Income Tax Return: 80C के तहत किन-किन निवेशों पर पा सकते हैं आयकर में छूट? देखें पूरी लिस्ट


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आयकर रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई आने में अब महज कुछ ही घंटे बचे हैं। ऐसे में अगर आपने ने अब तक अपना आयकर रिटर्न दाखिल नहीं किया है तो इस काम को तुरंत निपटा लें क्योंकि सरकार की ओर से इसकी आखिरी तिथि बढ़ाने की अब तक कोई घोषणा नहीं की गई है। अगर आपने 31 जुलाई की रात 12 बजे से पहले अपना आईटी रिटर्न दाखिल नहीं किया तो एक अगस्त से रिटर्न दाखिल करने के पहले आपको जुर्माना भरना पड़ सकता है। 

आयकर रिटर्न दाखिल करने से पहले अक्सर कर करदाताओं के बीच आयकर कानून के तहत आने वाली धारा 80C जिक्र होता है। ये वो प्रावधान है जिसके तहत आयकर में छूट का दावा पेश किया जाता है। आइए आज जानते है 80C के तहत आयकर में मिलने वाली अलग-अलग तरह की कटौतियों के बारे में…

क्या है धारा 80C और इनकम टैक्स में इसके तहत कैसे छूट मिलती है?

धारा 80C आयकर अधिनियम के तहत सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला प्रावधान है। हमारे देश के अधिकांश करदाता इसी प्रावधान का इस्तेमाल करते हुए आयकर में छूट की सुविधा लेते हैं। ये लाभ उन्हें उनके निवेश की गतिविधियों पर मिलता है। इसलिए 80C के बारे में जानना काफी जरूरी है। आयकर की धारा 80C के तहत हमें कुछ खास खर्चों और निवेश में खर्च की गई राशि को टैक्स के दायरे से बाहर रखने की अनुमति मिलती है। जानकार बताते हैं कि यदि आप सोच समझ कर खर्च करें और 80C के तहत आयकर रिटर्न भरते समय कर में कटौती का दावा करें तो आप दो लाख रुपये तक के कर भार से मुक्त हो सकते हैं। 

80C के तहत आने वाले कई सबसेक्शन के तहत भी मिलता है लाभ 

करदाताओं को बचत और निवेश के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से आयकर कानूनों में धारा 80C को शामिल किया गया है। इस धारा के तहत ना केवल किसी इंडिविजुअल व्यक्ति को कर में छूट का लाभ मिलता है बल्कि इससे देश की अर्थव्यवस्था को भी छोटी ही सही पर मदद मिलती है। धारा 80C के तहत कई सबसेक्शन भी हैं जिनमें 80CCC, 80CCD (1), 80CCD (1b) और 80CCD (2) शामिल हैं। इन सभी धाराओं के तहत आयकर में मिलने वाली छूट की अधिकतम सीमा दो लाख रुपये (1.5 लाख+50 हजार) है।

धारा 80C और इसके उपवर्गों के तहत कटौती के रूप में एक वर्ष में अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक की छूट का दावा किया जा सकता है। इसके अलावे धारा 80CCD(1b) के तहत एनपीएस में निवेश करने पर 50 हजार रुपये की कटौती का भी दावा किया जा सकता है। यहां यह जानना भी जरूरी है कि 80C के तहत कटौती का लाभ सिर्फ उन करदाताओं को मिल सकता है जो इंडिविजुअल भारतीय नागरिक (Indian Citizen) हों और हिंदू अविभाजित परिवारों (HUF) से आते हों।

किन-किन निवेशों में 80C के तहत मिलता है आयकर में छूट का लाभ?

