कांग्रेस पर और तल्ख हुए मोदी: बिना जनसभा में गए प्रधानमंत्री ने राज्यसभा से साधे एक तीर से कई निशाने


सार

पीएम मोदी ने तंज कसते हुए कहा कि लगता है कांग्रेस की सोच को शहरी नक्सलियों ने हाईजैक कर लिया था। यह चिंता का विषय है। अब वे कह रहे हैं कि इतिहास बदला जा रहा है।

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राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव की चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्यसभा में लोकसभा से भी ज्यादा राजनीतिक हुए। उन्होंने चर्चा पर जवाब के बहाने एक तीर से कई निशाने साधे। राज्यसभा में प्रधानमंत्री ने विपक्ष और खासकर कांग्रेस पर इतने जहर बुझे तीर छोड़े कि विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे भड़क उठे।

उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि लगता है कांग्रेस की सोच को शहरी नक्सलियों ने हाईजैक कर लिया था। यह चिंता का विषय है। अब वे कह रहे हैं कि इतिहास बदला जा रहा है। प्रधानमंत्री यहीं नहीं रुके। उन्होंने अपने जवाब में कांग्रेस पर तमाम आरोप लगा डाले। मंगलवार को भी वह पंडित नेहरू से लेकर इंदिरा गांधी और वर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दौर को घेरने से नहीं चूके।

राज्यसभा में प्रधानमंत्री के जवाब देने की शैली को राजनीतिक विश्लेषक से लेकर वरिष्ठ पत्रकार तक पांच राज्यों के चुनाव से जोड़कर देख रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार अनिल जैन कहते हैं कि प्रधानमंत्री को सात फरवरी को उत्तर प्रदेश के बिजनौर में जनसभा को संबोधित करना था। चुनाव अधिसूचना जारी होने के बाद यह जनसभा में उनका पहला संबोधन होता, लेकिन प्रधानमंत्री ने वहां न जाकर संसद में दोनों सदनों का भरपूर उपयोग किया। अनिल जैन कहते हैं कि पिछले कई दशकों में उन्होंने देश के किसी प्रधानमंत्री का राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का इस तरह से जवाब नहीं सुना।

कांग्रेस ना होती तो देश समस्याओं से ना जूझता
प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि महात्मा गांधी की इच्छाओं के अनुरुप कांग्रेस ना होती तो क्या होता? उन्होंने कहा कि कांग्रेस ना होती तो देश समस्याओं से ना जूझ रहा होता। देश परिवारवाद से मुक्त होता। न आपातकाल देश पर लगता, न कश्मीर से पंडितों का पलायन होता, न सिखों का संहार होता। जातिवाद ना होता, ना क्षेत्रवाद होता। अगर कांग्रेस ना होती तो बेटियों को तंदूर में जलाने की नौबत भी ना आती।

प्रधानमंत्री ने गुजरात के मुख्यमंत्री रहने के दौरान खुद पर भी कांग्रेस शासन के जुल्मों को याद किया। कहा कि तब कांग्रेस ने गुजरात सरकार के साथ भेदभाव किया था। इसी कड़ी में उन्होंने मुलायम सिंह यादव, प्रकाश सिंह बादल समेत देश के तमाम नेताओं को भी याद कर लिया और कहा कि कांग्रेस की सरकारें राज्यों को अस्थिर करने में लगी रहती थी।
 
कांग्रेस न होती तो देश आजाद न होता, भारत लोकतांत्रिक देश न होता- खड़गे

प्रधानमंत्री के सदन में बयान पर विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि उन्हें चर्चा में उठाए गए प्रश्नों का जवाब देना चाहिए, लेकिन वह संसद की गरिमा गिरा रहे हैं। पूर्व केन्द्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि प्रधानमंत्री को लग रहा था कि वह चुनाव मैदान में हैं। वह चुनावी भाषण दे रहे थे। इसलिए उन्होंने गोवा का जिक्र किया और तमाम चुनावी बातें की। सदन में उनके भीतर राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब जैसी गंभीरता नहीं थी।

पूर्व केन्द्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि कांग्रेस न होती तो भारत आजाद न होता और देश का लोकतांत्रिक स्वरुप न बन पाता। पूर्व केन्द्रीय मंत्री शशि थरूर ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी। शशि थरूर ने कहा कि असली टुकड़े-टुकड़े गैंग कांग्रेस नहीं, बल्कि भाजपा है। थरुर ने कहा कि यह दु:खद और खतरनाक है कि भाजपा कट्टरता और पूर्वाग्रह की राजनीति करती है।

