National Pension Scheme: आप प्राइवेट सेक्टर में काम करते हैं और रिटायरमेंट के लिए निवेश करना चाहते हैं तो नेशनल पेंशन स्कीम आपके लिए एक बेहतरीन ऑप्शन है. नौकरी शुरू करते ही नेशनल पेंशन स्कीम में निवेश करना शुरू कर देंगे तो रिटायरमेंट के समय आपके पास एक अच्छा-खासा अमाउंट इकट्ठा हो जाएगा.
NPS सरकार के द्वारा चलाई जाने वाली एक कंट्रीब्यूटरी पेंशन स्कीम है. ये स्कीम प्लान लॉन्ग टर्म इनवेस्टमेंट प्लान है. इस योजना में निवेश करने पर रिटायरमेंट पर एक बड़ा फंड एकमुश्त मिलता है. इस स्कीम में सरकारी से लेकर प्राइवेट सेक्टर के सभी कर्मचारी इन्वेस्ट (Private Sector Employee) कर सकते हैं.
नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) की शुरुआत सरकारी कर्मचारियों के लिए जनवरी 2004 में शुरू हुई थी. इसके बाद सरकार ने 2009 के बाद प्राइवेट सेक्टर समेत तमाम वर्ग के लिए शुरू कर दिया गया था. एनपीएस योजना के तहत कोई भी व्यक्ति नौकरी करने के दौरान अपने पेंशन अकाउंट में रेगुलर निवेश कर सकता है. इसके साथ ही फंड के एक हिस्से को एक ही बार में निकाला भी जा सका है जबकि बाकि बची हुई रकम को रिटायरमेंट के बाद पेंशन के रूप में हासिल कर सकता है.
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नेशनल पेंशन स्कीम की खास बातें
नेशनल पेंशन स्कीम के लिए खाता आप किसी भी बैंक, पोस्ट ऑफिस या इंश्योरेंस कंपनी में खोल सकते हैं. एनपीएस अकाउंट की मैच्योरिटी पर निवेशक को कम से कम 40 फीसदी रकम एन्युटी में लगानी होती है. इसी रकम से सब्सक्राइबर को पेंशन मिलती है.
एन्युटी आपके और इंश्योरेंस कंपनी के बीच एक अनुबंध होता है. इस अनुबंध के तहत नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में कम से कम 40 फीसदी रकम का एन्युटी खरीदना जरूरी होता है. यह रकम जितनी अधिक होगी, पेंशन की रकम उतनी ही अधिक होगी.
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एन्युटी के तहत निवेश की गई रकम रिटायरमेंट के बाद पेंशन के रूप में मिलती है और एनपीएस की शेष राशि एकमुश्त निकाली जा सकती है. हालांकि, यह पेंशन टैक्स दायरे में आता है. इसमें रिटर्न फिक्स नहीं होता है. यह फंड की ओर से इक्विटी और डेट में निवेश से हासिल होने वाले रिटर्न पर निर्भर करता है.
एनपीएस का फायदा
NPS की मैच्योरिटी पर 60 फीसदी रकम टैक्स फ्री होती है. महज 40 फीसदी रकम पर टैक्स लगता है. सरकारी कर्मचारियों के एनपीएस अकाउंट में अंशदान की लिमिट 14 फीसदी है. आप इस स्कीम के तहत टैक्स में छूट का दावा कर सकते हैं. सेक्शन 80CCE के तहत टैक्स छूट की लिमिट 1.5 लाख है.
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