बच्चों की पढ़ाई की फीसः आप अपने बच्चों की पढ़ाई पर देश के स्कूलों, कॉलेजाें और विश्वविद्यालयों में खर्च की जाने वाली राशि पर 80C के तहत आयकर में कटौती का दावा कर सकते हैं। एक वित्तीय वर्ष में आप दो बच्चों की शिक्षा पर खर्च की जाने वाली राशि पर टैक्स में छूट का लाभ ले सकते हैं। 

फिक्स्ड डिपॉजिट (FD): फिक्स्ड डिपॉजिट जो कम से कम पांच साल के लिए की गई हो उस राशि पर भी 80C तहत टैक्स में छूट क्लेम किया जा सकता है।

जीवन बीमा या यूलिपः आप अपने स्वयं, पति, पत्नी और बच्चों की जीवन बीमा पॉलिसियों के भुगतान के लिए किए गए प्रीमियम भुगतान पर भी धारा 80C के तहत आयकर में छूट का दावा कर सकते हैं। 

ईपीएफ और पीपीएफः आपके ईपीएफ खाते में आपकी आय से एक निश्चित राशि पेंशन फंड के रूप में जमा की जाती है। इस राशि पर भी आपको धारा 80C के तहत टैक्स छूट में लाभ मिल सकता है।  वहीं दूसरी ओर पीपीएफ खाते में हर साल अधिकतम 50 लाख रुपये तक का निवेश किया जा सता है। पीपीएफ खातों पर लॉकइन की अवधि 15 वर्षों की होती है। पीपीएफ राशि की मैच्योरिटी के बाद मिलने वाले रिटर्न पर भी आपको आयकर में छूट मिल सकती है। आपका पीपीएफ खाता भी आपके स्वयं के नाम पर या फिर पति, पत्नी या बच्चों के नाम पर हो सकता है। 

होम लोन का पुनर्भुगतानः होम लोन चुकाने वाले भी प्रति वर्ष 50 लाख रुपये तक की कटौती का दावा कर सकते हैं। होम लोन में ब्याज के रूप में भुगतान की जाने वाली राशि पर 80C की कटौती लागू नहीं होती है। यहां इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि इस लाभ को प्राप्त करने की लॉक इन अवधि पांच वर्ष है। यदि आप संपत्ति को कब्जे की तारीख से पांच साल के भीतर बेचते हैं, तो पहले दावा की गई सभी कटौतियों की राशि बिक्री वर्ष में उसकी आय में वापस जोड़ दी जाएगी। 

सुकन्या समृद्धि योजनाः अपनी बच्ची के भविष्य के लिए माता-पिता अगर सुकन्या समृद्धि योजना के तहत प्रीमियम का भुगतान करते हैं तो वे भी 80C के तहत आयकर में टैक्स छूट का दावा पेश कर सकते हैं। यह सुविधा दो बेटियों के लिए उठाया जा सकता है, जुड़वा बच्चों की स्थिति में तीसरे बच्चे के लिए 80C के तहत लाभ लिया जा सकता है। 

ईएलएसएस (Equity Linked Savings Scheme): ईएलएसएस एक इक्विटी म्यूचुअल फंड है जिसमें तीन साल की लॉक-इन अवधि होती है। ईएलएसएस म्यूचुअल फंड का असेट एलाेकेशन ज्यादातर (लगभग 65%) शेयर बाजार में निवेश किया जाता है। इस मद में किए गए निवेश पर भी 80C के तहत लाभ लिया जा सकता है।

वरिष्ठ नागरिक बचत योजनाः वरिष्ठ नागरिक बचत योजना या एनसीएसएस के तहत किए गए निवेश पर भी 60 वर्ष से अधिक आयु के सीनियर सिटीजन 80C के तहत आयकर में छूट का लाभ ले सकते हैं। स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की स्थिति में 55 वर्ष से अधिक उम्र वाले भी 80C के तहत टैक्स में छूट का लाभ ले सकते हैं।   

नाबार्ड बांडः राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) के बांड खरीदने के लिए खर्च की गई राशि पर भी धारा 80C के तहत टैक्स में छूट क्लेम किया जा सकता है।

अन्य निवेश जिनपर मिलती है 80C के तहत आयकर में छूट

ऊपर बताए गए निवेशों के अलावे राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र (NSC), राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस), संपत्ति पर स्टाम्प शुल्क और पंजीकरण शुल्क के रूप में खर्च की गई राशि, राष्ट्रीय आवास बैंक में जमा की गई राशि या एलआईसी या किसी अन्य बीमाकर्ता की अधिसूचित वार्षिकी योजनाओं की सदस्या राशि के रूप में खर्च की गई राशि पर भी 80C के तहत आयकर में छूट का दावा पेश किया जा सकता है।