विस्तार

राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव की चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्यसभा में लोकसभा से भी ज्यादा राजनीतिक हुए। उन्होंने चर्चा पर जवाब के बहाने एक तीर से कई निशाने साधे। राज्यसभा में प्रधानमंत्री ने विपक्ष और खासकर कांग्रेस पर इतने जहर बुझे तीर छोड़े कि विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे भड़क उठे।

उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि लगता है कांग्रेस की सोच को शहरी नक्सलियों ने हाईजैक कर लिया था। यह चिंता का विषय है। अब वे कह रहे हैं कि इतिहास बदला जा रहा है। प्रधानमंत्री यहीं नहीं रुके। उन्होंने अपने जवाब में कांग्रेस पर तमाम आरोप लगा डाले। मंगलवार को भी वह पंडित नेहरू से लेकर इंदिरा गांधी और वर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दौर को घेरने से नहीं चूके।

राज्यसभा में प्रधानमंत्री के जवाब देने की शैली को राजनीतिक विश्लेषक से लेकर वरिष्ठ पत्रकार तक पांच राज्यों के चुनाव से जोड़कर देख रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार अनिल जैन कहते हैं कि प्रधानमंत्री को सात फरवरी को उत्तर प्रदेश के बिजनौर में जनसभा को संबोधित करना था। चुनाव अधिसूचना जारी होने के बाद यह जनसभा में उनका पहला संबोधन होता, लेकिन प्रधानमंत्री ने वहां न जाकर संसद में दोनों सदनों का भरपूर उपयोग किया। अनिल जैन कहते हैं कि पिछले कई दशकों में उन्होंने देश के किसी प्रधानमंत्री का राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का इस तरह से जवाब नहीं सुना।

कांग्रेस ना होती तो देश समस्याओं से ना जूझता

प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि महात्मा गांधी की इच्छाओं के अनुरुप कांग्रेस ना होती तो क्या होता? उन्होंने कहा कि कांग्रेस ना होती तो देश समस्याओं से ना जूझ रहा होता। देश परिवारवाद से मुक्त होता। न आपातकाल देश पर लगता, न कश्मीर से पंडितों का पलायन होता, न सिखों का संहार होता। जातिवाद ना होता, ना क्षेत्रवाद होता। अगर कांग्रेस ना होती तो बेटियों को तंदूर में जलाने की नौबत भी ना आती।

प्रधानमंत्री ने गुजरात के मुख्यमंत्री रहने के दौरान खुद पर भी कांग्रेस शासन के जुल्मों को याद किया। कहा कि तब कांग्रेस ने गुजरात सरकार के साथ भेदभाव किया था। इसी कड़ी में उन्होंने मुलायम सिंह यादव, प्रकाश सिंह बादल समेत देश के तमाम नेताओं को भी याद कर लिया और कहा कि कांग्रेस की सरकारें राज्यों को अस्थिर करने में लगी रहती थी।

 

कांग्रेस न होती तो देश आजाद न होता, भारत लोकतांत्रिक देश न होता- खड़गे


प्रधानमंत्री के सदन में बयान पर विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि उन्हें चर्चा में उठाए गए प्रश्नों का जवाब देना चाहिए, लेकिन वह संसद की गरिमा गिरा रहे हैं। पूर्व केन्द्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि प्रधानमंत्री को लग रहा था कि वह चुनाव मैदान में हैं। वह चुनावी भाषण दे रहे थे। इसलिए उन्होंने गोवा का जिक्र किया और तमाम चुनावी बातें की। सदन में उनके भीतर राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब जैसी गंभीरता नहीं थी।

पूर्व केन्द्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि कांग्रेस न होती तो भारत आजाद न होता और देश का लोकतांत्रिक स्वरुप न बन पाता। पूर्व केन्द्रीय मंत्री शशि थरूर ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी। शशि थरूर ने कहा कि असली टुकड़े-टुकड़े गैंग कांग्रेस नहीं, बल्कि भाजपा है। थरुर ने कहा कि यह दु:खद और खतरनाक है कि भाजपा कट्टरता और पूर्वाग्रह की राजनीति करती है।



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