एमपीसी सदस्य ने कहा- मंहगाई पर काबू के लिए विकास की बलि न चढ़े, मुश्किल से उबरी है अर्थव्यवस्था


नई दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के सदस्य जयंत वर्मा का मानना है कि मुद्रास्फीति पर अचानक काबू पाने के लिए वृद्धि का असहनीय बलिदान नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था कोविड-19 महामारी के प्रकोप से मुश्किल से ही उबर पाई है और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि मुद्रास्फीति पर ‘अचानक’ काबू पाने की कोशिश में ‘वृद्धि का असहनीय बलिदान’ न हो.

जयंत वर्मा ने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 और 2023-24 के लिए वृद्धि की संभावनाएं ‘‘तर्कसंगत’’ हैं, भले ही भू-राजनीतिक तनाव और जिंस की ऊंची कीमतें लंबे समय तक बनी रहें. बता दें कि द्रास्फीति के दबाव में मौद्रिक नीति तय करने वाली एमपीसी ने कठोर कदम उठाते हुए मई और जून में रेपो रेट में कुल 0.90 फीसदी की वृद्धि कर दी है. इससे रेपो रेट अब 4.90 फीसदी पर पहुंच गई है.

ये भी पढ़ें- एफपीआई की निकासी जारी, जून में भारतीय इक्विटी से अब तक 46,000 करोड़ रुपये निकाले

मुद्रास्फीति काबू में आएगी
जयंत वर्मा ने कहा, “हम जितना चाहते थे, मुद्रास्फीति का प्रकरण उससे अधिक समय तक चला है और जितना हम चाहते हैं उससे अधिक समय तक चलेगा, लेकिन मेरे मन में कोई संदेह नहीं है कि मध्यम अवधि में मुद्रास्फीति को टारगेट रेंज के अंदर ले आया जाएगा.” बता दें कि आरबीआई ने खुदरा मुद्रास्फीति को दो प्रतिशत से छह प्रतिशत के बीच रखने का लक्ष्य तय किया है. छह सदस्यीय एमपीसी इस लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए नीतिगत दरों पर फैसला करती है.

महामारी सबसे बड़ी परीक्षा
बकौल वर्मा, कोविड-19 महामारी मौद्रिक प्रणाली के लिए अब तक की सबसे बड़ी परीक्षा थी. उन्होंने कहा, “भारतीय अर्थव्यवस्था मुश्किल से महामारी से उबर पाई है, और हमें इस बात से सावधान रहना होगा कि मुद्रास्फीति पर अचानक काबू पाने की कोशिश में वृद्धि का असहनीय बलिदान न हो.”

ये भी पढ़ें- क्‍या है फॉर्म 26एएस, आयकर विभाग को देता है आपके निवेश का पूरा ब्‍योरा, करदाताओं को भी मिलती हैं कई सहूलियतें

उच्च वृद्धि दर प्राप्त करने में लगेगा समय
वर्मा के अनुसार वैश्विक अर्थव्यवस्था को महत्वपूर्ण बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है और दुनिया को उच्च वृद्धि के रास्ते पर वापस आने में कुछ समय लगेगा. हालांकि, उन्होंने कहा कि वह भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर काफी आशावादी हैं और 2022-23 और 2023-24 के लिए वृद्धि के पूर्वानुमान तार्किक हैं. गौरतलब है कि आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए वृद्धि अनुमान को 7.2 प्रतिशत पर बरकरार रखा है.

Tags: Economic growth, Indian economy, Inflation

image Source

Enable Notifications OK No thanks