Monkeypox: देश में मंकीपॉक्स की पहली स्वदेशी जांच किट बनाने की तैयारी, आसानी से हो सकेगा टेस्ट


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देश की राजधानी दिल्ली समेत अन्य राज्यों में मंकीपॉक्स (Monkeypox) की दस्तक के बाद स्वास्थ्य विभाग एक्शन में आ गया है। चार मामलों की पुष्टि किए जाने के बाद अब देसी जांच किट बनाने की तैयारी की जा रही है। तपेदिक की जांच करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation) द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले दुनिया के विशेष मंच ट्रूनेट रियल.टाइम.पीसीआर के निर्माता ही मंकीपॉक्स के लिए भी जांच किट तैयार कर रहे हैं।
 

अमर उजाला एक अधिकारी ने नाम न छापने के अनुरोध पर बताया कि मंकीपॉक्स की जांच में जिन री-एजेंट रसायन का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन वे भारत में नहीं बनाए जाते हैं। बीमारी की जांच में इस्तेमाल किए जाने वाला जांच किट बेहद अहम है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के तहत आने वाली वायरस रिसर्च एंड डायग्नॉस्टिक लैबोरेट्री (वीआरडीएल) ने भी मंकीपॉक्स के संदिग्ध मामलों की पुष्टि के लिए आयातित किट का इस्तेमाल शुरू कर दिया है।

 

फिलहाल 15 वीआरडीएल मंकीपॉक्स की जांच के लिए तैयार हैं, जिनमें पुणे का नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (National Institute of Virology) शामिल है। हालांकि भारत इस बीमारी की जांच के लिए एक देसी किट तैयार कर रहा है। गोवा की जांच कंपनी मोलबायो डायग्नोस्टिक (Molbio Diagnostics) जांच किट तैयार कर रही है और केंद्र इसे वैधता में मदद करेगा। हमने कोविड-19 के शुरुआती दिनों में देसी किट तैयार करने के लिए कदम उठाए थे और आईसीएमआर ने इसका सत्यापन किया था। हम लोग स्थानीय स्तर पर तैयार जांच किट का भी सत्यापन करेंगे।
 

 

मोलबायो से जुड़े सूत्रों का कहना है कि जांच किट तैयार है। फिलहाल आईसीएमआर से इसके सत्यापन का इंतजार कर रहे हैं। इस जांच कीट की कीमतें ज्यादा नहीं बल्कि बहुत ही किफायती होगी। केंद्र सरकार ने मंकीपॉक्स की जांच का दायरा बढ़ाने की योजना के तहत इसे आईसीएमआर के मौजूदा 15 वीआरडीएल से बढ़ाकर 40 वीआरडीएल करने की योजना बनाई है । इसके अलावा राष्ट्रीय औषधि नियंत्रक केंद्र (एनसीडीसी) के तहत इसका दायरा 70 एकीकृत बीमारी निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) प्रयोगशालाओं तक करने का मन बनाया है।
 

 

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी का अमर उजाला से कहा है कि कोविड-19 की तरह मंकीपॉक्स के मामले बढ़ने की उम्मीद नहीं है। क्योंकि यह बहुत तेजी और आसानी से नहीं फैलता है। इसके अलावा मंकीपॉक्स के संदिग्ध नमूनों के संग्रह के लिए तकनीकी विशेषज्ञों की जरूरत पड़ सकती है। इसके द्रव नमूने का संग्रह इंजेक्शन के इस्तेमाल के साथ होता है और इसे जांच के लिए प्रयोगशाला भेजा जाता है। इसके अलावा निजी प्रयोगशाला भी ज्यादा पीछे नहीं हैं। देश की एक प्रमुख प्रयोगशाला श्रृंखला ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि उन्होंने डॉक्टरों की तरफ से जांच की मांग को देखते हुए इस पर काम शुरू कर दिया है।

 

भारत में मंकीपॉक्स के अभी तक चार मरीज मिले हैं। तीन मरीज अकेले केरल में मिले हैं, जबकि एक मरीज राजधानी दिल्ली से मिला है। केरल के मरीजों का विदेश यात्रा का इतिहास रहा है, जबकि दिल्ली का मरीज विदेश नहीं गया था। दिल्ली में मिला मरीज जून के आखिरी हफ्ते में अपने दोस्तों के साथ हिमाचल प्रदेश गया था। इसके बाद उसे बुखार आया था। शुरुआत में दिल्ली के शख्स को लगा कि ये सीजनल बुखार है। जबकि दुनियाभर में मंकीपॉक्स के 16 हजार से ज्यादा मरीज मिले हैं। पिछले 7 महीने के दौरान ये मरीज मिले हैं। इसे देखते हुए ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दी थी।

