Monkeypox Outbreak: यूरोपीय देशों में मंकीपॉक्स का अब तक का सबसे बड़ा प्रकोप, जानिए इस संक्रमण के बारे में विस्तार से


पूरी दुनिया पिछले दो साल से अधिक समय से कोरोना महामारी से बुरी तरह से प्रभावित है। ओमिक्रॉन जैसे नए वैरिएंट्स, संक्रामकता दर बढ़ाने वाले हैं जिसके चलते एक बार फिर से वैश्विक स्तर पर कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ते हुए रिपोर्ट किए जा रहे हैं। कोरोना के जारी संकट के बीच कई देशों में मंकीपॉक्स संक्रमण के भी बढ़ते हुए मामले रिपोर्ट किए जा रहे हैं।

हालिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यूरोप और उत्तरी अमेरिका के कई हिस्सों में पिछले दिनों यह संक्रमण काफी तेजी से बढ़ा है। अब तक 12 देशों में 80 से अधिक मंकीपॉक्स संक्रमण के मामले रिपोर्ट किए जा चुके हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि विकसित देशों में इस बीमारी के प्रसार के मामले चकित करने वाले हैं, यह नया संकट खड़ा कर सकता है।

मंकीपॉक्स, ज्यादातर मध्य और पश्चिम अफ्रीका के हिस्सों में रिपोर्ट किया जाता रहा है, हालांकि पिछले कुछ दिनों में अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया सहित नौ यूरोपीय देशों में भी इसके केस तेजी से बढ़ते हुए देखे गए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इस बढ़ते खतरे को लेकर शुक्रवार को जारी एक बयान में कहा कि नॉन-इंडेमिक देशों में मंकीपॉक्स संक्रमण का बढ़ता प्रकोप असामान्य है। इस खतरे को लेकर सभी देशों को विशेष सतर्कता बरतने की आवश्यकता है। आइए आगे इस संक्रमण के बारे में विस्तार से समझते हैं।

यूरोपीय देशों में अबतक का सबसे बड़ा आउटब्रेक

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक मंकीपॉक्स एक वायरल जूनोटिक बीमारी है जो मुख्यरूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षावन क्षेत्रों में देखी जाती रही है। साल 2017 के बाद से, नाइजीरिया में इसका बड़ा आउटब्रेक देखा गया था। इस बीच दुनिया के कई विकसित देशों में बढ़ती इस बीमारी के मामलों ने स्वास्थ्य संगठनों को अलर्ट कर दिया है। 

हालिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ब्रिटेन में इस बीमारी का पहला मामला बीते 7 मई को सामने आया था। यूके की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी ने बताया कि मरीज ने हाल ही में नाइजीरिया की यात्रा की थी। इसके बाद से ब्रिटेन में अब 20 मामलों की पुष्टि हो चुकी है। ऑस्ट्रेलिया और नार्थ अमेरिका में भी इसके मामले रिपोर्ट किए जा रहे हैं। रिपोर्ट्स में इसे यूरोपीय देशों में मंकीपॉक्स का अब तक का सबसे बड़ा प्रकोप माना जा रहा है। आइए इस संक्रमण के बारे में जानते हैं।

मंकीपॉक्स संक्रमण के बारे में जानिए

डब्ल्यूएचओ विशेषज्ञों के मुताबिक मंकीपॉक्स संक्रमण पॉक्सविरिडे वायरस फैमिली केऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस के कारण होता है। इस संक्रमण के लक्षण  2 से 4 सप्ताह तक रह सकते हैं और यह स्वत: ही ठीक हो जाते हैं। इसके कारण गंभीर रोग के मामले कम ही देखे जाते हैं, हालांकि गंभीर स्थितियों में इसका मृत्युदर 3-6 फीसदी के करीब का हो सकता है।

यह एक संक्रामक बीमारी है ऐसे में व्यक्ति के माध्यम से इसके एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचने का खतरा हो सकता है। कई विकसित देशों में बढ़ रहे संक्रमण के मामलों के लिए ऐसे ही कारणों को जिम्मेदार माना जा रहा है।

मंकीपॉक्स संक्रमण कैसे फैलता है?

मंकीपॉक्स संक्रमण, मुख्यरूप से किसी संक्रमित व्यक्ति या जानवर के निकट संपर्क के माध्यम से फैल सकता है। संक्रमित व्यकित के घावों, शरीर के तरल पदार्थ, ड्रॉप लेट्स आदि के संपर्क में आने से भी इसका संक्रमण दूसरे लोगों में फैल सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक दुर्लभ मंकीपॉक्स वायरस, चिकनपॉक्स वायरस फैमिली से संबंधित है। इसका संक्रमण काफी गंभीर भी हो सकता है। साल 2003 में घाना से आयात किए गए पालतू कुत्तों के संपर्क में आने के कारण अमेरिका में यह संक्रमण फैला था।

मंकीपॉक्स संक्रमण  के लक्षण

डब्ल्यूएचओ विशेषज्ञों के अनुसार संक्रमण की स्थिति में तेज बुखार के साथ सिरदर्द, लिम्फ नोड्स की सूजन, मांसपेशियों में दर्द और कमजोरी हो सकती है। रोगी के चेहरे और हाथ-पांव पर बड़े आकार के दाने हो सकते हैं। वैसे तो यह ज्यादा घातक नहीं है हालांकि  छोटे बच्चों में इसके गंभीर मामलों और मृत्यु का खतरा अधिक देखा जाता है। इस संक्रमण का इनक्यूबेशन पीरियड (संक्रमण होने से लक्षणों की शुरुआत तक) 6 से 13 दिनों का होता है।



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