नए चेहरों को मौका: राज्यसभा चुनावों में कांग्रेस का यह नया फॉर्मूला नहीं बैठेगा फिट! चिंतन शिविर में लिया गया था फैसला


सार

अमर उजाला से चर्चा में वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई कहते है कि राजनीतिक दलों का कोई भी प्रयास चुनावों में जीत हासिल करने के लिए होता है। इसमें उम्र की सीमा तय करना बेमानी होती है। कोई भी व्यक्ति जो पार्टी को चुनाव में जीत दिला सके वही इसका एकमात्र मापदंड है…

ख़बर सुनें

नव संकल्प चिंतन शिविर के बाद कांग्रेस पार्टी की पहली परीक्षा अगले दो माह में होने जा रही है। राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में राज्यसभा की सीटों पर चुनाव होना है। ऐसे में लगातार सवाल उठ रहा है कि युवाओं को पार्टी से जोड़ने के लिए जो 50 वर्ष से कम आयु वालों को टिकट देने का निर्णय किया है। क्या वह आगामी राज्यसभा चुनावों में लागू हो पाएगा या फिर केवल घोषणा बनकर रह जाएगा। हालांकि दूसरी तरफ उच्च सदन में जाने के लिए कांग्रेस वरिष्ठ नेताओं की लंबी सूची भी तैयार है।

वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने अमर उजाला से चर्चा में कहा कि चिंतन शिविर को लेकर यह चर्चा थी कि पार्टी के वरिष्ठ नेता अपनी अंतरात्मा की आवाज पर बोलेंगे लेकिन शिविर में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। इसकी एक वजह यह है कि राज्यसभा सीटों के टिकट जल्द ही आलाकमान से फाइनल होने वाले हैं। इसलिए जी-23 के नेताओं की आवाज शिविर में सुनाई नहीं दी। कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व नए चेहरों को मौका देने के पक्ष में नजर आ रहा है। पार्टी नेताओं के लिए सभी स्तरों पर संगठन में पदों पर रहने और चुनाव लड़ने के लिए एक आयु सीमा तय कर सकती है। इसके अलावा नेतृत्व राज्यसभा सदस्यों के लिए एक कार्यकाल की सीमा तय करने पर भी गंभीरता से विचार कर रहा है। यह विचार पार्टी को युवा रूप देने के प्रयास का हिस्सा है।

जो पार्टी को दिलाए जीत, वही ‘हीरो’

अमर उजाला से चर्चा में वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई कहते है कि राजनीतिक दलों का कोई भी प्रयास चुनावों में जीत हासिल करने के लिए होता है। इसमें उम्र की सीमा तय करना बेमानी होती है। कोई भी व्यक्ति जो पार्टी को चुनाव में जीत दिला सके वही इसका एकमात्र मापदंड है। जहां तक बात राज्यसभा सीटों के चुनाव की है, तो इसमें बड़ी उम्र के अनुभवी और विद्वान लोगों की आवश्यकता होती है। जो लोग चुनाव नहीं लड़ सकते या चुनाव जीत नहीं सकते है, उन्हें ही उच्च सदन के रास्ते संसद में भेजा जाता है। जहां तक राज्यसभा सीटों का सवाल है, तो यह कांग्रेस के लिए एक अनार और सौ बीमार वाला मसला है। कांग्रेस इन सीटों पर 50 से कम उम्र वालों को नेताओं को भेजती है तो पार्टी के भीतर नया विद्रोह शुरू हो जाएगा। इसलिए 50 से कम वाला फॉर्मूला यहां फीट नहीं बैठ पाएंगा। ऐसे में पार्टी को युवाओं को लोकसभा और विधानसभा के चुनाव मैदान में उतारना चाहिए।

इन राज्यों में कांग्रेस को मिलेंगी राज्यसभा सीटें

15 राज्यों की 57 राज्यसभा सीटों पर 10 जून को चुनाव कराए जाएंगे। इनमें उत्तर प्रदेश में 11 सीटें खाली हो रही हैं। वहीं, तमिलनाडु-महाराष्ट्र से छह-छह, बिहार से पांच, आंध्र प्रदेश, राजस्थान और कर्नाटक से चार-चार सदस्यों का कार्यकाल की अवधि पूरी हो रही है। मध्य प्रदेश-ओडिशा से तीन-तीन, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, पंजाब, झारखंड और हरियाणा से दो-दो और उत्तराखंड से एक सदस्य का कार्यकाल पूरा हो रहा है।

राजस्थान में राज्यसभा की कुल दस सीटों में से चार सदस्यों का कार्यकाल अगले महीने जून 2022 में पूरा होने वाला है। राजस्थान विधानसभा में विधायकों की संख्या के अनुसार चार सीटों में से तीन पर कांग्रेस उम्मीदवारों के जीतने की संभावना है। इसी बीच मुस्लिम समाज से जुडे संगठनों ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर राजस्थान में होने वाले राज्यसभा चुनाव के लिए किसी मुस्लिम व्यक्ति को उम्मीदवार बनाने की मांग की है । पत्र की एक-एक प्रति राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा को दी गई है।

