पद्म पुरस्कार: राष्ट्रपति से पद्मश्री लेने आए 125 साल के स्वामी शिवानंद ने मोदी को किया प्रणाम, सम्मान में खुद झुक गए प्रधानमंत्री


न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शिव शरण शुक्ला
Updated Mon, 21 Mar 2022 11:31 PM IST

सार

जब राष्ट्रपति भवन के महलनुमा दरबार हॉल में नंगे पांव चलते हुए 125 वर्षीय स्वामी शिवानंद आए तो उनको स्टैंडिंग ओवेशन मिला। इस दौरान योग गुरु ने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने और फिर राष्ट्रपति के सामने साष्टांग प्रणाम किया। जिसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उन्हें झुककर प्रणाम किया।
 

स्वामी शिवानंद जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रणाम किया तो पीएम भी सम्मान में उनके सामने झुक गए।

स्वामी शिवानंद जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रणाम किया तो पीएम भी सम्मान में उनके सामने झुक गए।
– फोटो : Social Media/वीडियोग्रैब

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वाराणसी के 126 वर्षीय स्वामी शिवानंद जब पद्मश्री लेने पहुंचे तो उन्होंने कुछ ऐसा किया कि पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। स्वामी शिवानंद ने राष्ट्रपति भवन में पुरस्कार लेने से पहले तीन बार अपना शीश नवाया।  योग गुरु ने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने साष्टांग प्रणाम किया। जिसके बाद पीएम ने खुद सम्मान में उन्हें झुककर प्रणाम किया। इसके बाद स्वामी शिवानंद ने राष्ट्रपति के आगे भी झुककर प्रणाम किया। इस बीच राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आगे बढ़कर उन्हें उठाया और सम्मानित किया। उनका यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

केंद्र सरकार ने 25 जनवरी को गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कारों का एलान किया था। कुल 128 नामों का चयन किया गया था। पद्म पुरस्कारों से सम्मानित लोगों को  सोमवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मेडल और प्रमाण-पत्र प्रदान किये। इन 128 नामों में एक नाम स्वामी शिवानंद का भी है, जिन्हें योग के क्षेत्र में योगदान के लिए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। जब राष्ट्रपति भवन के महलनुमा दरबार हॉल में नंगे पांव चलते हुए 125 वर्षीय स्वामी शिवानंद आए तो उनको स्टैंडिंग ओवेशन मिला। मानव कल्याण के लिए अपना जीवन समर्पित करते हुए स्वामी शिवानंद पिछले 50 वर्षों से पुरी में कुष्ठ प्रभावित लोगों की सेवा कर रहे हैं। 

कौन हैं स्वामी शिवानंद?
स्वामी शिवानंद का जन्म अविभाजित भारत के सिलहट जिले (अब बांग्लादेश में) में 8 अगस्त 1896 को हुआ था। स्वामी शिवानंद ने छह साल की उम्र में अपने माता और पिता को खो दिया था। उनका बचपन घोर गरीबी में गुजरा। माता-पिता के निधन के बाद उन्हें पश्चिम बंगाल के नवद्वीप में उनके गुरुजी के आश्रम में लाया गया। जहां गुरु ओंकारानंद गोस्वामी ने उनका पालन-पोषण किया। उन्होंने ही स्वामी शिवानंद को बिना स्कूली शिक्षा के योग सहित सभी व्यावहारिक और आध्यात्मिक शिक्षा दी।

पिछले 50 वर्षों से स्वामी शिवानंद पुरी में 400-600 कुष्ठ प्रभावित भिखारियों से व्यक्तिगत रूप से उनकी झोपड़ियों में मिल कर उनकी सेवा कर रहे हैं। स्वामी शिवानंद को 2019 में बेंगलुरु में योग रत्न पुरस्कार सहित विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। इतना ही नहीं वह 21 जून 2019 को विश्व योग दिवस पर योग प्रदर्शन में देश के सबसे वरिष्ठ प्रतिभागी थे। 30 नवंबर 2019 को समाज में उनके योगदान के लिए उन्हें रेस्पेक्ट एज इंटरनेशनल द्वारा वसुंधरा रतन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