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देश की राजधानी दिल्ली समेत अन्य राज्यों में मंकीपॉक्स (Monkeypox) की दस्तक के बाद स्वास्थ्य विभाग एक्शन में आ गया है। चार मामलों की पुष्टि किए जाने के बाद अब देसी जांच किट बनाने की तैयारी की जा रही है। तपेदिक की जांच करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation) द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले दुनिया के विशेष मंच ट्रूनेट रियल.टाइम.पीसीआर के निर्माता ही मंकीपॉक्स के लिए भी जांच किट तैयार कर रहे हैं।

 

अमर उजाला एक अधिकारी ने नाम न छापने के अनुरोध पर बताया कि मंकीपॉक्स की जांच में जिन री-एजेंट रसायन का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन वे भारत में नहीं बनाए जाते हैं। बीमारी की जांच में इस्तेमाल किए जाने वाला जांच किट बेहद अहम है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के तहत आने वाली वायरस रिसर्च एंड डायग्नॉस्टिक लैबोरेट्री (वीआरडीएल) ने भी मंकीपॉक्स के संदिग्ध मामलों की पुष्टि के लिए आयातित किट का इस्तेमाल शुरू कर दिया है।

 

फिलहाल 15 वीआरडीएल मंकीपॉक्स की जांच के लिए तैयार हैं, जिनमें पुणे का नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (National Institute of Virology) शामिल है। हालांकि भारत इस बीमारी की जांच के लिए एक देसी किट तैयार कर रहा है। गोवा की जांच कंपनी मोलबायो डायग्नोस्टिक (Molbio Diagnostics) जांच किट तैयार कर रही है और केंद्र इसे वैधता में मदद करेगा। हमने कोविड-19 के शुरुआती दिनों में देसी किट तैयार करने के लिए कदम उठाए थे और आईसीएमआर ने इसका सत्यापन किया था। हम लोग स्थानीय स्तर पर तैयार जांच किट का भी सत्यापन करेंगे।

 

 

मोलबायो से जुड़े सूत्रों का कहना है कि जांच किट तैयार है। फिलहाल आईसीएमआर से इसके सत्यापन का इंतजार कर रहे हैं। इस जांच कीट की कीमतें ज्यादा नहीं बल्कि बहुत ही किफायती होगी। केंद्र सरकार ने मंकीपॉक्स की जांच का दायरा बढ़ाने की योजना के तहत इसे आईसीएमआर के मौजूदा 15 वीआरडीएल से बढ़ाकर 40 वीआरडीएल करने की योजना बनाई है । इसके अलावा राष्ट्रीय औषधि नियंत्रक केंद्र (एनसीडीसी) के तहत इसका दायरा 70 एकीकृत बीमारी निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) प्रयोगशालाओं तक करने का मन बनाया है।

 

 

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी का अमर उजाला से कहा है कि कोविड-19 की तरह मंकीपॉक्स के मामले बढ़ने की उम्मीद नहीं है। क्योंकि यह बहुत तेजी और आसानी से नहीं फैलता है। इसके अलावा मंकीपॉक्स के संदिग्ध नमूनों के संग्रह के लिए तकनीकी विशेषज्ञों की जरूरत पड़ सकती है। इसके द्रव नमूने का संग्रह इंजेक्शन के इस्तेमाल के साथ होता है और इसे जांच के लिए प्रयोगशाला भेजा जाता है। इसके अलावा निजी प्रयोगशाला भी ज्यादा पीछे नहीं हैं। देश की एक प्रमुख प्रयोगशाला श्रृंखला ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि उन्होंने डॉक्टरों की तरफ से जांच की मांग को देखते हुए इस पर काम शुरू कर दिया है।

 

भारत में मंकीपॉक्स के अभी तक चार मरीज मिले हैं। तीन मरीज अकेले केरल में मिले हैं, जबकि एक मरीज राजधानी दिल्ली से मिला है। केरल के मरीजों का विदेश यात्रा का इतिहास रहा है, जबकि दिल्ली का मरीज विदेश नहीं गया था। दिल्ली में मिला मरीज जून के आखिरी हफ्ते में अपने दोस्तों के साथ हिमाचल प्रदेश गया था। इसके बाद उसे बुखार आया था। शुरुआत में दिल्ली के शख्स को लगा कि ये सीजनल बुखार है। जबकि दुनियाभर में मंकीपॉक्स के 16 हजार से ज्यादा मरीज मिले हैं। पिछले 7 महीने के दौरान ये मरीज मिले हैं। इसे देखते हुए ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दी थी।



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