Parwanoo Timber Trail Accident 1992: जांबाज अफसर जिसने हवा में लटके 10 लोगों की बचाई थी जान


न्यूज डेस्क, अमर उजाला, शिमला
Published by: अरविन्द ठाकुर
Updated Mon, 20 Jun 2022 05:45 PM IST

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हिमाचल के प्रवेशद्वार परवाणू के टीटीआर होटल में रोपवे में तकनीकी खराबी आने के कारण फंसे सभी 11 पर्यटकों को रेस्क्यू कर लिया गया है। हिमाचल प्रदेश आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव ओंकार चंद शर्मा ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि प्रशासन और पुलिस की टीम ने 11 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया है। वहीं इस घटना ने 1992 के उस हादसे की यादें ताजा कर दी हैं जब 10 लोगों की हवा में सांसें अटक गईं थीं। 

ये हुआ था तब
1300 फीट की ऊंचाई पर जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे दस लोगों की जान बचाने वाले सेना के जाबांज अफसर की बहादुरी को आज भी हर कोई सलाम करता है। 1980 का दौर शुरू होते ही हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में परवाणू स्थित शिवालिक पहाड़ियों में केवल कार टिंबर ट्रेल पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गई। समंदर तल से करीब 5000 फीट की ऊंचाई पर केवल कार से वादियों को निहारते हुए 1.8 किमी सफर मन को रोमांचित कर देता है। 13 अक्तूबर 1992 को परवाणू में ऐसी घटना हुई जिसे आज भी जब याद करते ही रूह कांप जाती है।

10 यात्रियों को लेकर जा रही केवल कार अचानक टूट गई और सभी लोग 1300 फीट की ऊंचाई पर हवा में लटक गए। यह देख केवल कार का संचालन करने वाली कंपनी के कर्मचारियों के भी हाथ-पांव फूल गए। सेना को बुलाया गया। कर्नल इवान जोसफ क्रेस्टो (रिटायर्ड) को इस बचाव अभियान की कमान सौंपी गई। उस दौरान इवान जोसफ सेना में मेजर के पद पर तैनात थे। इवान जोसफ ने वायु सेना के टॉप हेलिकॉप्टर पायलट और अपने साथियों के साथ 10 जिंदगियों को बचाने के लिए संयुक्त बचाव अभियान शुरू किया। रस्सी के सहारे इवान जोसफ एमआई-17 हेलीकॉप्टर से हवा में लटक रही केवल कार के भीतर पहुंचे।

उन्होंने केवल कार में फंसे यात्रियों को एक-एक कर हेलीकॉप्टर में चढ़ाना शुरू किया। शाम होने तक बचाव अभियान पूरा नहीं हो पाया और पांच यात्रियों को सुरक्षित निकाल लिया गया। कर्नल क्रेस्टो ने यात्रियों का हौसला टूटने नहीं दिया और वे हवा में लटकी केवल कार में बाकी बचे पांच यात्रियों के साथ रूक गए। रातभर यात्रियों को गाने सुनाते रहे और उनका हौसला बढ़ाते रहे। अगले दिन फिर बचाव अभियान शुरू हुआ और कर्नल क्रेस्टो ने सभी यात्रियों को रेस्क्यू कर लिया। टिंबर ट्रेल रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए उन्हें कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया था। गोवा के रहने वाले कर्नल क्रेस्टो के पिता नौसेना में अफसर थे।

1978 में इवान जोसफ क्रेस्टो को पैरा सिक्योरिटी फोर्स में कमीशन मिला। मिलिट्री ऑपरेशन निदेशालय समेत उन्होंने कई अहम पदों पर सेवाएं दीं। कर्नल क्रेस्टो के एक सहयोगी ने बताया कि वे पेशेवर और समर्पित शख्सियत थे। स्काई डाइविंग के भी विशेषज्ञ थे। विभिन्न मुद्दों पर अपनी राय बेवाक होकर रखते थे। उन्होंने बताया कि कर्नल क्रेस्टो इन दिनों सिडनी आस्ट्रेलिया में लोकल स्कूल में मैथ पढ़ाते हैं। आज भी कई अधिकारी उनकी बहादुरी के किस्से सुनाते हैं। 

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हिमाचल के प्रवेशद्वार परवाणू के टीटीआर होटल में रोपवे में तकनीकी खराबी आने के कारण फंसे सभी 11 पर्यटकों को रेस्क्यू कर लिया गया है। हिमाचल प्रदेश आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव ओंकार चंद शर्मा ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि प्रशासन और पुलिस की टीम ने 11 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया है। वहीं इस घटना ने 1992 के उस हादसे की यादें ताजा कर दी हैं जब 10 लोगों की हवा में सांसें अटक गईं थीं। 

ये हुआ था तब

1300 फीट की ऊंचाई पर जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे दस लोगों की जान बचाने वाले सेना के जाबांज अफसर की बहादुरी को आज भी हर कोई सलाम करता है। 1980 का दौर शुरू होते ही हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में परवाणू स्थित शिवालिक पहाड़ियों में केवल कार टिंबर ट्रेल पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गई। समंदर तल से करीब 5000 फीट की ऊंचाई पर केवल कार से वादियों को निहारते हुए 1.8 किमी सफर मन को रोमांचित कर देता है। 13 अक्तूबर 1992 को परवाणू में ऐसी घटना हुई जिसे आज भी जब याद करते ही रूह कांप जाती है।

10 यात्रियों को लेकर जा रही केवल कार अचानक टूट गई और सभी लोग 1300 फीट की ऊंचाई पर हवा में लटक गए। यह देख केवल कार का संचालन करने वाली कंपनी के कर्मचारियों के भी हाथ-पांव फूल गए। सेना को बुलाया गया। कर्नल इवान जोसफ क्रेस्टो (रिटायर्ड) को इस बचाव अभियान की कमान सौंपी गई। उस दौरान इवान जोसफ सेना में मेजर के पद पर तैनात थे। इवान जोसफ ने वायु सेना के टॉप हेलिकॉप्टर पायलट और अपने साथियों के साथ 10 जिंदगियों को बचाने के लिए संयुक्त बचाव अभियान शुरू किया। रस्सी के सहारे इवान जोसफ एमआई-17 हेलीकॉप्टर से हवा में लटक रही केवल कार के भीतर पहुंचे।



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