कब से घटना शुरू होगी महंगाई? आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने दिया इस सवाल का जवाब


नई दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भरोसा जताया है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में मुद्रास्फीति क्रमिक रूप से नरम पड़ेगी. उन्होंने शनिवार को कहा कि केद्रीय बैंक मुद्रास्फीति को काबू में रखने के लिए मौद्रिक उपाए जारी रखेगा ताकि मजबूत और स्थाई वृद्धि हासिल की जा सके.

दास ने कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में कहा कि मुद्रास्फीति देश के आर्थिक संस्थानों में जनता के विश्वास का एक मापक है. गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ‘‘कुल मिलाकर इस समय आपूर्ति का परिदृश्य अनुकूल दिखाई दे रहा है और कई उच्च आवृत्ति संकेतक 2022-23 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में सुधार की फ्लेक्सिबिलिटी की ओर इशारा कर रहे हैं. ऐसे में हमारा वर्तमान आकलन है कि 2022-23 की दूसरी छमाही में मुद्रास्फीति धीरे-धीरे कम हो सकती है.’’

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मूल्य स्थिरता महत्वपूर्ण
उन्होंने कहा कि वृहद आर्थिक और वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए मूल्य स्थिरता महत्वपूर्ण है. और इसलिए केंद्रीय बैंक व्यापक आर्थिक स्थिरता को बनाए रखने और बढ़ावा देने के उपाय करेगा. दास ने कहा, ‘‘हालांकि, हमारे नियंत्रण से परे कारक शॉर्ट टर्म में मुद्रास्फीति को प्रभावित कर सकते हैं, लेकिन मीडियम टर्म में इसकी चाल मौद्रिक नीति द्वारा निर्धारित होगी. इसलिए मौद्रिक नीति को मुद्रास्फीति को स्थिर करने के लिए समय पर कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि अर्थव्यवस्था को मजबूत स्थिति में और सतत वृद्धि की राह पर कायम रखा जा सके.’’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘हम व्यापक आर्थिक स्थिरता बनाए रखने और उसे बढ़ावा देने के लक्ष्य के साथ अपनी नीतियों की समीक्षा जारी रखेंगे.’’ दास ने बताया कि किया कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने अपनी अप्रैल और जून की बैठकों में 2022-23 के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान को संशोधित कर 6.7 प्रतिशत कर दिया.

दिसंबर तक ऊंची रहेगी मुद्रास्फीति
बता दें कि हाल ही में दिए एक साक्षात्कार में शक्तिकांत दास ने कहा था कि भारत की खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर तक 6 प्रतिशत से अधिक रहेगी और फिर नीचे आ जाएगी. उन्होंने कहा, “हम मुद्रास्फीति को कम करने के लिए सही रास्ते पर हैं. दिसंबर तक, सीपीआई मुद्रास्फीति निर्धारित दायरे से अधिक रहने का अनुमान है. इसके बाद हमारे वर्तमान अनुमानों के अनुसार इसके 6 प्रतिशत से नीचे जाने की उम्मीद है. मुद्रास्फीति का दबाव होगा, और केवल चौथी तिमाही में, हमने इसे 6 प्रतिशत से नीचे जाने का अनुमान लगाया है.”

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