मिशन गुजरात: क्या यहां भी चलेगा केजरीवाल का जादू, क्या यह शख्स दोहरा सकेगा पंजाब की सफलता की कहानी?


सार

आम आदमी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक पार्टी ने सूरत नगर निगम में सफलता हासिल कर यह साबित कर दिया है कि उसके लिए गुजरात में पर्याप्त संभावनाएं मौजूद हैं। चूंकि, राज्य में कांग्रेस लंबे समय से भाजपा को कड़ी टक्कर नहीं दे पा रही है और उसके पास मतदाताओं को लुभाने के लिए कुछ नया नहीं है, मतदाताओं में एक निराशा है…

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पंजाब में सफलता की कहानी गढ़ने के बाद आम आदमी पार्टी ने गुजरात की ओर अपने पांव बढ़ा दिए हैं। पार्टी ने पंजाब की जीत के शिल्पकार रहे संदीप पाठक को गुजरात का प्रभारी बनाकर राज्य के चुनावों के प्रति अपनी गंभीरता जाहिर कर दी है। पाठक इसी हफ्ते गुजरात का दौरा करेंगे। वे गांधीनगर में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेंगे और राज्य के विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टी की तैयारियों का जायजा लेंगे। लेकिन क्या उनके लिए गुजरात में फतह हासिल करना पंजाब के जितना आसान होगा? विशेषकर इस बात को ध्यान में रखते हुए कि पंजाब में जहां विपक्ष बिखरा था, कांग्रेस आपसी गुटबाजी की शिकार थी, तो वहीं गुजरात में उनका मुकाबला भाजपा के मजबूत संगठन से होगा। प्रधानमंत्री का गृह राज्य होने के नाते यहां के मतदाताओं में उनके प्रति विशेष आग्रह भी आम आदमी पार्टी की मुश्किलें बढ़ा सकता है।

कौन हैं संदीप पाठक?

आम आदमी पार्टी ने संदीप पाठक को राज्य सभा उम्मीदवार घोषित कर दिया है। लेकिन उनकी मूल पहचान यह है कि वे आईआईटी, दिल्ली में फिजिक्स के प्रोफेसर रह चुके हैं। मूलरूप से छत्तीसगढ़ के संदीप पाठक चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की टीम में रहकर राजनीतिक पार्टियों के लिए रणनीति बनाने का काम कर चुके हैं। आम आदमी पार्टी की 2020 की जीत में भी उनका विशेष योगदान माना जाता है। वे इसी दौरान अरविंद केजरीवाल के संपर्क में आए और इसके बाद वे उनके खास सहयोगियों में शामिल हो गए।

पंजाब विधानसभा चुनाव में आप को मिली बड़ी जीत के पीछे संदीप पाठक की मेहनत को जिम्मेदार माना जा रहा है। उन्होंने लगभग एक साल पहले से ही पंजाब की एक-एक सीट को ध्यान में रखकर पार्टी के लिए नीतियां बनाईं और उसे लागू करवाया। पार्टी के उम्मीदवारों का चयन भी उनके द्वारा किए गए सर्वे के आधार पर किया गया था। आम आदमी पार्टी को भरोसा है कि संदीप पाठक उसके लिए यही कहानी गुजरात में भी दोहरा सकेंगे।

कांग्रेस की जगह हासिल करना चाहती है आप

आम आदमी पार्टी अपने पहले ही प्रयास में गुजरात में बड़ी राजनीतिक सफलता की उम्मीद नहीं कर रही है। लेकिन उसकी कोशिश है कि वह गुजरात चुनाव में कम से कम इतनी सीटें अवश्य हासिल कर ले कि वह प्रमुख विपक्षी दल की भूमिका हासिल कर ले। इसके लिए उसे कांग्रेस से ज्यादा सीटें लानी होंगी, जिसे हासिल करने के लिए पार्टी अपनी रणनीति बना रही है। इसके लिए वह गुजरात के पटेल समुदाय, किसान समुदाय, नाराज व्यापारी वर्ग और यूपी-बिहार से गुजरात गए प्रवासियों से संपर्क कर रही है। पार्टी को उम्मीद है कि ये वर्ग उसके लिए गुजरात चुनाव में बड़े राजनीतिक संपत्ति साबित होंगे।    

गुजरात में पार्टी के लिए बड़ी संभावना

आम आदमी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक पार्टी ने सूरत नगर निगम में सफलता हासिल कर यह साबित कर दिया है कि उसके लिए गुजरात में पर्याप्त संभावनाएं मौजूद हैं। चूंकि, राज्य में कांग्रेस लंबे समय से भाजपा को कड़ी टक्कर नहीं दे पा रही है और उसके पास मतदाताओं को लुभाने के लिए कुछ नया नहीं है, मतदाताओं में एक निराशा है। उन्होंने कहा कि जनता एक विकल्प की तलाश में है और आम आदमी पार्टी वही विकल्प उपलब्ध कराने के लिए तैयार है।

