Presidential Poll: राष्ट्रपति चुनाव महज औपचारिकता बस भाजपा के दांव पर नजर, उपराष्ट्रपति चुनाव में भी पार्टी का पलड़ा भारी


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राष्ट्रपति चुनाव की तरह ही उपराष्ट्रपति चुनाव भी महज औपचारिकता भर है। संख्या बल के हिसाब से भाजपा की अगुवाई वाले राजग उम्मीदवार की जीत तय है। निगाहें इस पर जमी हैं कि उम्मीदवार के सवाल पर भाजपा इस चुनाव में कौन सा सियासी दांव चलती है। राष्ट्रपति चुनाव की तरह ही इस चुनाव में भी विपक्ष के सामने अपनी एकजुटता साबित करने की चुनौती है।

संख्या बल के मामले में राजग और विपक्ष का कोई मुकाबला नहीं है। भाजपा के पास अपने दम पर चुनाव जीतने लायक संख्या बल है। पार्टी के पास इस समय लोकसभा में 303 तो राज्यसभा में 95 सदस्य हैं। उच्च सदन में इस चुनाव से पूर्व सात सदस्यों का मनोनयन बाकी है। आमतौर पर मनोनीत सदस्य सत्तारूढ़ पार्टी से संबद्ध हो जाते हैं। इस प्रकार 788 सदस्यों वाले संसद के दोनों सदनों में भाजपा सदस्यों की संख्या 405 (अगर सभी मनोनीत सदस्य पार्टी से संबद्ध हो जाएं तो) हो जाती है। फिर पार्टी को लोकसभा में तीन निर्दलीय सदस्यों का समर्थन भी प्राप्त है। इस प्रकार यह आंकड़ा अपने उम्मीवार को जिताने के लिए पर्याप्त है।

दोनों सदनों में राजग का दबदबा
राजग का दोनों सदनों में दबदबा है। लोकसभा में सभी सहयोगियों और तीन निर्दलीयों के साथ राजग के सदस्यों की संख्या 336 है। जबकि उच्च सदन में उसके 111 सदस्य हैं। इस प्रकार राजग  उम्मीदवार के पक्ष में सांसदों की संख्या 454 पहुंच जाएगी।

चेहरे पर सस्पेंस
भाजपा के उम्मीदवार पर सस्पेंस है। ऐसा कयास था कि उपराष्ट्रपति चुनाव में भाजपा महिला कार्ड चल सकती है। मगर राष्ट्रपति चुनाव में आदिवासी महिला कार्ड खेल कर पार्टी ने इस संभावना पर ब्रेक लगा दिया है। ऐसे में अब मुस्लिम या क्षेत्रीय कार्ड खेल सकती है।

नायडू से बड़ी जीत हासिल करना मुश्किल
चुनाव में राजग उम्मीदवार की जीत तय है, मगर भावी उम्मीदवार के लिए वर्तमान उपराष्ट्रपति नायडू से बड़ी जीत हासिल करना मुश्किल होगा। नायडू को 516 तो विपक्ष के उम्मीदवार गोपाल कृष्ण गांधी को महज 244 वोट मिले थे।

राष्ट्रपति चुनाव प्रावधानों को चुनौती वाली याचिका खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति चुनाव प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। याची ने उसमें इस पद के लिए नामांकन के प्रावधानों को चुनौती दी थी। उसने देश के शीर्ष पद के चुनाव में नामांकन के लिए 50-50 प्रस्तावकों और अनुमोदकों के रूप में सांसदों या विधायकों की अनिवार्यता की कानूनी वैधता को चुनौती दी थी। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी परदीवाला की पीठ ने बम बम महाराज नौहटिया की याचिका पर सुनवाई करने से इन्कार करते हुए उसे वापस लेने का निर्देश दिया।

राष्ट्रपति चुनाव के लिए कुल 115 नामांकन दाखिल किए गए
राज्यसभा सचिवालय ने बताया कि 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने के आखिरी दिन बुधवार तक कुल 115 नामांकन दाखिल किए गए। इनमें से 87 नामांकन पड़ताल के लिए बचे हैं। बृहस्पतिवार को इन नामांकन पत्रों की जांच की जाएगी। सूत्रों ने बताया कि कुल 115 में से 28 नामांकन उम्मीदवारों के नाम के साथ मतदाता सूची प्रस्तुत नहीं किए जाने के कारण खारिज कर दिए गए। उन्होंने बताया कि शेष 87 नामांकन 72 उम्मीदवारों के हैं जिनकी बृहस्पतिवार को जांच की जाएगी।

नामांकन पत्र दाखिल करने वालों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू और संयुक्त विपक्ष के प्रत्याशी यशवंत सिन्हा शामिल हैं। द्रौपदी मुर्मू और यशवंत सिन्हा चुनाव में मुख्य उम्मीदवार हैं। उनके अलावा, कई आम लोगों ने भी देश के शीर्ष संवैधानिक पद के लिए अपने नामांकन दाखिल किए हैं। इनमें मुंबई के एक झुग्गी निवासी, राष्ट्रीय जनता दल के संस्थापक लालू प्रसाद यादव के एक हमनाम, तमिलनाडु के एक सामाजिक कार्यकर्ता और दिल्ली के एक प्राध्यापक शामिल हैं।

निर्वाचन आयोग ने नामांकन करने वाले लोगों के लिए कम से कम 50 प्रस्तावक और 50 अनुमोदक अनिवार्य कर दिए हैं। प्रस्तावक और अनुमोदक निर्वाचक मंडल के सदस्य होने चाहिए। वर्ष 1997 में, 11वें राष्ट्रपति चुनाव से पहले प्रस्तावकों और अनुमोदकों की संख्या 10 से बढ़ाकर 50 कर दी गई थी, वहीं जमानत राशि भी बढ़ाकर 15,000 रुपये कर दी गई थी।

