नई दिल्ली. लॉकडाउन के दौरान शायद ही कोई ऐसा हो, जिसके वजन में इजाफा न हुआ हो. कुछ ने अपनी लाइफ स्टाइल सुधार कर अपने बढ़ते वजन को नियंत्रित कर लिया, लेकिन ज्यादातर लोग अपने बढ़ते मोटापे और वजन पर नियंत्रण नहीं रख पाए. ऐसे ही लोगों में दिल्ली के मानविंदर सिंह गुजराल और मनप्रीत सिंह का नाम भी शामिल है. वैसे तो मानविंदर और मनप्रीप पिछले करीब 20 सालों से मोटापे की समस्या से जूझ रहे थे, लेकिन लॉकडाउन के दौरान इनके वजन में करीब 70 किलो वजन का इजाफा का हो गया था.
लॉकडाउन के दौरान, मानविंदर का वजन 135 किलो से बढ़कर 205 किलो तक पहुंच गया और मनप्रीत का वजन 168 किलो हो गया. इतने वजन के बाद इन भाइयों का न केवल चलना-फिरना दूभर हो गया, बल्कि ये दोनों ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्नी, डायबिटीज और हाइपरटेंशन जैसी बीमारियों की चपेट में आ गए. मानविंदर के अनुसार, 205 किलो वजन के बाद उनका ज्यादातर समय बिस्तर पर गुजरने लगा और वह 24 घंटे में 17 से 18 घंटे सोते रहते हैं. मोटापे से परेशान होकर उन्होंने पटपड़गंज स्थित मैक्स सुपर स्पेशियल्टी हॉस्पिटल में बैरियाट्रिक सर्जरी कराई.
यह सर्जरी मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, पटपड़गंज में मैक्स इंस्टीट्यूट आॅफ मिनिमल एक्सेस, बैरियाट्रिक एंड रोबोटिक सर्जरी के प्रमुख डॉ. विवेक बिंदल के नेतृत्व में की गई.
25 वर्षो से मोटापे से जूझ रहे थे दोनो भाई
प्रमुख डॉ. विवेक बिंदल के अनुसार, ऑपरेशन से पहले 43 वर्षीय मानविंदर का बीएमआई 79.9 था और पिछले 25 वर्षों से वह मोटापे की बीमारी से पीड़ित है. 2020 की शुरुआत में उनका वजन 135 किलो था, लॉकडाउन के दौरान उनका वजन करीब 70 किलो बढ़ गया था. इसी तरह, उनका छोटा भाई पिछले 20 साल से मोटापे से जूझ रहा था और लॉकडाउन के दौरान उनका वजन भी काफी बढ़ गया था. सर्जरी के दौरान उनका वजन 168 किलो था. दोनों भाईयों ने डायटिंग के जरिए वजन से निजात पानी चाही, लेकिन इससे उन्हें मनमाफिक लाभ नहीं मिला.
जिंदगी के लिए सर्जरी हो गई थी जरूरी
इन दोनों मामलों के बारे में डॉ. विवेक बिंदल ने कहा, मानविंदर की स्थिति गंभीर थी क्योंकि वह लिवर सिरोसिस से भी पीड़ित था. इससे बड़ी दिक्कतें हो रही थीं, जिन्हें तत्काल दूर करने की जरूरत थी. इसी तरह मनप्रीत को डायबिटीज और हाइपरटेंशन था. हमने मनप्रीत पर रोबोटिक बैरियाट्रिक सर्जरी अपनाई, जबकि मानविंदर की लेपरोस्कोपिक बैरियाट्रिक सर्जरी और कोलेसिस्टेक्टोमी की. दोनों केस में एनेस्थेसिया का उन्हें नियंत्रित रखना, चर्बी की परत के अंदर पेट तक पहुंच बनाना और ओटी टेबल पर उन्हें फिट रखना आदि बहुत बड़ी चुनौतियां थी.
श्रम रहित लाइफ स्टाल है मोटापे की वजह
डॉ. बिंदल आगाह करते हैं कि अत्यधिक प्रोसेस्ड फूड का सेवन और श्रमरहित लाइफस्टाइल जीने से मोटापे का खतरा बढ़ जाता है और इस वजह से बच्चों तथा वयस्कों में टाइप टू डायबिटीज, हाइपरटेंशन और कार्डियक समस्याओं समेत कई प्रतिकूल परिणाम भी सामने आने लगते हैं.
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