विस्तार

आयकर रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई आने में अब महज कुछ ही घंटे बचे हैं। ऐसे में अगर आपने ने अब तक अपना आयकर रिटर्न दाखिल नहीं किया है तो इस काम को तुरंत निपटा लें क्योंकि सरकार की ओर से इसकी आखिरी तिथि बढ़ाने की अब तक कोई घोषणा नहीं की गई है। अगर आपने 31 जुलाई की रात 12 बजे से पहले अपना आईटी रिटर्न दाखिल नहीं किया तो एक अगस्त से रिटर्न दाखिल करने के पहले आपको जुर्माना भरना पड़ सकता है। 

आयकर रिटर्न दाखिल करने से पहले अक्सर कर करदाताओं के बीच आयकर कानून के तहत आने वाली धारा 80C जिक्र होता है। ये वो प्रावधान है जिसके तहत आयकर में छूट का दावा पेश किया जाता है। आइए आज जानते है 80C के तहत आयकर में मिलने वाली अलग-अलग तरह की कटौतियों के बारे में…

क्या है धारा 80C और इनकम टैक्स में इसके तहत कैसे छूट मिलती है?

धारा 80C आयकर अधिनियम के तहत सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला प्रावधान है। हमारे देश के अधिकांश करदाता इसी प्रावधान का इस्तेमाल करते हुए आयकर में छूट की सुविधा लेते हैं। ये लाभ उन्हें उनके निवेश की गतिविधियों पर मिलता है। इसलिए 80C के बारे में जानना काफी जरूरी है। आयकर की धारा 80C के तहत हमें कुछ खास खर्चों और निवेश में खर्च की गई राशि को टैक्स के दायरे से बाहर रखने की अनुमति मिलती है। जानकार बताते हैं कि यदि आप सोच समझ कर खर्च करें और 80C के तहत आयकर रिटर्न भरते समय कर में कटौती का दावा करें तो आप दो लाख रुपये तक के कर भार से मुक्त हो सकते हैं। 

80C के तहत आने वाले कई सबसेक्शन के तहत भी मिलता है लाभ 

करदाताओं को बचत और निवेश के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से आयकर कानूनों में धारा 80C को शामिल किया गया है। इस धारा के तहत ना केवल किसी इंडिविजुअल व्यक्ति को कर में छूट का लाभ मिलता है बल्कि इससे देश की अर्थव्यवस्था को भी छोटी ही सही पर मदद मिलती है। धारा 80C के तहत कई सबसेक्शन भी हैं जिनमें 80CCC, 80CCD (1), 80CCD (1b) और 80CCD (2) शामिल हैं। इन सभी धाराओं के तहत आयकर में मिलने वाली छूट की अधिकतम सीमा दो लाख रुपये (1.5 लाख+50 हजार) है।

धारा 80C और इसके उपवर्गों के तहत कटौती के रूप में एक वर्ष में अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक की छूट का दावा किया जा सकता है। इसके अलावे धारा 80CCD(1b) के तहत एनपीएस में निवेश करने पर 50 हजार रुपये की कटौती का भी दावा किया जा सकता है। यहां यह जानना भी जरूरी है कि 80C के तहत कटौती का लाभ सिर्फ उन करदाताओं को मिल सकता है जो इंडिविजुअल भारतीय नागरिक (Indian Citizen) हों और हिंदू अविभाजित परिवारों (HUF) से आते हों।

किन-किन निवेशों में 80C के तहत मिलता है आयकर में छूट का लाभ?

