Raju Srivastava Death:कॉमेडियन किंग राजू श्रीवास्तव का लखनऊ से था खास लगाव,जानिए उनसे जुड़े अनसुने किस्से


अंजलि सिंह राजपूत

लखनऊ. कॉमेडी किंग राजू श्रीवास्तव अब हम सबके बीच में नहीं है. 41 दिन तक दिल्ली के एम्स में भर्ती रहने के बाद बुधवार को उनका निधन हो गया था. नवाबों के शहर लखनऊ से राजू श्रीवास्तव का पुराना नाता रहा है. राजू कई बार लखनऊ आकर अपने शो से दर्शन को हंसा-हंसाकर लोटपोट कर चुके हैं. लखनऊ में रहने वाले उनके परम मित्र कवि सर्वेश अस्थाना ने बताया कि राजू श्रीवास्तव को लखनऊ के अमीनाबाद का गड़बड़झाला बहुत पसंद था. उनके लिए वहां जाने की सबसे बड़ी वजह गड़बड़झाला की भीड़ थी. वहां के लोग आपस में जो बातचीत करते थे, राजू श्रीवास्तव उन सब की नब्ज करीब से टटोलते थे और उसी को बाद में अपने हास्य कार्यक्रमों में शामिल करते थे.

सर्वेश अस्थाना अपने दोस्त राजू श्रीवास्तव के जाने से गहरे सदमे में हैं. उन्होंने न्यूज़ 18 लोकल से बातचीत में बताया कि राजू श्रीवास्तव के पिता वकील थे. उन्होंने आर्थिक वजहों से कानपुर में अपना घर बेच दिया था. यह बात राजू श्रीवास्तव को बहुत बुरी लगी थी. इससे वो बहुत दुखी हुए थे. पच्चीस साल बाद जब राजू अच्छे मुकाम पर पहुंच गए तो उन्होंने उस घर को खरीद कर अपने पिता को उपहार में दिया था.

वर्ष 1985 में हुई थी पहली मुलाकात

सर्वेश ने बताया कि वर्ष 1985 में राजू श्रीवास्तव से उनकी पहली मुलाकात हुई थी. वो एक शो करने के लिए यहां आए हुए थे. शौचालय के उद्घाटन को लेकर उन्होंने एक हास्य कार्यक्रम किया था. यहीं उनसे हुई मुलाकात धीरे-धीरे दोस्ती में बदल गई. दोनों की दोस्ती को 25 साल हो गये हैं. उन्होंने यह भी बताया कि राजू श्रीवास्तव के साथ वो जब भी लखनऊ की सड़कों पर घूमने निकलते थे तो राजू श्रीवास्तव को देखकर लोगों की भीड़ सेल्फी और ऑटोग्राफ लेने के लिए उमड़ पड़ती थी.

आखिरी बार मॉल एवेन्यू में खाया खाना
उन्होंने बताया कि आखिरी बार राजू श्रीवास्तव के साथ उन्होंने मॉल एवेन्यू के एक होटल में खाना खाया था. उस वक्त राजू श्रीवास्तव ने आलू का भर्ता और कुछ देसी खाना खाया था जो उन्हें हमेशा से पसंद था.

बिना पैसे लिए किया था कार्यक्रम
वर्ष 2009 में सर्वेश अस्थाना की संस्था अवधी विकास संस्थान ने एक कार्यक्रम का आयोजन किया था. सर्वेश अस्थाना बताते हैं कि उन्होंने उसमें मुख्य अतिथि के तौर पर राजू श्रीवास्तव को आमंत्रित किया था, लेकिन उनकी संस्थान के पास इतने पैसे नहीं थे कि राजू श्रीवास्तव की फीस वो दे पाएं. लेकिन अवधी भाषा के विकास पर राजू श्रीवास्तव बहुत काम करते थे और उनकी संस्था भी इसी पर काम करती है इसलिए जब उन्होंने राजू को फोन किया तो उन्होंने कहा कितना पारिश्रमिक दिला सकते हैं. सर्वेश बोले कि पैसे तो नहीं है.तब राजू श्रीवास्तव ने कहा कि कोई बात नहीं. किसी बिजनेस क्लास फ्लाइट में टिकट बुक करा दो.

सर्वेश उनसे बोले कि यह भी नहीं हो पाएगा. फिर राजू श्रीवास्तव बोले तो किसी ऐसी फ्लाइट में टिकट बुक करा दो जिसमें बिजनेस क्लास लगता ही न हो. सर्वेश अस्थाना ने कहा ऐसा हो जाएगा, लेकिन कुछ देर बाद राजू श्रीवास्तव ने खुद कॉल की और कहा- रहने दीजिए, टिकट मत बुक कराइए. मैंने टिकट बुक करा ली है. आप परेशान न हों, मैं आ रहा हूं.

राजू श्रीवास्तव ने न सिर्फ मुफ्त में शो किया बल्कि 50 हजार रुपये संस्था को दान में भी दिया.

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