नई दिल्ली. महंगाई का दबाव इस कदर बढ़ गया है कि बैंकों ने अपना मार्जिन बढ़ाने के लिए कर्ज की ब्याज दरों में फिर बढ़ोतरी शुरू कर दी है. देश के सबसे बड़े बैंक SBI ने तीन साल बाद अपने कर्ज की ब्याज दरें 0.10 फीसदी बढ़ाई हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या महंगाई से जूझ रहे आम आदमी पर अब कर्ज का बोझ भी बढ़ने वाला है.
दरअसल, SBI ने दिसंबर 2018 के बाद अब अपने इंटरनल बेंचमार्क मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लेंडिंग रेट (MCLR) में बढ़ोतरी की है. बैंक की 1 साल की अवधि वाले कर्ज की ब्याज दर अब 7.10 फीसदी हो गई है. बैंक के एक अधिकारी का कहना है कि हमने समय-समय पर जमा की ब्याज दरों में इजाफा किया है, जिससे मार्जिन का दबाव लगातार बढ़ रहा है. अब मजबूरी में इस अंतर को पूरा करने के लिए कर्ज की ब्याज दरें बढ़ानी पड़ी हैं.
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BoB और Axis की राह पर चलेंगे और भी बैंक
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ऑफ बड़ौदा (BoB) ने भी अपने कर्ज की ब्याज दरों में 0.05 फीसदी की बढ़ोतरी की थी, जो 12 अप्रैल से ही लागू है, जबकि निजी क्षेत्र के Axis बैंक का कर्ज भी 18 अप्रैल से इतना ही महंगा हो गया है. कोटक महिंद्रा बैंक ने भी 16 अप्रैल से अपना कर्ज 0.05 फीसदी महंगा कर दिया है. एक्सपर्ट का कहना है कि इन बैंकों की राह पर चलकर अन्य बैंक भी जल्द ही अपने कर्ज की ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर सकते हैं.
रिजर्व बैंक के कहने पर भी रेपो रेट से नहीं जोड़ रहे कर्ज
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने सभी बैंकों को स्पष्ट निर्देश दिया है कि वे अपने कर्ज के बेंचमार्क को बाहरी बेंचमार्क जैसे रेपो रेट या 10 साल के बांड यील्ड के साथ जोड़ें, ताकि ग्राहकों पर आंतरिक खर्च बढ़ने के नाम पर ज्यादा ब्याज का बोझ न लादा जा सके. बावजूद इसके अधिकतर बैंकों में ज्यादातर लोन अभी MCLR जैसे इनटरनल बेंचमार्क से जुड़े हैं.
RBI की रिपोर्ट बताती है कि दिसंबर, 2021 तक बैंकों के कुल कर्ज में से 53.1 फीसदी अब भी MCLR से जुड़े हैं, जबकि महज 39.2 फीसदी कर्ज को ही बाहरी बेंचमार्क से जोड़ा गया है. सिर्फ एसबीआई के ही ज्यादातर कर्ज रेपो रेट जैसे बाहरी बेंचमार्क से जुड़े हैं. एसबीआई के 42 फीसदी कर्ज ही MCLR से लिंक हैं, जो बैंकिंग क्षेत्र के औसत से काफी कम है.
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अब रिजर्व बैंक की बारी, जून में बढ़ेगी ब्याज दर
एसबीआई की मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने कहा कि नए वित्तवर्ष की शुरुआत में ही 10 साल के सरकारी बांड की ब्याज दरें बढ़कर 7.15 फीसदी पहुंच गई हैं. इससे बैंकों पर भी ब्याज दरें बढ़ाने का दबाव है, जबकि रिजर्व बैंक भी जून की एमपीसी बैठक में दरें बढ़ा सकता है. उन्होंने कहा कि इस बात की काफी संभावना है कि आरबीआई जून में रेपो रेट 0.25 फीसदी बढ़ाएगा. इससे बाहरी बेंचमार्क से जुड़े कर्ज भी इतने ही महंगे हो जाएंगे. कुलमिलाकर कर्ज चाहे इंटरनल बेंचमार्क से जुड़ा हो या बाहरी, इसकी ब्याज दरें बढ़ना अब तय माना जा रहा है.
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