नई दिल्ली. केंद्र में मोदी सरकार (Modi Government) के आने के बाद से ही स्वास्थ्य महकमे (Health Sector) में कई क्रांतिकारी कदम उठाए जा रहे हैं. मोदी सरकार का लक्ष्य है कि अगर स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारना है तो दिल्ली एम्स (AIIMS) जैसी संस्थाओं को और बेहतरीन मेडिकल सुविधा दिया जाए और इसका विस्तार पूरे देश में हो. दो पूर्व प्रधानमंत्रियों ने भी देश के अलग-अलग राज्यों में नए एम्स खोलने का ऐलान किया था, लेकिन यह ऐलान सिर्फ ऐलान ही बन कर ही दशकों तक धूल फांकता रहा. लेकिन, साल 2014 में पीएम मोदी (PM Modi) की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने एक बार फिर से इस पर काम करना शुरू किया. पीएम मोदी ने कई और नए एम्स बनाने का भी ऐलान किया. बता दें अब देश के हर राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों में एम्स जैसा एक अस्पताल (Hospital) बनाने की दिशा में काम चल रहा है. देश में फिलहाल कुल 22 एम्स या तो शुरू हो चुके हैं या फिर अगले कुछ महीनों में वे शुरू होने वाले हैं.
बता दें कि कोरोना काल में तो कुछ राज्यों में एम्स ने काम करना भी शुरू कर दिया है. कई एम्स में तो ओपीडी सेवा बहाल भी हो चुकी है. दिल्ली एम्स को छोड़ दें तो देश में भोपाल, पटना, जोधपुर, रायपुर, भुवनेश्वर और ऋषिकेश एम्स साल 2012 से ही काम करना शुरू कर दिया था. वहीं, नागपुर, कल्याणी, मंगलागिरी, गोरखपुर, बठिंडा, बिलासपुर और देवघर एम्स मोदी सरकार के आने के बाद से काम करना शुरू किया है.
पीएम मोदी के कार्यकाल में इतने एम्स शुरू हुए
मोदी सरकार की तरफ से भी एम्स को व्यापक बनाने को लेकर बड़ी-बड़ी घोषणाएं की गई हैं. मोदी सरकार का मिशन है कि हर राज्य में एक AIIMS होना चाहिए. केंद्र सरकार का दावा है कि कोरोना काल में जो गति धीमी हो गई तो उसको अब फुल स्पीड से एक बार फिर से शुरू कर दिया गया है. बहुत जल्द ही देश को कई नए एम्स मिलेंगे.
कितने एम्स वाजपेयी के कार्यकाल में शुरू हुए?
बता दें कि केंद्र सरकार के बजट में एम्स के लिए अलग से राशि निर्धारित की जाती है. मोदी सरकार के आने से पहले दिल्ली एम्स को छोड़ दें तो देश में सिर्फ भोपाल, पटना, जोधपुर, रायपुर, भुवनेश्वर और ऋषिकेश एम्स ही काम कर रहे थे. ये सारे एम्स अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में शुरू किए गए, लेकिन साल 2014 के बाद पीएम मोदी के कार्यकाल में 14 और नए एम्स का ऐलान हुआ. मंगलागिरी, नागपुर, गोरखपुर, राय बरेली, दरभंगा, जम्मू-कश्मीर, कल्याणी, बठिंडा, गुवाहटी, विजयपुर, बिलासपुर, देवघर, राजकोट, बीबीनगर, मदुरई, दरभंगा और मनेठी एम्स मोदी कार्यकाल में शुरू हुए.
दिल्ली एम्स कब बना था?
गौरतलब है कि देश के पहला दिल्ली एम्स साल 1956 में बना था. उसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में 6 और एम्स बनाने का ऐलान हुआ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में इन 6 एम्स का निर्माण कार्य पूरा हुआ. बता दें कि साल 2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (PMSSY) लॉन्च की थी. इसका उद्देश्य था कि लोगों को सस्ती और विश्वसनीय स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धि में होनेवाली गड़बड़ी को ठीक करना और देश में मेडिकल पढ़ाई की गुणवत्ता बढ़ाना.
क्यों नए एम्स बनाने की जरूरत हो रही है?
साल 2003 के स्वतंत्रता दिवस के भाषण में तत्कालीन प्रधानमंत्री वाजपेयी ने प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत पिछड़े राज्यों में अगले 3 सालों के अंदर दिल्ली के एम्स जैसे आधुनिक सुविधाओं वाले 6 नए अस्पताल बनाने की घोषणा की थी, लेकिन वाजपेयी सरकार 9 महीनों के कार्यकाल में ही सत्ता से हट गई थीं. इसके बाद यूपीए शासन के दौरान 6 एम्स अस्पताल का काम पूरा हुआ.
प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना किसने शुरू किया?
प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के पहले चरण में 6 नए एम्स भोपाल, भुवनेश्वर, जोधपुर, पटना, रायपुर और ऋषिकेश में बनाए गए थे. एम्स बनाने का काम यूपीए और एनडीए दोनों सरकारों के कार्यकाल के दौरान अलग-अलग चरणों में पूरा हुआ. भोपाल एम्स में मेडिकल कॉलेज और ओपीडी सर्विसेज साल 2013 में शुरू हुई थीं, जबकि इन पेशेंट डिपार्ट्मेंट और प्राइवेट वॉर्ड्स 2014 और 2017 में शुरू हुए थे.
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हालांकि, देश में कई नए एम्स अस्पतालों के विकास का काम अभी भी बाकी है और ये दिल्ली एम्स के जैसे पूरी तरह कार्यरत अभी भी नहीं हुए हैं. इन 16 एम्स में से राय बरेली में बनने वाली एम्स को PMSSY के दूसरे चरण के तहत मनमोहन सिंह सरकार में मंज़ूरी मिली थी. एक दशक पहले मिली मंज़ूरी के बाद राय बरेली में अगस्त 2018 में आउट पेशेंट डिपार्ट्मेंट सर्विसेज शुरू हुई थीं. बाकी बचे 15 एम्स की घोषणा पीएम मोदी ने की है. इनमें से कुछ एम्स में आउट ओपीडी सर्विसेज और मेडिकल कॉलेज की सुविधा शुरू हो चुकी हैं तो कुछ में शुरू होने वाले हैं.
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