मध्यप्रदेश में यह हैं समीकरण

मध्यप्रदेश में राज्यसभा की 11 सीटें हैं। इनमें से आठ सीटें भाजपा और तीन सीटें कांग्रेस के पास है। इनमें से ही तीन सीटें 29 जून को खाली हो रही हैं। इसमें भाजपा के एमजे अकबर और संपतिया उइके और कांग्रेस से विवेक तन्खा हैं। विधायकों के मौजूदा संख्या बल के अनुसार दो सीटें भाजपा और एक कांग्रेस को ही मिलने की संभावना है। एमपी कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष से मिले थे, क्योंकि उच्च सदन में उनका कार्यकाल 29 जून को समाप्त होने वाला है। इस मसले पर भी सोनिया गांधी के साथ चर्चा हुई है। विवेक तन्खा को दूसरा कार्यकाल मिलना लगभग तय है क्योंकि कमलनाथ और दिग्विजय सिंह दोनों इस पर सहमत हो गए हैं। पार्टी तन्खा को दोबारा राज्यसभा में भेजकर यह बताना चाहती है कि कांग्रेस ही कश्मीरी पंडितों की हितैषी है। तन्खा एकमात्र कश्मीरी पंडित राज्यसभा सांसद हैं। तन्खा ने दो अप्रैल 2022 को राज्यसभा में कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास का प्राइवेट बिल पेश किया था।

इधर छत्तीसगढ़ की दो सीटों पर भी चुनाव होने हैं। कांग्रेस से राज्यसभा सदस्य छाया वर्मा और रामविचार नेताम का कार्यकाल इसी साल 29 जून को पूरा हो रहा है। इसलिए राज्य के कोटे से दो नए राज्यसभा सदस्य भेजे जाएंगे। इसके पहले छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत राज्यसभा जाने की इच्छा जता चुके हैं। डॉ. महंत ने कहा था कि मैं विधानसभा और लोकसभा जा चुका हूं। 11 बार चुनाव लड़ चुका हूं। ऐसे मैं राज्यसभा में एक बार सेवा करना चाहता हूं। यह मैं आज करूं या पांच साल बाद करूं, यह अलग बात है। 90 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 71 विधायक हैं। ऐसे में दोनों सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों की जीत तय मानी जा रही है। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल और पी. चिदंबरम के नामों की भी चर्चा है।

विस्तार

नव संकल्प चिंतन शिविर के बाद कांग्रेस पार्टी की पहली परीक्षा अगले दो माह में होने जा रही है। राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में राज्यसभा की सीटों पर चुनाव होना है। ऐसे में लगातार सवाल उठ रहा है कि युवाओं को पार्टी से जोड़ने के लिए जो 50 वर्ष से कम आयु वालों को टिकट देने का निर्णय किया है। क्या वह आगामी राज्यसभा चुनावों में लागू हो पाएगा या फिर केवल घोषणा बनकर रह जाएगा। हालांकि दूसरी तरफ उच्च सदन में जाने के लिए कांग्रेस वरिष्ठ नेताओं की लंबी सूची भी तैयार है।

वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने अमर उजाला से चर्चा में कहा कि चिंतन शिविर को लेकर यह चर्चा थी कि पार्टी के वरिष्ठ नेता अपनी अंतरात्मा की आवाज पर बोलेंगे लेकिन शिविर में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। इसकी एक वजह यह है कि राज्यसभा सीटों के टिकट जल्द ही आलाकमान से फाइनल होने वाले हैं। इसलिए जी-23 के नेताओं की आवाज शिविर में सुनाई नहीं दी। कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व नए चेहरों को मौका देने के पक्ष में नजर आ रहा है। पार्टी नेताओं के लिए सभी स्तरों पर संगठन में पदों पर रहने और चुनाव लड़ने के लिए एक आयु सीमा तय कर सकती है। इसके अलावा नेतृत्व राज्यसभा सदस्यों के लिए एक कार्यकाल की सीमा तय करने पर भी गंभीरता से विचार कर रहा है। यह विचार पार्टी को युवा रूप देने के प्रयास का हिस्सा है।

जो पार्टी को दिलाए जीत, वही ‘हीरो’