गौरतलब है कि स्वामी शिवानंद के इस उम्र में भी उनके स्वास्थ्य को लेकर लोग आश्चर्यचकित रह जाते हैं। 125 साल की उम्र में खुद का टीकाकरण करने के बाद देशवासियों को COVID टीकाकरण के लिए प्रेरित भी किया था। 

विस्तार

वाराणसी के 126 वर्षीय स्वामी शिवानंद जब पद्मश्री लेने पहुंचे तो उन्होंने कुछ ऐसा किया कि पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। स्वामी शिवानंद ने राष्ट्रपति भवन में पुरस्कार लेने से पहले तीन बार अपना शीश नवाया।  योग गुरु ने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने साष्टांग प्रणाम किया। जिसके बाद पीएम ने खुद सम्मान में उन्हें झुककर प्रणाम किया। इसके बाद स्वामी शिवानंद ने राष्ट्रपति के आगे भी झुककर प्रणाम किया। इस बीच राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आगे बढ़कर उन्हें उठाया और सम्मानित किया। उनका यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

केंद्र सरकार ने 25 जनवरी को गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कारों का एलान किया था। कुल 128 नामों का चयन किया गया था। पद्म पुरस्कारों से सम्मानित लोगों को  सोमवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मेडल और प्रमाण-पत्र प्रदान किये। इन 128 नामों में एक नाम स्वामी शिवानंद का भी है, जिन्हें योग के क्षेत्र में योगदान के लिए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। जब राष्ट्रपति भवन के महलनुमा दरबार हॉल में नंगे पांव चलते हुए 125 वर्षीय स्वामी शिवानंद आए तो उनको स्टैंडिंग ओवेशन मिला। मानव कल्याण के लिए अपना जीवन समर्पित करते हुए स्वामी शिवानंद पिछले 50 वर्षों से पुरी में कुष्ठ प्रभावित लोगों की सेवा कर रहे हैं। 

कौन हैं स्वामी शिवानंद?

स्वामी शिवानंद का जन्म अविभाजित भारत के सिलहट जिले (अब बांग्लादेश में) में 8 अगस्त 1896 को हुआ था। स्वामी शिवानंद ने छह साल की उम्र में अपने माता और पिता को खो दिया था। उनका बचपन घोर गरीबी में गुजरा। माता-पिता के निधन के बाद उन्हें पश्चिम बंगाल के नवद्वीप में उनके गुरुजी के आश्रम में लाया गया। जहां गुरु ओंकारानंद गोस्वामी ने उनका पालन-पोषण किया। उन्होंने ही स्वामी शिवानंद को बिना स्कूली शिक्षा के योग सहित सभी व्यावहारिक और आध्यात्मिक शिक्षा दी।

पिछले 50 वर्षों से स्वामी शिवानंद पुरी में 400-600 कुष्ठ प्रभावित भिखारियों से व्यक्तिगत रूप से उनकी झोपड़ियों में मिल कर उनकी सेवा कर रहे हैं। स्वामी शिवानंद को 2019 में बेंगलुरु में योग रत्न पुरस्कार सहित विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। इतना ही नहीं वह 21 जून 2019 को विश्व योग दिवस पर योग प्रदर्शन में देश के सबसे वरिष्ठ प्रतिभागी थे। 30 नवंबर 2019 को समाज में उनके योगदान के लिए उन्हें रेस्पेक्ट एज इंटरनेशनल द्वारा वसुंधरा रतन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

गौरतलब है कि स्वामी शिवानंद के इस उम्र में भी उनके स्वास्थ्य को लेकर लोग आश्चर्यचकित रह जाते हैं। 125 साल की उम्र में खुद का टीकाकरण करने के बाद देशवासियों को COVID टीकाकरण के लिए प्रेरित भी किया था। 



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