कांग्रेस वापसी को तैयार  

वहीं, कांग्रेस भी एक के बाद एक खोते राज्य को लेकर परेशान है। वह किसी भी कीमत पर नहीं चाहेगी कि गुजरात जैसे अहम राज्य में भी वह आम आदमी पार्टी के हाथों अपनी जमीन गंवाए। राज्य में पार्टी का पर्याप्त जनाधार भी मौजूद है और उसके पास बूथ स्तर तक कार्यकर्ता भी मौजूद हैं, जो उसकी बात को निचले स्तर तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने भाजपा को 99 पर रोक दिया था। हालांकि, इस चुनाव में उसके पास अहमद पटेल जैसे अनुभवी नेताओं की कमी खल सकती है।

गुजरात कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शक्ति सिंह गोहिल ने अमर उजाला से कहा कि उनके पास राहुल गांधी, सोनिया गांदी के नेतृत्व के साथ नए ऊर्जावान नेताओं का साथ भी है। पटेल और ठाकोर समुदाय के युवा नेताओं के उनके साथ जुड़ने से पार्टी मजबूत हुई है। वहीं, बढ़ती महंगाई और जीएसटी की बेतरतीब नीतियों से व्यापारी वर्ग परेशान है। उन्होंने कहा कि गुजरात की जनता भाजपा से छुटकारा पाने के लिए परेशान है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस बार भाजपा को हराने के लिए तैयार है।

ये होगी चुनौती

दरअसल, पिछले गुजरात विधानसभा चुनाव में भी भाजपा को कांग्रेस से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा था। राहुल गांधी ने लगातार कैंप करके राज्य के चुनाव की फिजा अपने पक्ष में करने का बेहतरीन काम किया था। लेकिन भाजपा की पतली हालत देख प्रधानमंत्री ने गुजरात में तीन दिनों का कैंप किया और छोटी-छोटी जनसभा कर उन्हें अपने साथ जोड़ने का काम किया। भाजपा ने मतदाताओं के बीच मोदी के गुजरात से होने का भावुक संदेश भी प्रसारित किया। जनता के बीच मोदी को गुजरात अस्मिता से जोड़कर दिखाया गया, जिसने अंतिम क्षणों में चुनाव का रुख बदल दिया। वर्तमान चुनाव में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चार राज्यों में जीत हासिल कर आत्मविश्वास से लबरेज हैं, उनके गृह राज्य में ही उनको रोकना कांग्रेस या आम आदमी पार्टी के लिए आसान नहीं होगा।

विस्तार

पंजाब में सफलता की कहानी गढ़ने के बाद आम आदमी पार्टी ने गुजरात की ओर अपने पांव बढ़ा दिए हैं। पार्टी ने पंजाब की जीत के शिल्पकार रहे संदीप पाठक को गुजरात का प्रभारी बनाकर राज्य के चुनावों के प्रति अपनी गंभीरता जाहिर कर दी है। पाठक इसी हफ्ते गुजरात का दौरा करेंगे। वे गांधीनगर में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेंगे और राज्य के विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टी की तैयारियों का जायजा लेंगे। लेकिन क्या उनके लिए गुजरात में फतह हासिल करना पंजाब के जितना आसान होगा? विशेषकर इस बात को ध्यान में रखते हुए कि पंजाब में जहां विपक्ष बिखरा था, कांग्रेस आपसी गुटबाजी की शिकार थी, तो वहीं गुजरात में उनका मुकाबला भाजपा के मजबूत संगठन से होगा। प्रधानमंत्री का गृह राज्य होने के नाते यहां के मतदाताओं में उनके प्रति विशेष आग्रह भी आम आदमी पार्टी की मुश्किलें बढ़ा सकता है।

कौन हैं संदीप पाठक?

आम आदमी पार्टी ने संदीप पाठक को राज्य सभा उम्मीदवार घोषित कर दिया है। लेकिन उनकी मूल पहचान यह है कि वे आईआईटी, दिल्ली में फिजिक्स के प्रोफेसर रह चुके हैं। मूलरूप से छत्तीसगढ़ के संदीप पाठक चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की टीम में रहकर राजनीतिक पार्टियों के लिए रणनीति बनाने का काम कर चुके हैं। आम आदमी पार्टी की 2020 की जीत में भी उनका विशेष योगदान माना जाता है। वे इसी दौरान अरविंद केजरीवाल के संपर्क में आए और इसके बाद वे उनके खास सहयोगियों में शामिल हो गए।