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राष्ट्रपति चुनाव की तरह ही उपराष्ट्रपति चुनाव भी महज औपचारिकता भर है। संख्या बल के हिसाब से भाजपा की अगुवाई वाले राजग उम्मीदवार की जीत तय है। निगाहें इस पर जमी हैं कि उम्मीदवार के सवाल पर भाजपा इस चुनाव में कौन सा सियासी दांव चलती है। राष्ट्रपति चुनाव की तरह ही इस चुनाव में भी विपक्ष के सामने अपनी एकजुटता साबित करने की चुनौती है।

संख्या बल के मामले में राजग और विपक्ष का कोई मुकाबला नहीं है। भाजपा के पास अपने दम पर चुनाव जीतने लायक संख्या बल है। पार्टी के पास इस समय लोकसभा में 303 तो राज्यसभा में 95 सदस्य हैं। उच्च सदन में इस चुनाव से पूर्व सात सदस्यों का मनोनयन बाकी है। आमतौर पर मनोनीत सदस्य सत्तारूढ़ पार्टी से संबद्ध हो जाते हैं। इस प्रकार 788 सदस्यों वाले संसद के दोनों सदनों में भाजपा सदस्यों की संख्या 405 (अगर सभी मनोनीत सदस्य पार्टी से संबद्ध हो जाएं तो) हो जाती है। फिर पार्टी को लोकसभा में तीन निर्दलीय सदस्यों का समर्थन भी प्राप्त है। इस प्रकार यह आंकड़ा अपने उम्मीवार को जिताने के लिए पर्याप्त है।

दोनों सदनों में राजग का दबदबा

राजग का दोनों सदनों में दबदबा है। लोकसभा में सभी सहयोगियों और तीन निर्दलीयों के साथ राजग के सदस्यों की संख्या 336 है। जबकि उच्च सदन में उसके 111 सदस्य हैं। इस प्रकार राजग  उम्मीदवार के पक्ष में सांसदों की संख्या 454 पहुंच जाएगी।

चेहरे पर सस्पेंस

भाजपा के उम्मीदवार पर सस्पेंस है। ऐसा कयास था कि उपराष्ट्रपति चुनाव में भाजपा महिला कार्ड चल सकती है। मगर राष्ट्रपति चुनाव में आदिवासी महिला कार्ड खेल कर पार्टी ने इस संभावना पर ब्रेक लगा दिया है। ऐसे में अब मुस्लिम या क्षेत्रीय कार्ड खेल सकती है।

नायडू से बड़ी जीत हासिल करना मुश्किल

चुनाव में राजग उम्मीदवार की जीत तय है, मगर भावी उम्मीदवार के लिए वर्तमान उपराष्ट्रपति नायडू से बड़ी जीत हासिल करना मुश्किल होगा। नायडू को 516 तो विपक्ष के उम्मीदवार गोपाल कृष्ण गांधी को महज 244 वोट मिले थे।

राष्ट्रपति चुनाव प्रावधानों को चुनौती वाली याचिका खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति चुनाव प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। याची ने उसमें इस पद के लिए नामांकन के प्रावधानों को चुनौती दी थी। उसने देश के शीर्ष पद के चुनाव में नामांकन के लिए 50-50 प्रस्तावकों और अनुमोदकों के रूप में सांसदों या विधायकों की अनिवार्यता की कानूनी वैधता को चुनौती दी थी। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी परदीवाला की पीठ ने बम बम महाराज नौहटिया की याचिका पर सुनवाई करने से इन्कार करते हुए उसे वापस लेने का निर्देश दिया।

राष्ट्रपति चुनाव के लिए कुल 115 नामांकन दाखिल किए गए

राज्यसभा सचिवालय ने बताया कि 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने के आखिरी दिन बुधवार तक कुल 115 नामांकन दाखिल किए गए। इनमें से 87 नामांकन पड़ताल के लिए बचे हैं। बृहस्पतिवार को इन नामांकन पत्रों की जांच की जाएगी। सूत्रों ने बताया कि कुल 115 में से 28 नामांकन उम्मीदवारों के नाम के साथ मतदाता सूची प्रस्तुत नहीं किए जाने के कारण खारिज कर दिए गए। उन्होंने बताया कि शेष 87 नामांकन 72 उम्मीदवारों के हैं जिनकी बृहस्पतिवार को जांच की जाएगी।

नामांकन पत्र दाखिल करने वालों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू और संयुक्त विपक्ष के प्रत्याशी यशवंत सिन्हा शामिल हैं। द्रौपदी मुर्मू और यशवंत सिन्हा चुनाव में मुख्य उम्मीदवार हैं। उनके अलावा, कई आम लोगों ने भी देश के शीर्ष संवैधानिक पद के लिए अपने नामांकन दाखिल किए हैं। इनमें मुंबई के एक झुग्गी निवासी, राष्ट्रीय जनता दल के संस्थापक लालू प्रसाद यादव के एक हमनाम, तमिलनाडु के एक सामाजिक कार्यकर्ता और दिल्ली के एक प्राध्यापक शामिल हैं।

निर्वाचन आयोग ने नामांकन करने वाले लोगों के लिए कम से कम 50 प्रस्तावक और 50 अनुमोदक अनिवार्य कर दिए हैं। प्रस्तावक और अनुमोदक निर्वाचक मंडल के सदस्य होने चाहिए। वर्ष 1997 में, 11वें राष्ट्रपति चुनाव से पहले प्रस्तावकों और अनुमोदकों की संख्या 10 से बढ़ाकर 50 कर दी गई थी, वहीं जमानत राशि भी बढ़ाकर 15,000 रुपये कर दी गई थी।



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