IVF Special: पढें, मां बनने के सपनों में रोड़ा बन रही हैं जिंदगी की कौन सी पुरानी गलतियां?


Obstacles in the way of becoming a mother: करियर का ग्राफ कहीं नीचे न आ जाए, इस डर से ज्‍यादातर कामकाजी महिलाएं सही उम्र में मां बनने से परहेज करती हैं. सही उम्र गुजर जाने के बाद जब उन्‍हें मां बनने का ख्‍याल आता है, तब तक काफी देर हो चुकी होती है. हालात यह होते हैं कि बढ़ती उम्र के साथ महिलाओं की प्रजनन क्षमता कमजोर पड़ने लगती है और वह सेहत से जुड़ी कई तरह की समस्‍याओं की चपेट में आ जाती है. अब आप कहेंगे कि कुछ नहीं हुआ तो आईवीएफ से बच्‍चा कर लेंगे. तो यहां जवाब यह है कि आपका सोचना बिल्‍कुल सही है, आईवीएफ के जरिए मां बना जा सकता है, लेकिन एक उम्र गुजर जाने के बाद आईवीएफ की प्रक्रिया भी थोड़ा मुश्किल हो जाती है.

गुंजन आईवीएफ वर्ल्ड ग्रुप की चेयरमैन डॉ. गुंजन गुप्‍ता बताती हैं कि करियर को प्राथमिकता देने वाली महिलाओं को देरी से मां बनने के जोखिम के बारे में ज्यादा पता नहीं है. देरी से मां बनने का निर्णय न केवल उस महिला के लिए, बल्कि नवजात के लिए कई मुश्किलें खड़ी कर सकता है. दरअसल, जैविक रूप से किसी भी महिला की प्रजनन क्षमता 20 से 30 वर्ष की उम्र में सबसे अच्छी होती है. इस दौरान, गर्भपात या बच्चे में किसी तरह की मानसिक बीमारी होने का जोखिम भी सबसे कम होता है. वहीं, 30 की उम्र पार करते ही महिलाओं की प्रजनन क्षमता घटती जाती है और 35 वर्ष के बाद इसमें तेजी से गिरावट आती है. उम्र बढ़ने के साथ महिला के अंडाणुओं की संख्या और गुणवत्ता कम होती जाती है.

इन वजहों से भी मां बनने हो रही हैं मुश्किलें
डॉ. गुंजन का कहना है कि जब हम आज के समय में आधुनिक जीवनशैली, खराब खान-पान, तनाव, बहुत कम शारीरिक गतिविधि महिलाओं की प्रजनन क्षमता को लगातार कमजोर करती जाती हैं. वहीं, इन आदतों के साथ 40 की उम्र पार करते ही महिला के मां बनने की संभावना महज पांच प्रतिशत रह जाती है. हालांकि, रजोनिवृत्ति से पहले आईवीएफ जैसी तकनीकों की मदद से ज्यादातर महिलाएं अपने ही अंडाणुओं से मां बन सकती है, लेकिन आईवीएफ की सफलता पर भी उम्र का प्रभाव तो पड़ता ही है. नई उम्र की महिलाओं के लिए यह समझना बहुत जरूरी है कि मां बनने के लिए सबसे प्रमुख भूमिका उम्र की ही होती है. लिहाजा, मां बनना है तो सही उम्र में सही फैसला जरूर ले लें.

प्रजनन क्षमता को कमजोर करने वाली आदतें
करियर के लिए प्रेगनेंसी से परहेज करने वाली महिलाओं के लिए प्रजनन क्षमता पर उम्र के प्रभाव को जानना बेहद जरूरी है. वहीं, यह जानना भी जरूरी है कि जीवनशैली से जुड़ीं और कौन सी आदतें प्रजनन क्षमता को प्रभावित करती है.

धूम्रपान: धूम्रपान से महिला की प्रजनन क्षमता पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है. धूम्रपान से महिलाओं में यह फॉलिक्यूलर माइक्रो एनवायरमेंट तथा महिला के अंडाणु निकलने के बाद मासिक धर्म से पहले के समय (ल्यूटल फेज) में हार्मोन्स के स्तर को प्रभावित कर सकता है.