पंजाब विधानसभा चुनाव में आप को मिली बड़ी जीत के पीछे संदीप पाठक की मेहनत को जिम्मेदार माना जा रहा है। उन्होंने लगभग एक साल पहले से ही पंजाब की एक-एक सीट को ध्यान में रखकर पार्टी के लिए नीतियां बनाईं और उसे लागू करवाया। पार्टी के उम्मीदवारों का चयन भी उनके द्वारा किए गए सर्वे के आधार पर किया गया था। आम आदमी पार्टी को भरोसा है कि संदीप पाठक उसके लिए यही कहानी गुजरात में भी दोहरा सकेंगे।

कांग्रेस की जगह हासिल करना चाहती है आप

आम आदमी पार्टी अपने पहले ही प्रयास में गुजरात में बड़ी राजनीतिक सफलता की उम्मीद नहीं कर रही है। लेकिन उसकी कोशिश है कि वह गुजरात चुनाव में कम से कम इतनी सीटें अवश्य हासिल कर ले कि वह प्रमुख विपक्षी दल की भूमिका हासिल कर ले। इसके लिए उसे कांग्रेस से ज्यादा सीटें लानी होंगी, जिसे हासिल करने के लिए पार्टी अपनी रणनीति बना रही है। इसके लिए वह गुजरात के पटेल समुदाय, किसान समुदाय, नाराज व्यापारी वर्ग और यूपी-बिहार से गुजरात गए प्रवासियों से संपर्क कर रही है। पार्टी को उम्मीद है कि ये वर्ग उसके लिए गुजरात चुनाव में बड़े राजनीतिक संपत्ति साबित होंगे।    

गुजरात में पार्टी के लिए बड़ी संभावना

आम आदमी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक पार्टी ने सूरत नगर निगम में सफलता हासिल कर यह साबित कर दिया है कि उसके लिए गुजरात में पर्याप्त संभावनाएं मौजूद हैं। चूंकि, राज्य में कांग्रेस लंबे समय से भाजपा को कड़ी टक्कर नहीं दे पा रही है और उसके पास मतदाताओं को लुभाने के लिए कुछ नया नहीं है, मतदाताओं में एक निराशा है। उन्होंने कहा कि जनता एक विकल्प की तलाश में है और आम आदमी पार्टी वही विकल्प उपलब्ध कराने के लिए तैयार है।

कांग्रेस वापसी को तैयार  

वहीं, कांग्रेस भी एक के बाद एक खोते राज्य को लेकर परेशान है। वह किसी भी कीमत पर नहीं चाहेगी कि गुजरात जैसे अहम राज्य में भी वह आम आदमी पार्टी के हाथों अपनी जमीन गंवाए। राज्य में पार्टी का पर्याप्त जनाधार भी मौजूद है और उसके पास बूथ स्तर तक कार्यकर्ता भी मौजूद हैं, जो उसकी बात को निचले स्तर तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने भाजपा को 99 पर रोक दिया था। हालांकि, इस चुनाव में उसके पास अहमद पटेल जैसे अनुभवी नेताओं की कमी खल सकती है।

गुजरात कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शक्ति सिंह गोहिल ने अमर उजाला से कहा कि उनके पास राहुल गांधी, सोनिया गांदी के नेतृत्व के साथ नए ऊर्जावान नेताओं का साथ भी है। पटेल और ठाकोर समुदाय के युवा नेताओं के उनके साथ जुड़ने से पार्टी मजबूत हुई है। वहीं, बढ़ती महंगाई और जीएसटी की बेतरतीब नीतियों से व्यापारी वर्ग परेशान है। उन्होंने कहा कि गुजरात की जनता भाजपा से छुटकारा पाने के लिए परेशान है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस बार भाजपा को हराने के लिए तैयार है।

ये होगी चुनौती

दरअसल, पिछले गुजरात विधानसभा चुनाव में भी भाजपा को कांग्रेस से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा था। राहुल गांधी ने लगातार कैंप करके राज्य के चुनाव की फिजा अपने पक्ष में करने का बेहतरीन काम किया था। लेकिन भाजपा की पतली हालत देख प्रधानमंत्री ने गुजरात में तीन दिनों का कैंप किया और छोटी-छोटी जनसभा कर उन्हें अपने साथ जोड़ने का काम किया। भाजपा ने मतदाताओं के बीच मोदी के गुजरात से होने का भावुक संदेश भी प्रसारित किया। जनता के बीच मोदी को गुजरात अस्मिता से जोड़कर दिखाया गया, जिसने अंतिम क्षणों में चुनाव का रुख बदल दिया। वर्तमान चुनाव में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चार राज्यों में जीत हासिल कर आत्मविश्वास से लबरेज हैं, उनके गृह राज्य में ही उनको रोकना कांग्रेस या आम आदमी पार्टी के लिए आसान नहीं होगा।



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