अमर उजाला से चर्चा में वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई कहते है कि राजनीतिक दलों का कोई भी प्रयास चुनावों में जीत हासिल करने के लिए होता है। इसमें उम्र की सीमा तय करना बेमानी होती है। कोई भी व्यक्ति जो पार्टी को चुनाव में जीत दिला सके वही इसका एकमात्र मापदंड है। जहां तक बात राज्यसभा सीटों के चुनाव की है, तो इसमें बड़ी उम्र के अनुभवी और विद्वान लोगों की आवश्यकता होती है। जो लोग चुनाव नहीं लड़ सकते या चुनाव जीत नहीं सकते है, उन्हें ही उच्च सदन के रास्ते संसद में भेजा जाता है। जहां तक राज्यसभा सीटों का सवाल है, तो यह कांग्रेस के लिए एक अनार और सौ बीमार वाला मसला है। कांग्रेस इन सीटों पर 50 से कम उम्र वालों को नेताओं को भेजती है तो पार्टी के भीतर नया विद्रोह शुरू हो जाएगा। इसलिए 50 से कम वाला फॉर्मूला यहां फीट नहीं बैठ पाएंगा। ऐसे में पार्टी को युवाओं को लोकसभा और विधानसभा के चुनाव मैदान में उतारना चाहिए।

इन राज्यों में कांग्रेस को मिलेंगी राज्यसभा सीटें

15 राज्यों की 57 राज्यसभा सीटों पर 10 जून को चुनाव कराए जाएंगे। इनमें उत्तर प्रदेश में 11 सीटें खाली हो रही हैं। वहीं, तमिलनाडु-महाराष्ट्र से छह-छह, बिहार से पांच, आंध्र प्रदेश, राजस्थान और कर्नाटक से चार-चार सदस्यों का कार्यकाल की अवधि पूरी हो रही है। मध्य प्रदेश-ओडिशा से तीन-तीन, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, पंजाब, झारखंड और हरियाणा से दो-दो और उत्तराखंड से एक सदस्य का कार्यकाल पूरा हो रहा है।

राजस्थान में राज्यसभा की कुल दस सीटों में से चार सदस्यों का कार्यकाल अगले महीने जून 2022 में पूरा होने वाला है। राजस्थान विधानसभा में विधायकों की संख्या के अनुसार चार सीटों में से तीन पर कांग्रेस उम्मीदवारों के जीतने की संभावना है। इसी बीच मुस्लिम समाज से जुडे संगठनों ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर राजस्थान में होने वाले राज्यसभा चुनाव के लिए किसी मुस्लिम व्यक्ति को उम्मीदवार बनाने की मांग की है । पत्र की एक-एक प्रति राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा को दी गई है।

मध्यप्रदेश में यह हैं समीकरण

मध्यप्रदेश में राज्यसभा की 11 सीटें हैं। इनमें से आठ सीटें भाजपा और तीन सीटें कांग्रेस के पास है। इनमें से ही तीन सीटें 29 जून को खाली हो रही हैं। इसमें भाजपा के एमजे अकबर और संपतिया उइके और कांग्रेस से विवेक तन्खा हैं। विधायकों के मौजूदा संख्या बल के अनुसार दो सीटें भाजपा और एक कांग्रेस को ही मिलने की संभावना है। एमपी कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष से मिले थे, क्योंकि उच्च सदन में उनका कार्यकाल 29 जून को समाप्त होने वाला है। इस मसले पर भी सोनिया गांधी के साथ चर्चा हुई है। विवेक तन्खा को दूसरा कार्यकाल मिलना लगभग तय है क्योंकि कमलनाथ और दिग्विजय सिंह दोनों इस पर सहमत हो गए हैं। पार्टी तन्खा को दोबारा राज्यसभा में भेजकर यह बताना चाहती है कि कांग्रेस ही कश्मीरी पंडितों की हितैषी है। तन्खा एकमात्र कश्मीरी पंडित राज्यसभा सांसद हैं। तन्खा ने दो अप्रैल 2022 को राज्यसभा में कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास का प्राइवेट बिल पेश किया था।

इधर छत्तीसगढ़ की दो सीटों पर भी चुनाव होने हैं। कांग्रेस से राज्यसभा सदस्य छाया वर्मा और रामविचार नेताम का कार्यकाल इसी साल 29 जून को पूरा हो रहा है। इसलिए राज्य के कोटे से दो नए राज्यसभा सदस्य भेजे जाएंगे। इसके पहले छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत राज्यसभा जाने की इच्छा जता चुके हैं। डॉ. महंत ने कहा था कि मैं विधानसभा और लोकसभा जा चुका हूं। 11 बार चुनाव लड़ चुका हूं। ऐसे मैं राज्यसभा में एक बार सेवा करना चाहता हूं। यह मैं आज करूं या पांच साल बाद करूं, यह अलग बात है। 90 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 71 विधायक हैं। ऐसे में दोनों सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों की जीत तय मानी जा रही है। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल और पी. चिदंबरम के नामों की भी चर्चा है।



Source link

Enable Notifications OK No thanks