वजन:  वजन बहुत ज्यादा या बहुत कम होना भी महिला की प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकता है. यह हार्मोन्स का असंतुलन पैदा कर सकता है और अंडाणु बनने की प्रक्रिया से जुड़ीं परेशानी खड़ी कर सकता है. इसके अलावा, मोटापे के कारण कार्डियोवस्कुलर रोग, मधुमेह तथा कुछ तरह के कैंसर भी हो सकते है. इसके अलावा, यह पॉली साइटिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) का भी बडा कारण है, जो महिलाओं में बांझपन का सबसे बड़ा कारण माना जाता है. वजन ज्यादा होने से गर्भावस्था के दौरान भी समस्याएं आती है.

खान-पान: खान-पान प्रजनन क्षमता बढ़ाने में मुख्य भूमिका अदा करता है और अंडाणु बनने की प्रक्रिया को बेहतर बनाता है. संतुलित और पौष्टिक भोजन सामान्य स्वास्थ्य के लिए जरूरी है और समस्त शारीरिक गतिविधियों पर सकारात्मक प्रभाव डालता हैं. हमें अनाज, फाइबर युक्त भोजन, फल, सब्जियां, प्रोटीन जैसे फलियां, तोफू, सूखे मेवे आदि खाने चाहिए. जंक फूड और ट्रांस फैट, अधिक वसा वाली वस्तुओं से दूर रहना चाहिए.

स्वस्थ शरीर: नियमित व्यायाम से व्यक्ति के स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है. अधिक वजन वाली महिलाएं व्यायाम करें तो उनके मां बनने की संभावना बढ़ जाती है, क्योंकि व्यायाम से उनका वजन कम होता है. वास्तव में गर्भावस्था के दौरान भी व्यायाम किया जाए तो मानसिक स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है. लेकिन, व्यायाम बहुत ज्यादा नहीं करना चाहिए. अधिक व्यायाम से महिला में हार्मोन अंसतुलित हो सकते हैं और अंडाणु बनने की प्रक्रिया बाधित हो सकती हैं. इससे महिला का मासिक चक्र भी गड़बड़ा सकता है. देखा जाए तो व्यायाम न बहुत ज्यादा अच्छा है और न बहुत कम. बेहतर संतुलन बनाया जाना जरूरी है.

शराब सेवन: शराब का बहुत ज्यादा सेवन से प्रजनन क्षमता घट सकती है. यह एस्ट्रोजन का स्तर बढाता है और एफएसएच का स्राव कम करता है. इससे अजन्मे बच्चे के लिए जोखिम पैदा हो सकती है. ऐसे में यदि कोई युवती मां बनना चाहती है तो उसे शराब का सेवन कम कर देना चाहिए.

तनाव: तनाव बांझपन का प्रमुख कारण तो नहीं है, लेकिन यह महिला की प्रजनन क्षमता पर विपरीत प्रभाव डाल सकता है. तनाव के कारण इसे बढ़ाने वाले हार्मोन जैसे एड्रीनिलीन, कॉर्टीसोल आदि का स्तर बढ़ जाता है. जिन महिलाओं का पहले गर्भपात की शिकार हो चुकी है, उनमें बेचैनी और अवसाद की स्थिति प्रजनन की क्षमता को प्रभावित कर सकती है. जो दंपित किसी भी तरह के तनाव या मनोवैज्ञानिक दबाव से जूझ रहे है, उन्हें सही परामर्श लेना चाहिए.

पर्यावरण: पर्यावरण या अपने काम के कारण यदि किसी भी तरह के कीटनाशकों या प्रदूषकों के संपर्क में आ रहे हैं तो यह भी प्रजनन क्षमता पर विपरीत प्रभाव डाल सकते है. इसके अलावा, ये गर्भपात या जन्मजात विकृतियां का कारण भी बन सकते है. जीवनशैली में कुछ बदलाव और स्‍वास्‍थ्‍यवर्धक विकल्पों का चुनाव कर महिलाओं की प्रजनन क्षमता को बढाया जा सकता है. हालांकि, आईवीएफ जैसी तकनीकों के कारण कई महिलाएं मां बन कर स्वस्थ बच्चे पैदा कर रही हैं.

Tags: Health News, IVF, Sehat ki baat

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