Heart Disease: कार्डियोवस्कुलर डिजीज से बचने के लिए कैसी हो हमारी ‘खाने की थाली’


Sehat Ki Baat: हमारे देश में हर साल लाखों लोगों की मौत की वजह कार्डियोवस्‍कुलर डिजीज यानी हृदय की बीमारी बनती है. विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन द्वारा 2016 में प्रकाशित की गई एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में करीब 17.9 मिलियन लोगों की मौत कार्डियोवस्‍कुलर डिजीज की वजह से हुई. मौंतों का यह आंकड़ा न केवल वैश्विक मौतों का करीब 31 फीसदी था, बल्कि 85 फीसदी से अधिक मौतों की वजह हार्ट अटैक या स्‍ट्रोक था.

वहीं, ग्लोबल बर्डेन ऑफ डिजीज की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2017 में कार्डियोवस्कुलर डिजीज की वजह से भारत में जान गवाने वाले लोगों की संख्या करीब 26 लाख रही. विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने अपनी रिपोर्ट में यह भी साफ किया है कि कार्डियोवस्‍कुलर डिजीज के इस जोखिम के लिए जिम्‍मेदार कारकों में बढ़ा हुआ ब्‍लडप्रेशर, ग्लूकोज, लिपिड, वजन और मोटापा बेहद अहम हैं और इन सभी कारकों का सीधा संबंध हमारे खाने की थाली से है.

हार्ट मशीन और भोजन है फ्यूल
इंद्रप्रस्‍थ अपोलो हॉस्पिटल की चीफ डाइटीशियन डॉ. काजल पंड्या येप्थो के अनुसार, हार्ट (हृदय) हमारे शरीर की सबसे महत्‍वपूर्ण मशीन है. इस मशीन को चलाने के लिए हमें भोजन के रूप में फ्यूल की जरूरत होती है. अब हम मशीन में समय पर जितना शुद्ध और शोधित फ्यूल डालेंगे, मशीन उतनी अच्‍छी तरह से काम करेगी. यदि मशीन में केमिकल और अशुद्ध फ्यूल डालते हैं, तो उसका खामियाजा भुगतने के लिए हमें तैयार रहना चाहिए.

हृदय को स्‍वस्‍थ्‍य रखने के लिए बेहद जरूरी है कि हम समय पर खाना खाएं. खाना न केवल सीजनल और वैरायटी वाला हो, बल्कि कम ऑयल से पका हुआ हो. चीनी भी हमारे भोजन की शुद्धता को प्रभावित करती है, लिहाजा उसका इस्‍तेमाल भी सीमित हो. खाने का संतुलन ब्‍लडप्रेशर, ग्लूकोज, लिपिड, वजन और मोटापा को नियंत्रित करने में मदद करेगा, जिसका साकारात्‍मक असर हमारे कार्डियोवस्कुलर हेल्‍थ पर पड़ेगा.

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कैसी हो हमारे खाने की थाली
डॉ. काजल पंड्या येप्थो के अनुसार, हमारे हार्ट को सेहतमंद रखने में हमारे खाने की अहम भूमिका रहती है, लिहाजा हमारे खाने की थाली में वह सभी चीजें रहनी चाहिए, जिससे हमारा हार्ट हेल्‍दी और फिट रह सके. अब यहां सवाल यह है कि हार्ट को फिट रखने के लिए आदर्श थाली कौन सी है, तो इसका जवाब है कि खाने की आदर्श थाली वही है, जिसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फैट, विटामिन, मिनरल और फाइबर का उपयुक्‍त समावेश हो.

इसके लिए, हमें अपनी थाली को तीन भागों को बांटना होगा. थाली के आधे हिस्‍से के बराबर वाला पहला भाग पूरी तरह से सलाद और सब्जियों से भरा हुआ हो. थाली के एक चौथाई हिस्‍से वाले दूसरे भाग में प्रोटीन युक्‍त दूध, दही, अंडा, चिकन, फिश हो. वहीं थाली के आखिरी एक चौथाई वाला तीसरा हिस्‍से में  गेहूं, बाजारा या दाल से बने हुए हाईफाइबर फूड से भरा हो. स्‍वस्‍थ्‍य सेहत के लिहाज से खाने की यही आदर्श थाली है.

