क्या आपने कभी किसी फिल्म की शूटिंग देखी है? अगर नहीं तो ऐसे वीडियोज तो जरूर देखें होंगे जिनमें फिल्ममेकिंग की गतिविधियां और कैमरे के पीछे की हलचल दिखाई जाती है। फिल्ममेकिंग में कैमरे के पीछे महिलाओं की संख्या में हाल के दिनों में काफी बढ़ोत्तरी तो हुई है लेकिन ये महिलाएं लेखन, निर्देशन और सिनेमैटोग्राफी तक ही सीमित रही हैं। फिल्म निर्माण की प्रकिया में महिलाओं की भागीदारी उन तकनीकी विभागों में काफी कम है जिनमें शुरू से पुरुष कर्मचारियों का दबदबा रहा है और ऐसा ही एक विभाग है प्रकाश सज्जा यानी शूटिंग के दौरान होने वाली लाइटिंग का। अब ऋचा चड्ढा बतौर निर्माता अपनी अगली फिल्म की शूटिंग से पहले ऐसी महिलाओं को प्रशिक्षित कर रही हैं जो फिल्म निर्माण में गैफर यानी लाइटिंग विभाग के प्रमुख का काम संभाल सकें।
ऋचा चड्ढा हिंदी सिनेमा की उन गिनी चुनी अभिनेत्रियों में हैं जो फिल्म उद्योग में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर जोर देती रही हैं। निर्देशक शुचि तलाती के साथ ऋचा ने सोमवार से उन महिलाओं के लिए एक कार्यक्रम शुरू किया है जो फिल्म उद्योग में गैफर के रूप में काम करने की उम्मीद करती हैं। ‘अंडरकरेंट लैब’ नामक इस प्रेरक कार्यक्रम में उन्हें साथ मिला है महिलाओं की फिल्म और टेलीविजन एसोसिएशन (WIFT) और लाइट एन लाइट का जो हिंदी सिनेमा में सबसे बड़े लाइट्स और ग्रिप उपकरण आपूर्ति करने के लिए जाने जाते हैं।
इस लैब की स्थापना हिंदी फिल्मों में अधिक से अधिक महिला गैफरो को पेश करने के उद्देश्य से की गई है। अपने पहले वर्ष में ‘अंडरकरेंट लैब’ सिनेमा के लिए लाइट व्यवस्था में दस महिलाओं को लाइटिंग विभाग के लिए प्रशिक्षित पर ध्यान केंद्रित करेगी। यह अपनी तरह की पहली और व्यावहारिक कार्यशाला के साथ शुरू हो रहा है जहां मशहूर सिनेमैटोग्राफर इन प्रशिक्षुओं को लाइटिंग की बारीकियां सिखाएंगे। सप्ताह भर के क्रैश कोर्स के बाद लड़कियों को फिल्मों के सेट पर काम करने के लिए भी भेजा जाएगा। इनमें से दो लड़कियों का चयन ऋचा बतौर निर्माता अपनी पहली ‘गर्ल्स विल बी गर्ल्स’ में भी लेंगी। इस फिल्म की तकनीकी टीम में तकरीबन सारी महिलाओं को ही रखने पर भी काम चल रहा है। अली फजल के साथ मिलकर ऋचा ये फिल्म बना रही हैं और इसकी शूटिंग इसी साल अक्टूबर से शुरू होगी।
ऋचा चड्ढा कहती हैं, “जब हमने एक पूरी महिला टीम बनाई तो हमने पाया कि हिंदी फिल्मों में लाइट विभाग में काम करने वाली लगभग कोई महिला नहीं है। हमारी सहयोगी तान्या नेगी ने इस कार्यशाला का विचार दिया और इसी के चलते हम महिलाओं के लिए यह प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू कर रहे हैं, जिसका उद्देश्य कैमरे के पीछे महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाना है। मुझे उम्मीद है कि इस पहल से इस उद्योग में काम करने के तरीके में बहुत बड़ा बदलाव आएगा।”
वहीं इस कार्यक्रम में ऋचा की जोड़ीदार निदेशक शुचि तलाती कहती हैं, “हमने इस लैब को स्थापित करने के लिए इस साल फरवरी में बर्लनेल टैलेंट फुटप्रिंट्स में अनुदान के लिए आवेदन किया और जीत हासिल की। ‘अंडरकरंट लैब’ इच्छुक महिलाओँ को फिल्म उद्योग में लाइट विभाग में एक ठोस करियर बनाने का अवसर देगी। इसके पहले बैच के लिए हमने कड़ी चयन प्रक्रिया के बाद दस उम्मीदवारों का चयन किया है।”