नई दिल्ली. अंग्रेजी अखबार इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, आरबीआई ने कैशफ्री और मोबीक्विक जैसी ऑनलाइन कंपनियों की जांच को सख्त कर दिया है. खबर के अनुसार, पेमेंट एग्रीगेटर का लाइसेंस लेने के लिए इन कंपनियों द्वारा दिए गए आवेदन रद्द भी हो सकते हैं.
ईटी ने लिखा है कि आरबीआई को इन कंपनियों का गेमिंग ऐप्स और क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज कंपनियों के साथ गठजोड़ का पता चला है. आरबीआई ने कैशफ्री से केवाईसी, नेट-वर्थ क्राइटेरिया, क्लाइंट्स के रूप में बेटिंग ऐप्स के उनसे जुड़ने के संबंध में कठोर सवाल किए हैं.
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क्या है सख्ती की वजह
दरअसल, आरबीआई को इन कंपनियों का ऐसे क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज व गेमिंग ऐप्स से संबंध के बारे में पता चला है जिनका नाम मनीलॉन्ड्रिंग से जुड़ चुका है. इन पर नेट-वर्थ क्राइटेरिया के उल्लंघन का भी आरोप है. आरबीआई इससे खुश नहीं है. केंद्रीय बैंक ने इन्हीं वजहों से ज़ैकपे का पेमेंट एग्रीगेटर का लाइसेंस और मोबिक्विक का पेमेंट गेटवे सर्विस का लाइसेंस रोक दिया है. आरबीआई के नियमों के अनुसार, 31 मार्च 2021 या आवेदन के दिन पेमेंट एग्रीगेटर के लिए आवेदन कर रही कंपनियों का नेट वर्थ 15 करोड़ रुपये होना जरुरी है. इसके अलावा 2022-23 के अंत तक इनका नेटवर्थ 25 करोड़ रुपये होना चाहिए.
कैशफ्री का बयान
मोबीक्विक ने जहां इन खबरों पर कुछ कहने से इनकार कर दिया है वहीं क्रैशफ्री के प्रवक्ता ने इन्हें आधारहीन अटकलें करार दिया है. उन्होंने कहा है कि कंपनी के पेमेंट एग्रीगेटर के लाइसेंस पर आरबीआई विचार कर रहा है और वह आधारहीन अटकलों पर टिप्पणी नहीं करेंगे.
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185 फिनटेक कंपनियों ने किया है आवेदन
खबरों के अनुसार, आरबीआई कम से कम 185 फिनटेक कंपनियों के पेमेंट एग्रीगेटर लाइसेंस संबंधी आवेदनों की जांच कर रहा है. इन आवेदकों में रेजरपे और फोनपे जैसी बड़ी फिनटेक कंपनियां भी शामिल हैं. आरबीआई ने अभी तक इनमें से किसी को लाइसेंस नहीं दिया है. अनुमान है कि जल्द ही आरबीआई इन कंपनियों को आवेदन रद्द किए जाने की सूचना देगा. गौरतलब है कि मार्च 2020 में आरबीआई ने पेमेंट एग्रीगेटर फ्रेमवर्क पेश करते हुए कहा था कि केवल केंद्रीय बैंक से अनुमति प्राप्त कंपनियां ही मर्चेंट्स को पेमेंट सेवाएं दे सकती हैं.
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