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इन बातों का भी रखना होगा ध्‍यान
डॉ. काजल पंड्या येप्थो के अनुसार, दिल की बीमारी के बहुत सारे कारणों में एक कारण हमारा असंतुलित भोजन भी है. दिल की बीमारी से बचने के लिए बहुत जरूरी है कि हम अपनी डाइट को सुधारे और खाने में इन बातों का ध्‍यान जरूर रखें…

अनाज: खाने में होलग्रेन सीरियल्‍स का इस्‍तेमाल करें. गेहूं का इस्‍तेमाल मैदा के रूप में कम दलिया के रूप में ज्‍यादा हो. ज्वार, बाजरा, रागी, जौ, कुटकी, कोदो, चीना सामा, सांवा और कांगनी जैसे मोटे अनाज का भोजन में अधिक इस्‍तेमाल हो. इनके आटे से बनी रोटियां या दलिया सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होती हैं. इनसे हमें प्रचुर मात्रा में फाइबर, विटामिन, मिनरल, बीकॉम्‍प्‍लेक्‍स जैसे न्‍यूट्रिएंट्स और एनर्जी भी मिलती है.

सब्जियां: प्राकृतिक रंग की मौसमी सब्जियों को अपने खाने में शामिल करना चाहिए. जिन सब्जियों को हम कच्‍चा खा सकते हैं, उन्‍हें सलाद के रूप में खाना चाहिए. पूरे दिन में सब्जी की चार सर्विंग होनी चाहिए, जिसमें दो सर्विंग सैलेट के तौर पर और दो सर्विंग पकी हुई सब्‍जी के तौर पर होनी चाहिए. सब्जियों से मिलने वाला एंटीऑक्‍सीडेंट हमारे हार्ट के लिए लाभदायक है, वहीं फाइबर शरीर के फैट को कम करने में मदद करता है.

फ्रूट्स: सीजनल और  नेचुरल कलरफुल फ्र्ट्स को डाइट में शामिल करना चाहिए. फ्रूट्स की न्‍यूनतम दो से तीन सर्विंग हर दिन की होनी चाहिए. हर सर्विंग में अलग-अलग सीजनल फ्रूट्स होने चाहिए. इस मौसम में अमरूद, कीनू, अनार का सेवन काभी लाफदायक है. फ्रूट्स से मिलने वाला हाईफाइवर और मिनिरल्‍स हमारे हार्ट के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए काफी लाभदायक है.

ऑयल: किसी भी शख्‍स को एक महीने में 500 एमएल से अधिक ऑयल या घी का सेवन नहीं करना चाहिए. इस हिसाब से, प्रति दिन हम तीन से चार चम्‍मच घी या तेल का इस्‍तेमाल कर सकते हैं. इसमें एक चम्‍मच  घी की हो सकती है और दो से तीन चम्‍मत तेल की हो सकती है. आपको ब्‍लाइल्‍ड खाना खाने की जरूरत नहीं, आप नार्मल खाना खा सकते हो, लेकिन घी और तेल का इस्‍तेमाल बेहद सीमित मात्रा में करना है.

दूध या डेयरी प्रोडक्‍ट: कई लोग ऐसा सोंचते हैं कि दूध में हम पानी डाल देंगे तो फैट की मात्रा कम हो जाएगी. यह सही नहीं है. ऐसा करने से दूध की न्‍यूट्रीशियन वैल्‍यू खत्‍म हो जाती है. पानी मिलाने की जगह आप दूध से क्रीम निकाल ले, जिसके बाद वह ऑटोमैटिक लो फैट हो जाएगा. इस दूध के न्‍यूट्रीशियन और प्रोटीन कंटेंट पहले जैसे ही रहता है. इस दूध से ही दही और पनीर भी बनाया जा सकता है.

नॉनवेज: कई लोग नॉनवेज भी खाते हैं. नॉनवेज में आप अगर अंडा खाना चाहते हैं तो आप बिल्‍कुल खा सकते हैं. अंडे का यलो पार्ट भी न्‍यूट्रीशियस है, लेकिन अधिक मात्रा में खाने से फैट बढ़ सकता है. हफ्ते में एक या दो बार पूरा अंडा ले सकते हैं. अंडे की सफेदी में सबसे ज्‍यादा हाई प्रोटीन होता है. इसके अलावा, अंडे के ऑमलेट में तेल की मात्रा अधिक होती है, जिससे फैट बढ़ता है. चिकन और फिश को भी डाइट में शामिल कर सकते हैं, लेकिन वह फ्राइ की जगह भुनी हुई हो.

Tags: Health tips, Heart Disease, Sehat ki baat

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