Population Control Law: जानिए जनसंख्या नियंत्रण कानून के विषय में क्या कहता है संविधान और क्या हो सकता है इसका असर


यूनियन मिनिस्टर प्रह्लाद सिंह पटेल ने कहा कि देश में जल्द ही जनसंख्या नियंत्रण कानून देश में लागू किया जाएगा। उनकी बात से इस विषय पर विवाद को एक बार फिर हवा मिल गई है। सवाल उठाए जा रहे हैं कि इस कानून में क्या प्रावधान किए गए हैं आम जनता को इससे कैसे लाभ मिलेगा। तो आइए इन सभी प्रश्नों का उत्तर इस लेख के माध्यम से जानने का प्रयास करते हैं।

क्या है जनसंख्या नियंत्रण कानून (What Is Population Control Law)?
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 1.4 बिलियन से अधिक लोग रहते हैं। यह संख्या भारत को दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश बनाता है। 2019 का जनसंख्या नियंत्रण बिल (Population control Law) कहता है कि प्रत्येक कपल टू चाइल्ड पॉलिसी को अपनाएंगे यानी की दो से अधिक संतान नहीं होगी। हालांकि 2022 में इसे वापस ले लिया गया था। इस पॉलिसी का उद्देश्य शैक्षिक लाभ, मुफ्त स्वास्थ्य सेवा, बेहतर रोजगार के अवसर, होम लोन और टैक्स कट के माध्यम से इसे अपनाने को प्रोत्साहित करना था।

क्या कहता है संविधान?
1969 के डिक्लेरेशन ऑन सोशल प्रोग्रेस एंड डेवलपमेंट का अनुच्छेद 22 यह सुनिश्चित करता है कि कपल को यह स्वतंत्रता है कि उनके कितने बच्चे हो वे इस बात का निर्णय ले सकते हैं। बच्चों की संख्या को नियंत्रित करना अनुच्छेद 16 यानी पब्लिक रोजगार में भागीदारी और अनुच्छेद 21 यानी जीवन की सुरक्षा और स्वतंत्रता जैसे संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करती है।

क्या है संवैधानिक चुनौतियां?
टू चाइल्ड पॉलिसी को आजादी के बाद से अब तक 35 बार संसद में पेश किया जा चुका है। अगर यह कानून लागू किया जाता है तो कानून को तलाकशुदा जोड़ों के अधिकारों के साथ-साथ इस्लामी धर्म को भी ध्यान में रखना होगा। इससे पहले जब यह बिल पेश किए गए तो इन बिलों में इन विशेषताओं का अभाव था। साथ ही आम जनता ने इसकी जमकर आलोचना भी की।

राज्यों का इस पर क्या है स्टैंड?

2017 में असम असेंबली ने पॉप्युलेशन एंड वुमन एंपावरमेंट पॉलिसी पास किया। इस पॉलिसी के अनुसार वही उम्मीदवार सरकारी नौकरी के योग्य होंगे जिनके दो बच्चे होंगे। इसके साथ ही जो पहले से ही सरकारी नौकरियों में हैं उन्हें भी टू चाइल्ड पॉलिसी को अपनाने का निर्देश दिया गया था।

इसी तरह 2021 में उत्तर प्रदेश की लॉ कमीशन एक प्रपोजल लेकर आई थी जिसके अनुसार दो से अधिक बच्चों वाले लोगों को किसी भी सरकारी सुविधा से वंचित रखा जाएगा। यह ड्राफ्ट बिल अभी विचाराधीन स्थिति में है।

क्या हो सकता है असर?
1- इस कानून के पास होने पर लिंग-चयन और असुरक्षित गर्भपात जैसी एक्टिविटी को प्रोत्साहन मिल सकता है।

2- ऐसा भी हो सकता है कि महिलाएं अपने लाइफ और हेल्थ को खतरे में डालकर अवैध गर्भपात के तरीकों को अपना कर एक विकल्प के रूप में इस्तेमाल करेंगी।

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