Maharashtra: राज्यपाल कोश्यारी ने मांगी माफी, कहा- महाराष्ट्र ही नहीं, पूरे भारत के विकास में सभी का योगदान


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अपने विवादित बयानों के कारण सुर्खियों में आए महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने हाल ही में मराठियों को लेकर दिए गए अपने बयान पर माफी मांग ली है। उन्होंने ट्वीटर पर एक पत्र पोस्ट कर माफी मांगी है। इससे पहले भी उन्होंने अपने बयान पर सफाई दी थी। उन्होंने कहा था कि मेरा इरादा मराठियों के अपमान का बिल्कुल भी नहीं था मैं तो बस गुजरातियों और राजस्थानियों के योगदान की प्रशंसा कर रहा था।  

राज्यपाल कोश्यारी ने मांगी माफी
सोमवार को ट्विटर पर पोस्ट किए गए एक लेटर में उन्होंने लिखा है कि ‘बीते विगत 29 जुलाई को एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान मुंबई के विकास में कुछ समुदायों के योगदान की प्रशंसा करने में संभवतया मेरी ओर से कुछ चूक हो गयी थी। उन्होंने आगे लिखा कि महाराष्ट्र ही नहीं, समस्त भारत वर्ष के विकास में सभी का योगदान रहता है। विशेषकर संबंधित प्रदेश की उदारता और सबको साथ लेकर चलने की उज्ज्वल परम्परा से ही आज देश प्रगति की ओर बढ़ रहा है। विगत लगभग तीन वर्षों में महाराष्ट्र की जनता का मुझे अपार प्रेम मिला है। मैने महाराष्ट्र और मराठी भाषा के सम्मान बढाने का पूरा प्रयास किया है। किन्तु उस भाषण में मुझसे अनायास कुछ भूल हो गयी हो तो इस भूल को महाराष्ट्र जैसे महान प्रदेश की अवमानना के रूप में लेने की तो कल्पना भी नहीं की जा सकती। महाराष्ट्र के महान संतों की परम्परा में अपने इस विनम्र राज्य सेवक को क्षमा कर अपनी विशाल हृदयता का परिचय देंगे।’

क्या दिया था बयान
दरअसल, राज्यपाल ने शुक्रवार को मुंबई के अंधेरी में  एक कार्यक्रम में बोलते हुए मारवाड़ी गुजराती समुदाय की प्रशंसा की और कहा कि वे जहां भी जाते हैं, अस्पताल, स्कूल आदि बनाकर जगह के विकास में योगदान करते हैं। उन्होंने कहा कि अगर महाराष्ट्र से गुजरातियों और राजस्थानियों को हटा दिया जाता है, तो महाराष्ट्र के पास कोई पैसा नहीं बचेगा और मुंबई को भारत की आर्थिक राजधानी नहीं कहा जाएगा। 

महाराष्ट्र में हुआ था व्यापक विरोध
उनके इस बयान के बाद महाराष्ट्र में राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया था। शिवसेना, कांग्रेस और मनसे के नेताओं ने  इस बयान को मराठी गौरव को ‘आहत’ करने वाला बताया था। इतना ही नहीं, शिवसेना सांसद संजय राउत ने तो इस्तीफे तक की मांग कर दी थी। 

अगले ही दिन राज्यपाल ने दी थी सफाई
बयान के अगले ही दिन उन्होंने अपने बयान पर सफाई भी दी थी। उन्होंने अपनी सफाई में कहा था कि मुंबई महाराष्ट्र की शान है। यह देश की आर्थिक राजधानी भी है। मुझे गर्व है कि मुझे एक राज्यपाल के रूप में छत्रपति शिवाजी महाराज की भूमि और मराठी लोगों की सेवा करने का अवसर मिला। इस वजह से मैंने बहुत कम समय में मराठी भाषा सीखने की कोशिश की। कल राजस्थानी समाज के कार्यक्रम में मैंने जो बयान दिया, उसमें मेरा मराठी आदमी को कम करके आंकने का कोई इरादा नहीं था। मैंने केवल गुजराती और राजस्थानी मंडलों द्वारा व्यापार में किए गए योगदान पर बात की थी।

इनका नाम ‘कोश्यारी’ लेकिन थोड़ी भी ‘होशियारी’ नहीं: कांग्रेस
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी महाराष्ट्र के राज्यपाल पर हमला बोला था। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा था कि इनका नाम ‘कोश्यारी’ है, लेकिन एक गवर्नर के तौर पर जो बोलते हैं और करते हैं उसमें थोड़ी भी ‘होशियारी’ नहीं होती। ये कुर्सी पर सिर्फ इसलिए बैठे हैं क्योंकि ‘हम दो’ के आदेश का निष्ठा पूर्वक पालन करते हैं।

शिंदे ने झाड़ा पल्ला
वहीं, महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के बयान पर महाराष्ट्र के CM एकनाथ शिंदे ने पल्ला झाड़ लिया था। उन्होंने  कहा था कि राज्यपाल के अपने विचार हैं, लेकिन हम उनके बयानों का समर्थन नहीं करेंगे। राज्यपाल का पद एक संवैधानिक पद है। उन्हें संविधान की नैतिकता के तहत बोलना चाहिए। हम मुंबई और मराठी लोगों के योगदान को कभी नहीं भूलेंगे। 

