आलिया और रणबीर की शादी कराने वाले पंडित राजेश शर्मा ने ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ से बातचीत में बताया कि कपूर और भट्ट ने चार फेरे लिए और नए जीवन की शुरूआत की। शादी के बारे में बात करते हुए शर्मा ने कहा, ‘उन्होंने ऋषि कपूर जी का आशीर्वाद लेते हुए सारे फंक्शन किए। यह एक पारंपरिक पंजाबी शादी थी, जिसमें कपूर परिवार सभी रीति-रिवाजों का पालन कर रहा था। उन्होंने सुनिश्चित किया कि सब कुछ वैसा ही हो जैसा हमेशा से होता आया है।’
बहनों ने कीं ये रस्में
शर्मा ने खुलासा किया कि कपूर और भट्ट ने एक-दूसरे के सबसे करीबी दोस्त होने से लेकर उनका एक स्वस्थ बच्चा होने तक सात प्रतिज्ञाएं लीं। वो बोले, ‘रणबीर की इच्छा थी की शादी पूरी विधि के साथ होगी।’ अनुष्ठानों के बारे में बात करते हुए शर्मा ने खुलासा किया कि सेहरा बंदी (जहां दूल्हे के सिर को माला और पगड़ी से बांधा जाता है) 3 बजे किया गया था। उन्होंने कहा, ‘उस अनुष्ठान में सभी चार बहनें (नताशा नंदा, रिद्धिमा कपूर साहनी, करीना कपूर खान, करिश्मा कपूर) ने रणबीर को टीका लगाया। श्वेता बच्चन नंदा ने भाभी की भूमिका निभाई और उन्हें काला टीका लगाया।’
बाराती जमकर नाचे
पंडित जी ने आगे कहा, ‘अनुष्ठान के बाद, कपूर परिवार, आकाश अंबानी और फिल्म निर्माता करण जौहर सहित लड़के वालों ने सातवीं मंजिल पर बारात जैसा भांगड़ा रखा था। कपूर की आरती दुल्हन के परिवार द्वारा की गई। उसके बाद मिलनी समारोह हुआ, जिसका नेतृत्व वरमाला और अन्य अनुष्ठानों से किया गया। हमने शाम 5.20 बजे तक शादी पूरी कर ली। आलिया के माता-पिता महेश भट्ट और सोनी राजदान ने कन्यादान किया।’
आलिया के भाईयों ने की ये रस्म
राजेश ने बताया, ‘वहां एक विधि थी, जहां आलिया के भाइयों को एक पत्थर पर अपने पैर की उंगलियों को पकड़ना था। फिर भाइयों को यह संदेश देना होगा कि आप जिस कपूर परिवार में जा रहे हैं, वह बहुत अच्छा है, लेकिन ऐसे उदाहरण भी हो सकते हैं जहां कोई गुस्से में हो लेकिन आपको खुद को बनाए रखने और इस चट्टान की तरह स्थिर रहने की जरूरत है। इस पर सभी हंसने लगे।’
आलिया का चूड़ा समारोह
आलिया भट्ट ने अपने शूटिंग शेड्यूल के कारण चूड़ा समारोह नहीं किया और एक कलीरा समारोह को चुना। पंडित जी ने कहा, ‘आलिया के मामा नहीं आ पा रहे थे इसलिए हमने उन्हें केवल कलीरा पहनाया। हम कलीरा के बिना पंजाबी शादी नहीं कर सकते। समारोह सुबह में किया गया था और कोई अविवाहित लड़की नहीं थी, इसलिए कलीरा गिराना नहीं हुआ।’