ममता त्रिपाठी
लखनऊ. भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने जैसे ही आदिवासी महिला नेता द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) को राष्ट्रपति पद के लिए पार्टी का उम्मीदवार घोषित किया है, उसके बाद से विपक्ष में फूट पड़ती दिखाई पड़ रही है. इसकी वजह से सारा गणित गड़बड़ होता दिख रहा है. ऐसे दल जिनका आधार भाजपा विरोध की राजनीति का है वो भी इस मामले पर एनडीए के साथ आ गए हैं. इसका सीधा फायदा भाजपा को मिलता दिख रहा है. उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने अपने इरादे साफ कर दिए कि वो उड़ीसा की बेटी को समर्थन दे रहे हैं. इसके बाद बिहार से नीतिश कुमार, हिन्दुस्तान आवाम मोर्चा के जीतन राम मांझी, चिराग पासवान ने भी एनडीए के साथ जाने का संकेत दे दिया है.
इन सबके बीच हजारीबाग से भाजपा के सांसद जयंत सिन्हा का वीडियो है जिन्होंने अपने वीडियो संदेश में अपने पिता को वोट ना देकर भाजपा प्रत्याशी को वोट देने की बात कही है. आपको बता दें कि जयंत सिन्हा, विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के बेटे हैं. राष्ट्रपति चुनाव में सियासी दल व्हिप जारी नहीं कर सकते जैसा अन्य चुनावों के दौरान राजनीतिक दल करते हैं. आमतौर पर चुनावों में लोग परिवार के सदस्यों को सपोर्ट करते हैं मगर इसके बाद भी खुद को पार्टी का कर्तव्यनिष्ठ सिपाही बताते हुए जयंत सिन्हा ने ये वीडियो अपने ट्वविटर हैंडल से ट्वीट किया है.
आप सभी को जोहार 🙏
विपक्ष द्वारा मेरे आदरणीय पिता जी श्री यशवंत सिन्हा जी को राष्ट्रपति हेतु प्रत्याशी घोषित किया गया है।
मेरा निवेदन है कि आप सभी इसे पारिवारिक मामला न बनाएं।
मैं @BJP4India का कार्यकर्ता और सांसद हूँ। मैं अपने संवैधानिक दायित्व को पूरी तरह निभाउंगा।
जय हिंद! pic.twitter.com/yvyMAFWR8w
— Jayant Sinha (@jayantsinha) June 21, 2022
दिल्ली और पंजाब से समर्थन के संकेत
दिल्ली और पंजाब में सत्ताधारी दल आम आदमी पार्टी भी आदिवासी नेता का नाम सामने आने के बाद से भाजपा प्रत्याशी के साथ जाने का मन बना रहे हैं. उसके पीछे वजह भी है क्योंकि आम आदमी पार्टी गुजरात विधानसभा के चुनाव में जोर शोर से लगी है. पार्टी ने अपने विस्तार के लिए शहरी क्षेत्रों के अलावा आदिवासी इलाकों पर भी फोकस बना रखा है. अरविंद केजरीवाल ने आदिवासी इलाके में कुछ दिनों पहले एक बड़ी जनसभा का भी आयोजन किया था. राजस्थान, मध्यप्रदेश, हिमाचल, मिजोरम इन सभी राज्यों में आदिवासी अच्छी संख्या में हैं और वहां की राजनीति पर इनका खासा असर भी है.
हेमंत सोरेन के लिए धर्मसंकट
कुछ ऐसा ही हाल झारखंड मुक्ति मोर्चा का भी है, उनकी तो राजनीति ही आदिवासी हितों पर केन्द्रित है. द्रौपदी मुर्मू से झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के अच्छे सम्बंध हैं. झारखंड विधानसभा में 81 सीटों में से 28 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं, जिसमें से 26 सीटें झामुमो-कांग्रेस गठबंधन के पास हैं. हेमंत सोरेन के लिए धर्मसंकट पैदा हो गया है अगर वो एनडीए के साथ जाते हैं तो कांग्रेस के साथ उनकी राज्य में चल रही सरकार पर आंच आ सकती है और नहीं गए तो भाजपा चुनाव में इसे एक मुद्दा बनाकर उनको कटघरे में खड़ा कर सकती है. आपको बता दें कि पूरे देश में करीब 12 करोड़ आदिवासी वोटर हैं.
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Tags: BJP, Draupadi murmu, Election
FIRST PUBLISHED : June 22, 2022, 23:51 IST