Maharashtra: क्या फिर चमकेगी उद्धव ठाकरे की राजनीति, राज्यपाल के बयान से फिर हावी होगा वर्षों पुराना मुद्दा?


महाराष्ट्र एक बार फिर से चर्चा में है। कारण राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का वह बयान, जिसने महाराष्ट्र की सियासत में विपक्ष को बैठे-बिठाए मुद्दा दे दिया। कहा तो यह भी जा रहा है कि यह बयान शिवसेना में पिछले कुछ दिनों से साइड लाइन चल रहे उद्धव ठाकरे की राजनीति में भी जान फूंक सकता है। उद्धव भी इस मौके को हाथ से जाने नहीं देना चाहते हैं। 

ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या वाकई में उद्धव ठाकरे की राजनीति फिर से चमक उठेगी? वर्षों पहले जिस मुद्दे की राजनीति ठाकरे परिवार किया करता था, अब फिर से वही शुरू होगी? आइए समझते हैं…  

 

पहले जानिए वो बयान, जिससे महाराष्ट्र में सियासी तूफान आया

महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी शुक्रवार को मुंबई के अंधेरी में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इसमें बोलते हुए उन्होंने मारवाड़ी गुजराती समुदाय की प्रशंसा की। उन्होंने कहा, ‘वे (मारवाड़ी, गुजराती) जहां भी जाते हैं, अस्पताल, स्कूल आदि बनाकर जगह के विकास में योगदान करते हैं। अगर महाराष्ट्र से गुजरातियों और राजस्थानियों को हटा दिया जाता है, तो महाराष्ट्र के पास कोई पैसा नहीं बचेगा और मुंबई को भारत की आर्थिक राजधानी नहीं कहा जाएगा।’  

बाद में राज्यपाल कोश्यारी ने सफाई भी दी। कहा कि मुंबई महाराष्ट्र की शान है। यह देश की आर्थिक राजधानी भी है। मुझे गर्व है कि मुझे एक राज्यपाल के रूप में छत्रपति शिवाजी महाराज की भूमि और मराठी लोगों की सेवा करने का अवसर मिला। इस वजह से मैंने बहुत कम समय में मराठी भाषा सीखने की कोशिश की। कल राजस्थानी समाज के कार्यक्रम में मैंने जो बयान दिया, उसमें मेरा मराठी आदमी को कम करके आंकने का कोई इरादा नहीं था। मैंने केवल गुजराती और राजस्थानी मंडलों द्वारा व्यापार में किए गए योगदान पर बात की।

 

उद्धव ने किया तीखा हमला

राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के बयान पर उद्धव ठाकरे ने तीखा हमला किया। ठाकरे ने आरोप लगाया कि कोश्यारी ने मराठी लोगों का अपमान किया है। उन्होंने यह बयान जानबूझकर दिया था। शिवसेना प्रमुख ने कहा कि राज्यपाल ने हद पार कर दी है। उन्हें उस कुर्सी का सम्मान करना चाहिए जिस पर वह आसीन हैं। राज्यपाल ने जिस तरह का बयान दिया है उसके बाद तो यह तय किया जाना चाहिए कि उन्हें यहां से वापस भेजना है या जेल भेजना है। राज्यपाल कोश्यारी को मराठी लोगों से माफी मांगनी होगी। 

उद्धव यहीं नहीं रुके उन्होंने राज्यपाल कोश्यारी को लेकर विवादित टिप्पणी भी की। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में भगत सिंह कोश्यारी ने पिछले 2.5 वर्षों में महाराष्ट्र में हर चीज का आनंद लिया। उन्होंने महाराष्ट्रियन व्यंजनों का आनंद लिया, अब समय आ गया है कि वह कोल्हापुरी चप्पल भी देखें। कोल्हापुरी चप्पलें विश्व भर में प्रसिद्ध हैं और उन्हें यह जरूर दिखानी चाहिए।

 

राज ठाकरे ने भी राज्यपाल पर बोला हमला

आमतौर पर भाजपा को समर्थन देने वाले महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे भी इस बार राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर भड़के नजर आए। उन्होंने कहा कि मराठी लोगों को मूर्ख मत बनाओ। यदि आप महाराष्ट्र के इतिहास के बारे में कुछ नहीं जानते हैं, तो इसके बारे में बात न करें।

मनसे सुप्रीमो ने कहा कि राज्यपाल का पद बहुत सम्मानित पद है इसलिए लोग इसके खिलाफ कुछ नहीं कहेंगे, लेकिन आपके बयान से महाराष्ट्र की जनता आहत हुई है। उन्होंने राज्यपाल कोश्यारी से आगे सवाल करते हुए कहा कि राज्य में मराठी लोगों की वजह से नौकरी के अच्छे अवसर पैदा हुए। इसलिए दूसरे राज्यों के लोग यहां चले आए हैं ना? क्या उन्हें ऐसा माहौल कहीं और मिलेगा?  उन्होंने कहा कि चुनाव नजदीक हैं, ऐसे में किसी को भी अफवाह नहीं फैलानी चाहिए।

 

क्या वाकई में इस बयान ने उद्धव की राजनीति में नई धार दे दी?

ये समझने के लिए हमने महाराष्ट्र के वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप रायमुलकर से बात की। उन्होंने कहा, ‘शिवसेना की शुरुआत ही मराठी अस्मिता को लेकर हुई थी। 19 जून 1966 को बाला साहेब ठाकरे ने अपनी नई राजनीतिक पार्टी शिवसेना की नींव रखी थी। शिवसेना के गठन से पहले बाल ठाकरे एक अंग्रेजी अखबार में कार्टूनिस्ट थे। उनके पिता ने मराठी बोलने वालों के लिए अलग राज्य की मांग को लेकर आंदोलन किया था।’

रायमुलकर आगे कहते हैं, ‘शिवसेना के गठन के समय बाला साहेब ठाकरे ने नारा दिया था, ‘अंशी टके समाजकरण, वीस टके राजकरण’। मतलब 80 प्रतिशत समाज और 20 फीसदी राजनीति। इसका कारण था। वह यह कि मुंबई में मराठियों की संख्या कहीं ज्यादा थी, लेकिन व्यापार में गुजरात और नौकरियों में दक्षिण भारतीयों का दबदबा था। तब बाला साहेब ने दावा किया था कि मराठियों की सारी नौकरी दक्षिण भारतीय लोग ले लेते हैं। इसके खिलाफ उन्होंने आंदोलन शुरू किया और ‘पुंगी बजाओ और लुंगी हटाओ’ का नारा दिया।’ 

अब उद्धव ठाकरे के हाथ से शिवसेना जाती दिख रही है। विधायकों के बाद कई सांसद भी एकनाथ शिंदे के खेमे में शामिल हो चुके हैं। ऐसी स्थिति में उद्धव को वापस राजनीति में दमखम बनाने के लिए मुद्दा चाहिए था। यूं तो भगत सिंह कोश्यारी राज्यपाल हैं। उनका किसी राजनीतिक दल से कोई नाता नहीं है, लेकिन वह राज्यपाल होने से पहले भाजपा के नेता थे। ऐसे में उद्धव ठाकरे इसे राजनीतिक मुद्दा बनाने की पूरी कोशिश करेंगे। 

 



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