President Election: मुर्मू का नाम घोषित होते ही बिखरने लगा विपक्ष, आखिर क्यों ममता की कोशिशों पर फिरा पानी?


राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवारों का एलान हो चुका है। भाजपा की अगुआई वाली एनडीए द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाकर विपक्षी एकता में सेंध लगा दी है। भाजपा विरोधी पार्टियों को एकजुट करने में जुटीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को इससे तगड़ा झटका लगा है। आइये समझते हैं आखिर विपक्ष एकजुट क्यों नहीं हो सका? अब तक कितने गैर एनडीए दल मुर्मू की उम्मीदवारी का समर्थन कर चुके हैं?  

 

1. नेतृत्व को लेकर खींचतान : सबसे बड़ा कारण यही है। तेलंगाना की सत्ताधारी पार्टी टीआरएस भी राष्ट्रीय स्तर पर राजनीति करने के लिए कोशिश कर रही है। वाईएसआर कांग्रेस के जगह मोहन रेड्डी और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल भी पार्टी के विस्तार में जुटे हुए हैं। ममता बनर्जी भी खुद को राष्ट्रीय स्तर की नेता बनाने और 2024 में प्रधानमंत्री मोदी के विकल्प के तौर पर पेश कर रहीं हैं। तीनों की खींचतान की वजह से भी विपक्ष एकुजट नहीं पाया।   

 

2. कई दलों को विश्वास नहीं दिला पाए: इस बार कांग्रेस की बजाय टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने विपक्ष को एकजुट करने की जिम्मेदारी ली थी। उन्होंने ही 15 जून को विपक्ष की बैठक बुलाई थी। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि ममता बनर्जी कई राजनीतिक दलों को विश्वास नहीं दिला पाईं कि विपक्ष का उम्मीदवार जीत हासिल कर सकेगा। इसके अलावा उम्मीदवार को लेकर भी उनके पास कोई ठोस दावेदारी नहीं थी। 

 

3. कांग्रेस का एक्टिव नहीं होना: जब ममता बनर्जी ने विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश की तो कांग्रेस पीछे ह गई। कांग्रेस अपने ही मुद्दों में उलझी रही। इसका खामियाजा भी विपक्ष को हुआ।

 

विपक्ष से अब तक मुर्मू की उम्मीदवारी पर क्या किसने क्या कहा?

बीजद : ओडिशा की सत्ताधारी पार्टी और भाजपा की विरोधी बीजद ने सबसे पहले द्रौपदी मुर्मू को बधाई दी। ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के ट्विट के बाद माना जा रहा है कि उनकी पार्टी द्रौपदी का समर्थन करेगी। 

 



Source link

Enable Notifications OK No thanks