अंकारा . तुर्की में महंगाई ने सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए हैं. तुर्की में मुद्रास्फीति मई में 73.5 प्रतिशत पर पहुंच गई जो पिछले 24 साल का सर्वोच्च स्तर है. तुर्की सांख्यिकीय संस्थान की तरफ से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल की तुलना में मई में मुद्रास्फीति में करीब 70 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है. इसका अंदाजा आप ऐसे लगा सकते हैं कि भारत में मुद्रास्फीति लगभग 7 फीसदी के आस-पास चल रही है.
उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें अप्रैल की तुलना में मई में करीब तीन प्रतिशत बढ़ी हैं. पिछले कुछ महीनों में दुनिया के कई देशों में बढ़ती मुद्रास्फीति चिंता का सबब बनी हुई है लेकिन तुर्की में जरूरी वस्तुओं के आसमान छूते दामों के लिए राष्ट्रपति रेसप तैयप एर्दोगान की गलत आर्थिक नीतियों को कई विश्लेषक जिम्मेदार बता रहे हैं.
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मुद्रा लीरा में भारी गिरावट
स्थापित मान्यताओं के उलट एर्दोगान का मानना है कि ब्याज की ऊंची दरें होने से मुद्रास्फीति पैदा होती है. इसी वजह से वह आर्थिक वृद्धि एवं निर्यात को तेजी देने के लिए ब्याज दरों को कम रखने के हिमायती हैं.
एर्दोगान की इस सोच के अनुरूप तुर्की के केंद्रीय बैंक ने गत सितंबर से अब तक नीतिगत ब्याज दर में पांच प्रतिशत तक की कटौती करते हुए उसे नौ प्रतिशत पर ला दिया है. इसका नतीजा यह हुआ कि अमेरिकी डॉलर के खिलाफ तुर्की मुद्रा लीरा के मूल्य में 44 प्रतिशत तक की गिरावट आयी है.
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युद्ध ने हालात और बिगाड़े
इस साल फरवरी में यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद तेल, गैस एवं अनाज के दाम बढ़ने से तुर्की में हालात और बिगड़ गए हैं. मई में परिवहन क्षेत्र में सर्वाधिक 107.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई. उसके बाद खाद्य एवं पेय उत्पादों के दाम 91.6 प्रतिशत तक बढ़े हैं. युद्ध की वजह से दुनियाभर में महंगाई बढ़ी है लेकिन यह उन देशों के लिए और मुसीबत बन गई जो पहले से ही महंगाई की समस्या से जूझ रहे थे.
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Tags: Currency, Inflation, Russia ukraine war, Turkey
FIRST PUBLISHED : June 04, 2022, 08:12 IST