बच्चों की पढ़ाई की फीसः आप अपने बच्चों की पढ़ाई पर देश के स्कूलों, कॉलेजाें और विश्वविद्यालयों में खर्च की जाने वाली राशि पर 80C के तहत आयकर में कटौती का दावा कर सकते हैं। एक वित्तीय वर्ष में आप दो बच्चों की शिक्षा पर खर्च की जाने वाली राशि पर टैक्स में छूट का लाभ ले सकते हैं। 

फिक्स्ड डिपॉजिट (FD): फिक्स्ड डिपॉजिट जो कम से कम पांच साल के लिए की गई हो उस राशि पर भी 80C तहत टैक्स में छूट क्लेम किया जा सकता है।

जीवन बीमा या यूलिपः आप अपने स्वयं, पति, पत्नी और बच्चों की जीवन बीमा पॉलिसियों के भुगतान के लिए किए गए प्रीमियम भुगतान पर भी धारा 80C के तहत आयकर में छूट का दावा कर सकते हैं। 

ईपीएफ और पीपीएफः आपके ईपीएफ खाते में आपकी आय से एक निश्चित राशि पेंशन फंड के रूप में जमा की जाती है। इस राशि पर भी आपको धारा 80C के तहत टैक्स छूट में लाभ मिल सकता है।  वहीं दूसरी ओर पीपीएफ खाते में हर साल अधिकतम 50 लाख रुपये तक का निवेश किया जा सता है। पीपीएफ खातों पर लॉकइन की अवधि 15 वर्षों की होती है। पीपीएफ राशि की मैच्योरिटी के बाद मिलने वाले रिटर्न पर भी आपको आयकर में छूट मिल सकती है। आपका पीपीएफ खाता भी आपके स्वयं के नाम पर या फिर पति, पत्नी या बच्चों के नाम पर हो सकता है। 

होम लोन का पुनर्भुगतानः होम लोन चुकाने वाले भी प्रति वर्ष 50 लाख रुपये तक की कटौती का दावा कर सकते हैं। होम लोन में ब्याज के रूप में भुगतान की जाने वाली राशि पर 80C की कटौती लागू नहीं होती है। यहां इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि इस लाभ को प्राप्त करने की लॉक इन अवधि पांच वर्ष है। यदि आप संपत्ति को कब्जे की तारीख से पांच साल के भीतर बेचते हैं, तो पहले दावा की गई सभी कटौतियों की राशि बिक्री वर्ष में उसकी आय में वापस जोड़ दी जाएगी। 


सुकन्या समृद्धि योजनाः अपनी बच्ची के भविष्य के लिए माता-पिता अगर सुकन्या समृद्धि योजना के तहत प्रीमियम का भुगतान करते हैं तो वे भी 80C के तहत आयकर में टैक्स छूट का दावा पेश कर सकते हैं। यह सुविधा दो बेटियों के लिए उठाया जा सकता है, जुड़वा बच्चों की स्थिति में तीसरे बच्चे के लिए 80C के तहत लाभ लिया जा सकता है। 


ईएलएसएस (Equity Linked Savings Scheme): ईएलएसएस एक इक्विटी म्यूचुअल फंड है जिसमें तीन साल की लॉक-इन अवधि होती है। ईएलएसएस म्यूचुअल फंड का असेट एलाेकेशन ज्यादातर (लगभग 65%) शेयर बाजार में निवेश किया जाता है। इस मद में किए गए निवेश पर भी 80C के तहत लाभ लिया जा सकता है।


वरिष्ठ नागरिक बचत योजनाः वरिष्ठ नागरिक बचत योजना या एनसीएसएस के तहत किए गए निवेश पर भी 60 वर्ष से अधिक आयु के सीनियर सिटीजन 80C के तहत आयकर में छूट का लाभ ले सकते हैं। स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की स्थिति में 55 वर्ष से अधिक उम्र वाले भी 80C के तहत टैक्स में छूट का लाभ ले सकते हैं।   


नाबार्ड बांडः राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) के बांड खरीदने के लिए खर्च की गई राशि पर भी धारा 80C के तहत टैक्स में छूट क्लेम किया जा सकता है।

अन्य निवेश जिनपर मिलती है 80C के तहत आयकर में छूट

ऊपर बताए गए निवेशों के अलावे राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र (NSC), राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस), संपत्ति पर स्टाम्प शुल्क और पंजीकरण शुल्क के रूप में खर्च की गई राशि, राष्ट्रीय आवास बैंक में जमा की गई राशि या एलआईसी या किसी अन्य बीमाकर्ता की अधिसूचित वार्षिकी योजनाओं की सदस्या राशि के रूप में खर्च की गई राशि पर भी 80C के तहत आयकर में छूट का दावा पेश किया जा सकता है।



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