सुप्रीम कोर्ट द्वारा अवैध खनन रोकने के आदेशों की मेवात में धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। दिन-रात माफिया अवैध खनन कर रहे हैं। रात में विस्फोट से पत्थरों को तोड़ा जाता है और फिर ढुलाई की जाती है।
रात में डंपरों और दिन में ट्रैक्टरों का इस्तेमाल होता है। वहीं, जिला प्रशासन की तरफ से इसे रोकने का प्रयास तो किए जाते हैं, लेकिन आरोप लगते रहे हैं कि राजनीतिक संरक्षण आड़े आ जाता है। नूंह जिले में अवैध खनन रोकने के लिए 2014 में आईआरबी के 700 जवान नियुक्त भी किए गए थे, लेकिन माफिया ने तो अरावली की खूबसूरती बदरंग कर दी है।
नूंह के साईमीर बास, रवा, शाहचौखा, खानपुरघाटी, झिमरावट, रीठट, खोडबसी, रहना, बाजीदपुर, बडेड, लुहिंगाकला, तुसैनी, महूं, बूबलहेड़ी, तुसैनी सहित दो दर्जन गांवों के पहाड़ों में ट्रैक्टरों द्वारा अवैध खनन हो रहा है, जबकी तावडू खंड के चूहूड़पुर और राजस्थान के अलवर जिले के बालौज, फखरपुर खोयरी आदि गावों में जमकर अवैध खनन हो रहा है।
हरियाणा के पहाड़ पर कम और राजस्थान के पहाड़ पर ज्यादा अवैध खनन हो रहा है। इन पहाड़ों से आने वाला पत्थर पास में चल रही क्रेशर मशीन पर ट्रैक्टरों और डंपरों के माध्यम से डाला जाता है, जहां पर कई क्रेशर मशीन लगी हुई हैं। पहाड़ पर दिनभर ट्रैक्टर और जेसीबी मशीन चलती रहती हैं।
मेवात की लोकल सड़कों पर अवैध खनन से भरे ट्रैक्टर दिनभर देखे जा सकते हैं। लोगों का यह भी आरोप है कि अवैध खनन से भरे ट्रैक्टर इतनी तेज रफ्तार से चलते हैं कि वे किसी आने-जाने वाले को नहीं देखते, जिसकी वजह से अक्सर हादसे हो रहे हैं।
हरियाणा में पाबंदी, राजस्थान में खुली छूट
सुप्रीम कोर्ट ने मेवात में पड़ने वाले अरावली पहाड़ पर अवैध खनन पर रोक लगा रखी है, जबकि इसी पहाड़ पर राजस्थान में कोई पाबंदी नहीं है। कुछ अधिकारी और कर्मचारियों की मिलीभगत से यहां अवैध खनन जारी है। खनन माफिया रात के समय बारूद के धमाकों से पत्थर तोड़ने का काम करते हैं और दिन में ट्रैक्टर व डंपरों से ले जाते हैं।