विस्तार

अपने विवादित बयानों के कारण सुर्खियों में आए महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने हाल ही में मराठियों को लेकर दिए गए अपने बयान पर माफी मांग ली है। उन्होंने ट्वीटर पर एक पत्र पोस्ट कर माफी मांगी है। इससे पहले भी उन्होंने अपने बयान पर सफाई दी थी। उन्होंने कहा था कि मेरा इरादा मराठियों के अपमान का बिल्कुल भी नहीं था मैं तो बस गुजरातियों और राजस्थानियों के योगदान की प्रशंसा कर रहा था।  

राज्यपाल कोश्यारी ने मांगी माफी

सोमवार को ट्विटर पर पोस्ट किए गए एक लेटर में उन्होंने लिखा है कि ‘बीते विगत 29 जुलाई को एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान मुंबई के विकास में कुछ समुदायों के योगदान की प्रशंसा करने में संभवतया मेरी ओर से कुछ चूक हो गयी थी। उन्होंने आगे लिखा कि महाराष्ट्र ही नहीं, समस्त भारत वर्ष के विकास में सभी का योगदान रहता है। विशेषकर संबंधित प्रदेश की उदारता और सबको साथ लेकर चलने की उज्ज्वल परम्परा से ही आज देश प्रगति की ओर बढ़ रहा है। विगत लगभग तीन वर्षों में महाराष्ट्र की जनता का मुझे अपार प्रेम मिला है। मैने महाराष्ट्र और मराठी भाषा के सम्मान बढाने का पूरा प्रयास किया है। किन्तु उस भाषण में मुझसे अनायास कुछ भूल हो गयी हो तो इस भूल को महाराष्ट्र जैसे महान प्रदेश की अवमानना के रूप में लेने की तो कल्पना भी नहीं की जा सकती। महाराष्ट्र के महान संतों की परम्परा में अपने इस विनम्र राज्य सेवक को क्षमा कर अपनी विशाल हृदयता का परिचय देंगे।’

क्या दिया था बयान

दरअसल, राज्यपाल ने शुक्रवार को मुंबई के अंधेरी में  एक कार्यक्रम में बोलते हुए मारवाड़ी गुजराती समुदाय की प्रशंसा की और कहा कि वे जहां भी जाते हैं, अस्पताल, स्कूल आदि बनाकर जगह के विकास में योगदान करते हैं। उन्होंने कहा कि अगर महाराष्ट्र से गुजरातियों और राजस्थानियों को हटा दिया जाता है, तो महाराष्ट्र के पास कोई पैसा नहीं बचेगा और मुंबई को भारत की आर्थिक राजधानी नहीं कहा जाएगा। 

महाराष्ट्र में हुआ था व्यापक विरोध

उनके इस बयान के बाद महाराष्ट्र में राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया था। शिवसेना, कांग्रेस और मनसे के नेताओं ने  इस बयान को मराठी गौरव को ‘आहत’ करने वाला बताया था। इतना ही नहीं, शिवसेना सांसद संजय राउत ने तो इस्तीफे तक की मांग कर दी थी। 

अगले ही दिन राज्यपाल ने दी थी सफाई

बयान के अगले ही दिन उन्होंने अपने बयान पर सफाई भी दी थी। उन्होंने अपनी सफाई में कहा था कि मुंबई महाराष्ट्र की शान है। यह देश की आर्थिक राजधानी भी है। मुझे गर्व है कि मुझे एक राज्यपाल के रूप में छत्रपति शिवाजी महाराज की भूमि और मराठी लोगों की सेवा करने का अवसर मिला। इस वजह से मैंने बहुत कम समय में मराठी भाषा सीखने की कोशिश की। कल राजस्थानी समाज के कार्यक्रम में मैंने जो बयान दिया, उसमें मेरा मराठी आदमी को कम करके आंकने का कोई इरादा नहीं था। मैंने केवल गुजराती और राजस्थानी मंडलों द्वारा व्यापार में किए गए योगदान पर बात की थी।

इनका नाम ‘कोश्यारी’ लेकिन थोड़ी भी ‘होशियारी’ नहीं: कांग्रेस

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी महाराष्ट्र के राज्यपाल पर हमला बोला था। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा था कि इनका नाम ‘कोश्यारी’ है, लेकिन एक गवर्नर के तौर पर जो बोलते हैं और करते हैं उसमें थोड़ी भी ‘होशियारी’ नहीं होती। ये कुर्सी पर सिर्फ इसलिए बैठे हैं क्योंकि ‘हम दो’ के आदेश का निष्ठा पूर्वक पालन करते हैं।

शिंदे ने झाड़ा पल्ला

वहीं, महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के बयान पर महाराष्ट्र के CM एकनाथ शिंदे ने पल्ला झाड़ लिया था। उन्होंने  कहा था कि राज्यपाल के अपने विचार हैं, लेकिन हम उनके बयानों का समर्थन नहीं करेंगे। राज्यपाल का पद एक संवैधानिक पद है। उन्हें संविधान की नैतिकता के तहत बोलना चाहिए। हम मुंबई और मराठी लोगों के योगदान को कभी नहीं भूलेंगे। 



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