्यता को लेकर नोटिस जारी किया था। विधायकों को सोमवार शाम तक नोटिस का जवाब देना था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को ही इन विधायकों को जवाब देने के लिए 12 जुलाई तक की मोहलत दे दी। 

कोर्ट इस मामले में 11 जुलाई को सुनवाई करने वाला है। इससे पहले राज्यपाल द्वारा बहुमत परीक्षण के लिए कहने के बाद ही शिवसेना कोर्ट गई है। शिवसेना चाहती है कि जब तक विधायकों की अयोग्यता पर फैसला नहीं हो तब तक बहुमत परीक्षण भी न हो। कोर्ट के सोमवार के आदेश के आधार पर ही उद्धव ठाकरे गुट फ्लोर टेस्ट की तारीख आगे बढ़वाने की उम्मीद करेगा। 

अगर बहुमत परीक्षण से पहले 16 विधायक अयोग्य हो गए तो क्या होगा? 

ऐसा होने पर शिवसेना के कुल विधायकों की संख्या 55 से घटकर 39 हो जाएगी। वहीं, बागी गुट के पास 23 विधायकों का समर्थन बचेगा। बचे हुए 39 विधायकों वाली शिवसेना के बागी गुट को अयोग्यता से बचने के लिए कम से कम 26 विधायकों की जरूरत होगी। ऐसा नहीं होने पर बाकी 23 विधायक भी अयोग्य ठहराए जा सकते हैं। 

शिंदे गुट डिप्टी स्पीकर को हटाने की मांग कर रहा है क्या ऐसा हो सकता है? 

2015 में अरुणाचल प्रदेश में हुए सियासी उठापटक के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इसे लेकर फैसला दिया था। फैसले में कोर्ट  ने कहा था कि संविधान में कहा गया है कि डिप्टी स्पीकर को “विधानसभा सदस्यों के बहुमत से” हटाया जा सकता है। कोर्ट ने इसकी व्याख्या करते हुए कहा था कि विधानसभा के सभी विधायक अपनी अयोग्यता के बारे में किसी भी निर्णय से पहले डिप्टी स्पीकर की अयोग्यता पर मतदान कर सकते हैं। 

इस लिहाज से कहा जा सकता है कि शिवसेना के बागी विधायकों की अयोग्यता के इस मामले का फैसला बिना शीर्ष अदालत के दखल के मुश्किल लगता है।   

सुप्रीम कोर्ट ने तो 12 जुलाई तक यथास्थिति की बात कही है फिर फ्लोर टेस्ट कैसे हो रहा है?

कोर्ट ने सिर्फ विधायकों की अयोग्यता के मामले में यथास्थिति बनाए रखने की बात कही थी। फ्लोर टेस्ट को लेकर कुछ नहीं कहा था। हालांकि,सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार की ओर से 11 जुलाई तक फ्लोर टेस्ट पर रोक लगाने की मांग की गई थी। कोर्ट इस तरह का कोई आदेश देने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि हम ऐसा कोई आदेश पारित नहीं कर सकते जिससे बेवजह की जटिलता पैदा हो।

जेल में बंद नवाब मलिक और अनिल देशमुख फ्लोर टेस्ट में शामिल होंगे?
नवाब मलिक और अनिल देशमुख दोनों ही एनसीपी के विधायक हैं। दोनों इस वक्त जेल में बंद हैं। राज्यसभा चुनाव और विधानपरिषद चुनाव के दौरान दोनों ने कोर्ट से वोट डालने की अनुमति मांगी थी। हालांकि, दोनों को अनुमति नहीं मिली थी। फ्लोर टेस्ट से पहले दोनों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है। दोनों ने कोर्ट से फ्लोर टेस्ट में शामिल होने की अनुमति मांगी है। शिंदे गुट का दावा सही साबित होता है तो दोनों के वोट का उद्धव ठाकरे को खास फायदा नहीं होगा। क्योंकि दोनों के सरकार के पक्ष में वोट करने के बाद भी उद्धव ठाकरे सरकार अल्पमत में ही रहेगी। 
 

विस्तार

महाराष्ट्र में जारी सियासी घमासान निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है।  राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने उद्धव ठाकरे को गुरुवार शाम तक बहुमत साबित करने को कहा है। वहीं, शिवसेना फ्लोर टेस्ट के खिलाफ कोर्ट पहुंच गई है। कोर्ट आज शाम शिवसेना की याचिका पर सुनवाई करेगा। 

शिवसेना को अगर कोर्ट से राहत नहीं मिलती है तो 30 जून का दिन महाराष्ट्र के इस सियासी घमासान में निर्णायक हो सकता है। ऐसे में आइये जानते हैं कि आखिर अभी संख्या बल किसके साथ है? क्या डिप्टी स्पीकर बहुमत परीक्षण से पहले बागी विधायकों को अयोग्य घोषित कर सकते हैं? 16 बागी अयोग्य हो गए तो उद्धव के पक्ष में समीकरण पलट सकता है?



Source link

Enable Notifications OK No thanks